इनकी सूरत एवं सीरत के क्या कहनेः कोरोना काल में किया कमाल, पढिए तो सही

ला-ग्रेविटी ने इस वर्ष भी दुनियाभर के मूक-बधिरों के लिए क्रिएटिव आइडिया प्रतियोगिता कराई थी जिसमें बेंगलुरू की श्वेता गोस्वामी विजेता व नेपाल की हेवेन उपाध्याय को उपविजेता घोषित किया गया। प्रतियोगिता में भारत बांग्लादेश नेपाल व नाइजीरिया से कुल 77 प्रतिभागी शामिल हुए थे।

By Rakesh RanjanEdited By: Publish:Wed, 28 Jul 2021 02:58 PM (IST) Updated:Wed, 28 Jul 2021 04:04 PM (IST)
इनकी सूरत एवं सीरत के क्या कहनेः कोरोना काल में किया कमाल, पढिए तो सही
नेपाल के चैनपुर निवासी 20 वर्षीय हेवेन उपाध्याय को उपविजेता का खिताब मिला।

जमशेदपुर, जासं। मूक-बधिरों के कल्याण को समर्पित संस्था ला-ग्रेविटी ने इस वर्ष भी दुनियाभर के मूक-बधिरों के लिए क्रिएटिव आइडिया प्रतियोगिता कराई थी, जिसमें बेंगलुरू की श्वेता गोस्वामी विजेता व नेपाल की हेवेन उपाध्याय को उपविजेता घोषित किया गया। इस प्रतियोगिता में भारत, बांग्लादेश, नेपाल व नाइजीरिया से कुल 77 प्रतिभागी शामिल हुए थे।

कोरोना काल में समाज व पर्यावरण के लिए मूक-बधिरों के रचनात्मक योगदान पर आधारित इस प्रतियोगिता की घोषणा 21 जून को हुई थी। वल्लभ यूथ आर्गनाइजेशन के सहयोग से आयोजित प्रतियोगिता में प्रतिभागियों ने अपने कार्यों के वीडियो बनाकर भेजे थे, जिसके आधार पर बुधवार को परिणाम घोषित किए गए। 77 में 15 प्रविष्टियों को ही पुरस्कार के लिए चुना गया था। संस्था का यह लगातार पांचवां आयोजन था। इसमें पिछली बार 2020 में पांच देश से कुल 111 प्रतिभागी शामिल हुए थे। ला-ग्रेविटी के संचालक अविनाश दुगड़ बताते हैं कि दुनियाभर में इस तरह का आयोजन कोई दूसरी संस्था नहीं करती है। यही एक संस्था है जो प्रतिवर्ष मूक-बधिरों के लिए वैश्विक प्रतियोगिता कराती है।

बेंगलुरू की श्वेता गोस्वामी

श्वेता को मिस खामोशी डेफ-2021 का विजेता चुना गया। 21 वर्षीय श्वेता ने एक वीडियो भेजा था, जिसमें व कुत्तों को खाना खिला रही थीं। कोरोना काल में खुद की तरह बेजुबान जानवरों की पीड़ा समझकर सेवा की, जिसे ज्यूरी ने सर्वश्रेष्ठ विचार माना। इन्हें पुरस्कार के रूप में 10,000 रुपये दिए गए।

नेपाल की हेवेन उपाध्याय

नेपाल के चैनपुर निवासी 20 वर्षीय हेवेन उपाध्याय को उपविजेता का खिताब मिला। उन्होंने अपने वीडियो में दुकान से खाने-पीने का सामान खरीदकर सड़क पर रात गुजारने वाले गरीबों, नेत्रहीनों व दिव्यांगों को बांटा था। उन्होंने नेत्रहीनों को मास्क भी बांटा। इन्हें भी पुरस्कार के रूप मेें 10,000 रुपये दिए गए।

नागालैंड की सामलान चुइलो

नागालैंड के दीमापुर की 24 वर्षीय सामलान चुइलो को प्रथम उपविजेता घोषित किया गया है। इन्होंने कोरोना काल में किचेन वेस्ट से खाद बनाकर घर की छत पर बागवानी की। उन्होंने पर्यावरण संरक्षण के लिहाज से बेस्ट ऑफ वेस्ट का संदेश दिया। इन्हें पुरस्कार के रूप में 4360 रुपये दिए गए।

नेपाल की लक्ष्मी महाजन

नेपाल के काठमांडू में रहने वाली 25 वर्षीय लक्ष्मी महाजन को भी प्रथम उपविजेता का पुरस्कार मिला है। इन्होंने कोरोना में मास्क की उपयोगिता को दर्शाते हुए फेस पेंटिंग किया था, ताकि लोग इससे प्रेरित हो सकें। इन्हें भी पुरस्कार के रूप में 4360 रुपये दिए गए।

बांग्लादेश के नईम इस्लाम

बांग्लादेश के बोगरा में रहने वाले 16 वर्षीय नईम इस्लाम को यूथ अचीवर्स अवार्ड के लिए चुना गया। इन्होंने कोरोना काल में पौधारोपण और बकरों को घास खिलाने जैसा नेक काम तो किया ही, अपने आसपास के इलाके में हरियाली फैलाने में मदद की। इन्हें ला-ग्रेविटी व वल्लभ यूथ आर्गनाइजेशन की ओर से गिफ्ट हैम्पर दिया गया।

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