नैतिकता का अवमूल्यन प्राकृतिक और मानव जनित आपदाओं को जन्म दे रहा : रूद्रानंद अवधूत Jamshedpur News

ऑनलाइन वेबकास्टिंग में रुद्रानंद अवधूत ने कहा कि नैतिकता मानव अस्तित्व का आधार है साधना माध्यम एवं दिव्य जीवन की प्राप्ति लक्ष्य है।

By Vikas SrivastavaEdited By: Publish:Mon, 06 Jul 2020 12:36 PM (IST) Updated:Mon, 06 Jul 2020 12:36 PM (IST)
नैतिकता का अवमूल्यन प्राकृतिक और मानव जनित आपदाओं को जन्म दे रहा : रूद्रानंद अवधूत Jamshedpur News
नैतिकता का अवमूल्यन प्राकृतिक और मानव जनित आपदाओं को जन्म दे रहा : रूद्रानंद अवधूत Jamshedpur News

जमशेदपुर (जागरण संवाददाता)। आनंदमार्ग के तीन दिवसीय साधक-साधिका ऑनलाइन वेबिनार का समापन गुरु पूर्णिमा के अवसर पर 5 जुलाई को हुआ। जमशेदपुर व आसपास लगभग पांच हजार आनंदमार्ग के साधक-साधिकाओं ने ऑनलाइन (वेबिनार)  से सेमिनार का लाभ उठाया।

सेमिनार के तीसरे दिन पांच जुलाई दिन रविवार को ऑनलाइन साधकों और जिज्ञासुओं को संबोधित करते हुए आचार्य रूद्रानंद अवधूत ने "हमारा दर्शनशास्त्र"  विषय पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि दर्शनशास्त्र की छह शाखाएं हैं :-- ईश्वरतत्व, सृष्टितत्व, अध्यात्मिक अनुशीलन, ज्ञानतत्व, मनोविज्ञान एवं नीतिशास्त्र। इन सभी छह शाखाओं की विस्तृत व्याख्या आनंद सूत्रम, आनंद मार्ग के प्रारंभिक दर्शन और भाव और भावादर्श पुस्तक में की गई है। उन्होंने कहा कि भिन्न-भिन्न अवस्थाओं में ईश्वर को  निर्गुण, सगुण, पुरुषोत्तम, परमात्मा, ब्रह्म, भगवान, महासंभूति एवं तारक ब्रह्म नाम से संबोधित किया जाता है।

मनुष्‍य की जीवन यात्रा में तीन शास्‍त्रों की जरूरत

 आचार्य ने बताया कि मनुष्य को जीवन यात्रा में तीन  शास्त्रों की जरूरत पड़ती हैं। ये हैं दर्शनशास्त्र, धर्मशास्त्र और समाजशास्त्र। आज के इस आधुनिक युग में मनुष्य के समक्ष आनंदमार्ग ने तीनों शास्त्र को विधिवत दिया। तर्कसंगत, विवेकपूर्ण, व्यवहारिक, मनोवैज्ञानिक,भावजड़ता एवं अंधविश्वास से रहित इन शास्त्रों के आधार पर जीवन यात्रा पथ पर चलकर मनुष्य अति शीघ्र ही अपने लक्ष्य को प्राप्त कर लेगा। भौतिकता की चकाचौंध में नैतिकता का अवमूल्यन ही विभिन्न प्रकार के प्राकृतिक और मानव सृजित आपदाओं को जन्म दे रहा है। 

नैतिक नियमों का पालन समय की मांग

आचार्य रुद्रानंद ने कहा कि समय की मांग है कि मनुष्य नैतिक नियमों का पालन करें। यह नियम है.. यम:- (अहिंसा, सत्य, अस्तेय, अपरिग्रह एवं ब्रह्मचर्य )नियम:-( शौच, संतोष ,तप , स्वाध्याय एवं ईश्वर प्रणिधान)। नैतिकता मानव अस्तित्व का आधार है, साधना माध्यम एवं दिव्य जीवन की प्राप्ति लक्ष्य है । मनुष्य अगर इन नियमों का कठोरता से पालन करें तो पूरे विश्व को एक मंच पर लाना सहज हो जाएगा।

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