प्रधानमंत्री के सपने को साकार कर रहीं जमेशदपुर की सात महिलाएं

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कुछ माह पहले ही नारा दिया था- लोकल के लिए वोकल बनें। इस नारे से प्रभावित होकर पूर्वी सिंहभूम जिले के जमशेदपुर शहर की सात महिलाओं ने अपना स्वरोजगार शुरू किया। माटी के बर्तन पर झारखंड की चित्रकारी शुरू कर बेचने लगीं।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 29 Oct 2020 08:58 PM (IST) Updated:Fri, 30 Oct 2020 01:13 AM (IST)
प्रधानमंत्री के सपने को साकार कर रहीं जमेशदपुर की सात महिलाएं
प्रधानमंत्री के सपने को साकार कर रहीं जमेशदपुर की सात महिलाएं

मनोज सिंह, जमशेदपुर : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कुछ माह पहले ही नारा दिया था- लोकल के लिए वोकल बनें। इस नारे से प्रभावित होकर पूर्वी सिंहभूम जिले के जमशेदपुर शहर की सात महिलाओं ने अपना स्वरोजगार शुरू किया। माटी के बर्तन पर झारखंड की चित्रकारी शुरू कर बेचने लगीं। आज इनका कारोबार परवाज भरने लगा है। यह महिलाएं जहां आर्थिक रूप से सशक्त हो रही हैं, वहीं प्रधानमंत्री का सपना भी साकार कर रही हैं।

यह महिलाएं लॉकडाउन में घर में ही रह कर मिट्टी के बर्तन पर पेंटिग और चित्रकला का गुर सिखाकर स्वावलंबी बनाने का काम कर रही हैं। महिलाओं के ग्रुप में कोई पुरुष नहीं है। संचालक, कलाकार से लेकर बिक्री करने तक का काम महिलाएं खुद कर रही हैं। मिट्टी क्राफ्ट की संस्थापक सदस्य प्रतिमा मुंडा कहती हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संदेश था कि लोकल के लिए वोकल बनो, मतलब स्वदेशी लाओ और चीन के सामान का बहिष्कार करो। इस सोच को वह जमीन पर उतार चुकी हैं।

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करनडीह के पास बना है पेंटिग हॉल

करनडीह स्थित एलबीएसएम कालेज के पास एक बड़े हॉल में महिला कलाकार पेंटिग कर रही हैं, जबकि बर्तन बनाने के लिए मंगल भगत नामक एक कुम्हार को रखा गया है। इससे उन्हें प्रतिमाह बर्तन की बिक्री से करीब 20 हजार रुपये मिल जाते हैं। इससे रोजगार के साथ ही आर्थिक स्थिति में सुधार हो रहा है। आज एक से बढ़कर एक सुंदर मिट्टी के गमला, गुलदस्ता, गिलास से लेकर सजावटी सामग्री बाजार में बिक रही है। चारों ओर से इसकी मांग हो रही है। अब तक कई बड़े लोग 50 से 100 गमलों का आर्डर दे चुके हैं।

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15 हजार की पूंजी से शुरू हुआ कारोबार

प्रतिमा मुंडा कहती हैं कि इस काम को दो माह पूर्व शुरू किया। दो माह में कुम्हार को बर्तन बनाने के एवज में प्रत्येक माह 15-20 हजार रुपये भुगतान किया। इसके अलावा उनके गोदाम में बड़ी संख्या में रंग बिरंगे मिट्टी के बड़े-छोटे, अलग-अलग डिजायन के बने हुए हैं। मिट्टी क्राफ्ट की सदस्य नालिनी सिन्हा कहती हैं कि गमला, गिलास, घर सजाने के लिए विभिन्न प्रकार के मिट्टी के बर्तन पर एक से बढ़कर एक झारखंडी कला को दर्शाया गया है। उन्होंने बताया कि दस दिन पूर्व रेड क्रास सोसायटी के पास अपने बर्तन को बिक्री के लिए रखा था। सभी हाथों- हाथ बिक गए। उनके पास 200 रुपये से 12 सौ रुपये तक के मिट्टी के आकर्षक बर्तन हैं। नालिनी कहती हैं कि अभी केवल खर्च निकल रहा है, लाभ की पूंजी बर्तन के रूप में जमा है। उन्होंने कहा कि भविष्य में दूसरे शहरों में भी प्रदर्शनी लगाई जाएगी।

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मिट्टी क्राफ्ट की महिला सदस्य

मिट्टी क्राफ्ट की सात महिला सदस्यों में प्रतिमा मुंडा, नालिनी सिन्हा, नीकिता कुमारी, निक्की शर्मा, पूनम बोयपाइ, लक्खी दास तथा सुषमा देवी शामिल हैं।

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