टाटा कमिंस के अधिकारियों के खिलाफ जमशेदपुर में दर्ज हुआ आपराधिक मुकदमा, मचा हड़कंप

टाटा कमिंस कर्मचारी यूनियन के पूर्व महामंत्री तथा स्टीयरिंग कमेटी के सदस्य अरुण कुमार सिंह की बर्खास्तगी के मुद्दे पर कंपनी के शीर्ष 11 अधिकारियों के खिलाफ आपराधिक मामला बुधवार को दर्ज हो गया। सूचना मिलते ही टेल्को इलाके में खलबली मच गई।

By Jitendra SinghEdited By: Publish:Wed, 04 Aug 2021 06:02 PM (IST) Updated:Wed, 04 Aug 2021 06:02 PM (IST)
टाटा कमिंस के अधिकारियों के खिलाफ जमशेदपुर में दर्ज हुआ आपराधिक मुकदमा, मचा हड़कंप
टाटा कमिंस के अधिकारियों के खिलाफ जमशेदपुर में दर्ज हुआ आपराधिक मुकदमा

जमशेदपुर : टाटा कमिंस कर्मचारी यूनियन के पूर्व महामंत्री तथा स्टीयरिंग कमेटी के सदस्य अरुण कुमार सिंह की बर्खास्तगी के मुद्दे पर कंपनी के शीर्ष 11 अधिकारियों के खिलाफ आपराधिक मामला बुधवार को दर्ज हो गया। हालांकि एक ही पूर्व ही प्रबंधन ने यूनियन के स्टीयरिंग कमेटी के सदस्यों के साथ सभी कमेटी मेंबरों की बैठक में श्रम विभाग द्वारा मुकदमा दर्ज करने की जानकारी दिया था। मंगलवार को हुई बैठक मे कंपनी के पूर्व प्लांट हेड मनीष कुमार झा व एचआर के हेड मनीष कुमार जैन मौजूद थे। बैठक में प्रबंधन ने यूनियन नेताओं को बताया कि श्रम विभाग की ओर से अरुण सिंह की बर्खास्तगी के मुद्दे को लेकर अधिकारियों के खिलाफ केस कर दिया गया है। प्रबंधन इसे चुनौती के रूप में लिया है। कंपनी बड़े-बड़े वकीलों को लेकर मुकदमा लड़ने के लिए तैयार है। दूसरी ओर इस संबंध में उप श्रमायुक्त राजेश प्रसाद ने कहा कि केस के लिए सरकार से अनुमति मिल गई थी। बुधवार को सीजीएम न्यायालय में मुकदमा दायर हो गया।

इन अधिकारियों पर हुआ आपराधिक मुकदमा

टाटा कमिंस के जिन अधिकारियों पर आपराधिक मुकदमा दर्ज हुआ है, उनमें एमडी अश्वथ राम, एसोसिएट निदेशक अंजली पांडेय, राजीव बत्रा, डायरेक्टर गिरीश बाग, राजेंद्र पाटेकर, असीम मुखोपाध्याय, जोनाथन व्हाइट, एचआर हेड पल्लवी देसाई, प्लांट हेड मनीष कुमार झा, सीनियर जेनरल मैनेजर दीप्ति महेश्वरी का नाम शामिल है।

क्या है मामला, श्रम विभाग का क्या है तर्क

टाटा कमिंस कर्मचारी यूनियन के आपसी विवाद में अरूण सिंह पर कार्रवाई हुई थी। कंपनी से बाहर चार यूनियन नेताओं के बीच मारपीट हुई, जिस पर कार्रवाई करते हुए प्रबंधन ने तीन नेताओं को बरी व अरुण सिह को बर्खास्त किया।

अरुण सिंह की बर्खास्तगी मामले में श्रम विभाग का तर्क है कि प्रबंधन ने औद्योगिक विवाद अधिनियम 1947 के तहत उल्लेखित अनुचित श्रम व्यवहार करने व स्टैंडिंग आर्डर से बाहर जाकर एक कर्मचारी को बर्खास्त करने की कार्रवाई की है। एक ही मामले में दो अलग-अलग कार्रवाई की गई है। यूनियन के चार नेताओं ने आपस में मारपीट की थी। इसकी शिकायत थाने में किसी पक्ष ने नहीं की। इस मामले में एक नेता को बर्खास्त कर दिया गया जबकि तीन नेताओं को छोड़ दिया गया। यह कार्रवाई समझ से परे है।

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