Coronavirus India Lockdown : इनकी सलाह मानें: बस घर से न निकले शब -ए-बरात पर बाहर Jamshedpur News
Coronavirus India Lockdown. कादरी मस्जिद जुगसलाई के खातिब सह इमाम ने शब-ए-बरात के मौके पर लोगों से घरों से बाहर ना निकलने की अपील की है।
जमशदपुर,जेएनएन। Coronavirus India Lockdown सब ठीक हो रहा। हम सुरक्षित हैं। बस हमें घर से नहीं निकलना है। शब-ए-बरात पर लोगों से घर से बाहर नहीं निकलने की अपील की गई है। यह अपील कोई आम शख्स ने नहीं की है। ये हैं हमारे शहर के कादरी मस्जिद जुगसलाई के खातिब सह इमाम। नाम है काजी मुश्ताकअहमद। हम इनकी अपील पर अमल करते हैं तो आज क्यों नहीं। ये वक्त का तकाजा है।
देश में कोरोना वायरस का प्रकोप बढ़ता जा रहा है। कोरोना के संक्रमण को काबू करने के लिए देश में 21 दिन का लॉक डाउन लागू है। लोगों से शारीरिक दूरी बनाए रखने की अपील की जा रही है। वहीं, नौ अप्रैल को शब-ए-बरात है, जिसमें मुस्लिम समाज के लोग भारी संख्या में मस्जिदों में इकट्ठा होते हैं और इबादत करते हैं। इस बीच जुगसलाई कादरी मस्जिद के खातिब सह इमाम काजी मुश्ताक अहमतद ने शब-ए-बरात के मौके पर लोगों से घरों से बाहर ना निकलने की अपील की है। उन्होंने मुस्लिम समाज के लोगों से घरों में रहकर ही पूर्वजों को याद करने की अपील की है। कहा कि शब-ए-बरात पर नौ अप्रैल को घर से बाहर न निकलें, गली मोहल्लों में इकट्ठे न हों। उन्होंने समाज के प्रमुख लोगों से भी अपील की है कि वे लोगों से लॉकडाउन का पालन करवाएं। किसी भी तरीके से कानून का उल्लंघन नहीं करने दें।
घर पर ही करें मरहूम के लिए दुआ
काजी मुश्ताक अहमद ने कहा कि तमाम लोगों से एक अहम गुजारिश यह है कि आने वाली 9 अप्रैल को शबे बरात है और जुम्मेरात का दिन गुजार कर आने वाली रात बहुत मुकद्दस और बख्शी सो नेमत की रात है। दूसरे दिन यानी 10 अप्रैल को रोजा रखें। हो सके तो 9 और 10 दोनों तारीखों को रोजा रखें। इस वक्त जबकि देश में लोग डॉन है शब - ए- बरात में कुरान तिलावत और दूसरी इबादत घर पर ही करें। लॉकडाउन के कारण कब्रिस्तान जाने से बचें। घर पर ही अपने मरहूम के लिए दुआ करें।
ये जानना जरूरी
शबे बरात दो शब्दों, शब और बारात से मिलकर बना है। शब का अर्थ रात होता है। बरात का मतलब बरी होना होता है। इस्लामी कैलेंडर के अनुसार यह रात साल में एकबार शाबान महीने की 14 तारीख को सूर्यास्त के बाद शुरू होती है। मुसलमानों के लिए यह रात बेहद फज़ीलत (महिमा) की रात मानी जाती है। इस दिन विश्व के सारे मुसलमान अल्लाह की इबादत करते हैं। वे दुआएं मांगते हैं। अपने गुनाहों की तौबा करते हैं। यह अरब में लैलतुल बराह या लैलतुन निसफे मीन शाबान के नाम से जाना जाता है। यह शबे बरात के नाम से भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, ईरान, अफ़ग़ानिस्तान और नेपाल में जाना जाता है।