दुर्गा बन कोरोना का कुचक्र तोड़ रहीं लक्ष्मी'

पति की मौत के बाद भी मैदान में डटी रही डा. लक्ष्मी निभा रही बड़ी जिम्मेदारी।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 13 Apr 2021 07:00 AM (IST) Updated:Tue, 13 Apr 2021 07:00 AM (IST)
दुर्गा बन कोरोना का कुचक्र तोड़ रहीं लक्ष्मी'
दुर्गा बन कोरोना का कुचक्र तोड़ रहीं लक्ष्मी'

अमित तिवारी, जमशेदपुर :

हमारे देश में महिलाओं को देवी का अवतार माना जाता है। जिस तरह से देवताओं पर मुश्किल आने पर मां दुर्गा ने महिषासुर नामक असुर का वध किया था ठीक उसी अवतार में आज कुछ महिला चिकित्सक भी दिखाई दे रहीं है। जी हां, इनका नाम है डा. लक्ष्मी और लड़ रही विश्वव्यापी महामारी कोरोना से। कोरोना से खुद का बचाव करते हुए उसके खिलाफ दिन-रात जंग लड़कर इसके वायरस से संक्रमित लोगों के जीवन की रक्षा कर रही हैं।

इनकी कहानी सुनकर कोई भी इनकी तारीफ किए नहीं रह सकता। डा. लक्ष्मी कुमारी फिलहाल जुगसलाई स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) की प्रभारी हैं। उनके पति डा. बीरेंद्र सेठ डुमरिया स्थित स्वास्थ्य केंद्र में तैनात थे। बीते साल कोरोना काल में 2 जून 2020 को उनका निधन हो गया था। उनमें कोरोना के सारे लक्षण मौजूद थे। ड्यूटी के दौरान डा. बीरेंद्र सेठ बुखार हो गया था। इसके बाद उन्हें सांस लेने में परेशानी होने लगी। इसी दौरान निमोनिया से भी ग्रस्त हो गए थे। इसके बाद उन्हें टीएमएच में भर्ती कराया गया, जहां उनकी मौत हो गई। इस दौरान डा. लक्ष्मी पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा लेकिन, वह टूटी नहीं। एक बहादुर बेटी की तरह मैदान में डटी रहीं। धैर्य के साथ आगे बढ़ीं और आज कोरोना के खिलाफ बड़ी जिम्मेवारी निर्वाह कर रही हैं।

आने का समय जाने का नहीं :

डा. लक्ष्मी कोरोना के संदिग्ध संक्रमितों की जांच करने से लेकर उन्हें इलाज के लिए संबंधित अस्पताल भेजना, वैक्सीनेशन कराना और लोगों को जागरूक भी करना होता है। इतना ही नहीं, ओपीडी में मरीजों को देखने से लेकर गर्भवती महिलाओं की जांच करना सहित सरकारी योजनाओं को धरातल पर उतारने में भी वह अव्वल है। उनके कार्य करने का अंदाज देखकर हर कोई उनकी सराहना करने से नहीं चुकता। डा. लक्ष्मी सुबह ड्यूटी पर आती है तो उनका जाने का कोई समय नहीं है।

यह समय लड़ने का, पीछे हटने का नहीं : डा. लक्ष्मी पर दुखों का पहड़ा टूटने के बावजूद वह मैदान में डटी रहीं। वह कहती हैं कि एक पत्नी के लिए इससे बड़ा दुख और क्या हो सकता है लेकिन, वह संयम के साथ आगे बढ़ीं। डा. लक्ष्मी को इस बात काअफसोस है कि उनके पति कोरोना मरीजों की सेवा करते-करते अपनी जान गंवा दी लेकिन, उन्हें अभी तक वारियर्स घोषित नहीं किया गया है। डा. लक्ष्मी कुमारी अपने बेटा को भी डॉक्टर बना रही हैं, ताकि वह भी एक फाइटर की तरह लड़कर लोगों की जान बचा सके। डा. लक्ष्मी कुमारी का बेटा रांची रिम्स से एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहा है।

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