Corona Crisis: टास्क फोर्स को कैट ने ऑक्सीजन पालिसी बनाने सहित दिए अनके सुझाव, आप भी जानिए
उच्चतम न्यायालय द्वारा देश में आक्सीजन की समुचित व्यवस्था के लिए नेशनल टास्क फाॅर्स का गठन किया है। कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ़ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने ऑक्सीजन की देश में उपलब्धता को बढ़ाने और उसके समुचित वितरण के लिए सोमवार को कई सुझाव भेजे हैं।
जमशेदपुर, जासं। उच्चतम न्यायालय द्वारा देश में आक्सीजन की समुचित व्यवस्था के लिए नेशनल टास्क फाॅर्स का गठन किया है। कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ़ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने ऑक्सीजन की देश में उपलब्धता को बढ़ाने और उसके समुचित वितरण के लिए सोमवार को कई सुझाव भेजे हैं।
कैट ने झारखंड के पूर्व मुख्य सचिव सह भारत सरकार के कैबिनेट सचिव राजीव गाबा जो टास्क फाॅर्स के चेयरमैन भी हैं को तथा टास्क फाॅर्स के अन्य सभी सदस्यों को एक पत्र भेजकर सुझाव दिया है कि इस मुद्दे पर एक ऑक्सीजन पालिसी बनाया जाना बेहद जरूरी है। जिसके अंतर्गत देश में वर्तमान में उपलब्ध ऑक्सीजन, उसमें वृद्धि करने के अन्य स्रोत बनाने तथा सभी स्रोतों से प्राप्त ऑक्सीजन का सही तरीके से देश भर में वितरण करने का एक तंत्र बनाया जाए।
वितरण प्रणाली को चुस्त-दुरूस्त को सलाह करने की सलाह
कैट के राष्ट्रीय सचिव सुरेश सोथालिया ने टास्क फाॅर्स के सदस्यों को भेजे पत्र में कहा है की निश्चित रूप से देश में प्रचुर मात्रा में ऑक्सीजन उपलब्ध है लेकिन उसकी वितरण प्रणाली को चुस्त -दुरुस्त करना होगा। वही दूसरी ओर एक ऑक्सीजन पालिसी के तहत हर समय देश भर में ऑक्सीजन उपलब्ध रहे, इस ओर भी ध्यान देना होगा। सोन्थालिया ने कहा कि कोरोना के दौरान इस तरह के संकट और खामियों से सबक लेते हुए एक ऑक्सीजन पालिसी के तहत करोड़ों रुपयों की लागत से बनने वाले अस्पतालों के पास अपना ऑक्सीजन प्लांट होना चाहिए था। साथ ही ऑक्सीजन सिलेंडर का पर्याप्त स्टॉक रखने का गोदाम अनिवार्य होना चाहिए। मध्यम श्रेणी और छोटे अस्पताल आपस में समन्वय बना कर दूसरे अस्पतालों की आवश्यकता की पूर्ति हेतु ऑक्सीजन प्लांट लगाए जिससे उक्त पूल में शामिल सभी अस्पतालों को ऑक्सीजन मिल सके।
नेशनल ऑक्सीजन ग्रिड भी बने
बिजली ग्रिड की तर्ज़ पर एक नेशनल ऑक्सीजन ग्रिड भी बनाया जाए। रेलवे नियमित तौर पर ऑक्सीजन एक्सप्रेस चलाए ताकि देश भर में जीवनदायिनी ऑक्सीजन समय पर पहुंचता रहे । सोन्थालिया ने यह भी सुझाव दिया की ऑक्सीजन सिलेंडर बनाने के नए प्लांट को प्राथमिकता के आधार पर मंजूरी दी जाए ताकि सिलेंडरों की कमी को दूर किया जा सके। ऑक्सीजन सिलेंडरों के लिए हर वक़्त "ग्रीन कॉरिडोर" खुला रहे, ऐसा कानून में प्रावधान किया जाए। प्रत्येक बड़ी हाउसिंग सोसायटी, क्लब ,रिजॉर्ट, होटल, स्टेडियम और बाजारों में उनकी क्षमता के हिसाब से एक मेडिकल रूम बनाना अनिवार्य किया जाए, जहां 1-2 बेड, ऑक्सीजन सिलेंडर और वेंटिलेटर जैसी जरूरी चिकित्सा सुविधाओं को उपलब्ध किया जाए।
ये भी दिया है सुझाव
कैट ने यह भी सुझाव दिया कि नेशनल इंस्टीट्यट ऑफ़ डिज़ाइन एवं नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ़ फैशन एंड ट्रेनिंग से कम कीमत वाली छोटी एंबुलेंस के डिजाइन बनवाए जाए और ऑटोमोबाइल निर्माताओं से उन डिज़ाइन के अनुरूप एम्बुलेंस बनवाया जाए। जो छोटे शहरों और छोटी सड़कों पर भी आसानी से चल सके ताकि देश के किसी भी हिस्से में ऑक्सीजन आसानी से पहुंचे जा सके। देश के हर छोटे-बड़े शहरों में बड़ा या छोटा शहर की क्षमता के अनुसार एक ऑक्सीजन प्लांट बनाना अनिवार्य किया जाए। सोन्थलिया ने कहा कि छोटी बड़ी चिकित्सा सुविधाएं जो जरूरत पर अभाव के चलते बहुत बड़ी लगती है, उनको फौरन पूरा करने के लिए मानव संसाधन बढ़ाने के योजना विशेषज्ञ बनाएं।
कोर्स का भी सुझाव
विपरीत परिस्थितियों में छोटी-बड़ी मेडिकल इमरजेंसी के दौरान आस पड़ोस में रहनेवाले लोग ही काम आ जाए इसके लिए नर्सिंग, वेंटिलेटर ऑपरेटर, टेक्नीशियन आदि जैसी विधाओं से जुड़े लोगों को 3 महीने, 6 महीने, 9 महीने और 12 महीने के सर्टिफिकेट और डिप्लोमा कोर्स करवाए जाए। छोटे शहरों में जहां बड़े अस्पताल नहीं हैं वहां इस प्रकार के लोग बड़ी मात्रा में चिकित्सा से जुड़ी सेवाएं तुरंत दे सकते हैं।