लाकडाउन में बंद हुई ठेकेदारी तो सरकारी तालाब बना वरदान
कोरोना काल ने ग्रामीण क्षेत्र के लोगों का जीवन व व्यवसाय ही बदल दिया है। जी हां हम बात कर रहे हैं घाटशिला प्रखंड के हेंडलजुरी पंचायत के राजाबासा गांव निवासी अशोक महतो की। अशोक पूर्व में ठेकेदारी का काम करते थे। सरकारी योजनाओं के तहत मिले काम को रोजगार का साधन बनाया था..
संवाद सहयोगी, गालूडीह : कोरोना काल ने ग्रामीण क्षेत्र के लोगों का जीवन व व्यवसाय ही बदल दिया है। जी हां, हम बात कर रहे हैं घाटशिला प्रखंड के हेंडलजुरी पंचायत के राजाबासा गांव निवासी अशोक महतो की। अशोक पूर्व में ठेकेदारी का काम करते थे। सरकारी योजनाओं के तहत मिले काम को रोजगार का साधन बनाया था। पिछले वर्ष कोरोना काल व लाकडाउन के कारण ठेकेदारी भी बंद हो गई। इस कारण परिवार के भरण-पोषण में परेशानी होने लगी। फिर भी उन्होंने हिम्मत नहीं हारी, पूर्वजों की की जमीन पर सब्जी की खेती शुरू किया। जमीन कम होने के बावजूद खेती में उनका मन रम गया। इसके बाद उन्होंने गांव में लगभग दो एकड़ बंजर जमीन किराए पर लेकर खेती करना शुरू किया। आज अशोक महतो सब्जी की खेती कर सफल किसान बन चुके हैं। लगभग चार एकड़ जमीन पर नेनुआ, टमाटर, बैगन की खेती लहलहा रही है। सब्जी की खेती कर अशोक प्रति माह लगभग 15-20 हजार रुपये कमा रहे हैं। खेती-बारी के इस काम में उन्होंने गांव के आठ मजदूरों को रोजगार भी दे रखा है। सरकारी तालाब बना वरदान : अशोक महतो ने बताया कि ठेकेदारी से अधिक आमदनी खेती में हो रहा है। यदि सिंचाई की सुविधा उपलब्ध हो तो बंजर जमीन पर भी खेती किया जा सकता है। बताया कि उनकी जमीन के समीप ही जुरिया नामक सरकारी तालाब है। दो वर्ष पूर्व भूमि संरक्षण विभाग की ओर से तालाब का जीर्णोद्धार कराया गया था। तालाब में सालों भर लबालब पानी रहता है। इसी तालाब के पानी से सब्जी की खेती की जा रही है। यह तालाब उनके लिए वरदान साबित हो रहा है। अशोक ने बताया कि कृषि विज्ञान केंद्र व सरकार की ओर से खेती के लिए आर्थिक सहयोग मिल जाए तो वे 12 महीने खेती करेंगे। फिलहाल उन्हें किसी प्रकार का सहयोग नहीं मिला है, वे अपने दम पर सब्जी की खेती कर रहे हैं।