संविधान के प्रति आदर का भाव रखना चाहिए : रजी

अर्का जैन विश्वविद्यालय के तीनों एनएसएस इकाइयों की ओर से गुरुवार को संविधान दिवस का आयोजन आनलाइन किया गया। इसके तहत संविधान के विभिन्न पक्षों के संबंध में चर्चाएं हुई।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 27 Nov 2020 07:00 PM (IST) Updated:Fri, 27 Nov 2020 07:00 PM (IST)
संविधान के प्रति आदर का भाव रखना चाहिए : रजी
संविधान के प्रति आदर का भाव रखना चाहिए : रजी

जासं, जमशेदपुर : अर्का जैन विश्वविद्यालय के तीनों एनएसएस इकाइयों की ओर से गुरुवार को संविधान दिवस का आयोजन आनलाइन किया गया। इसके तहत संविधान के विभिन्न पक्षों के संबंध में चर्चाएं हुई। साथ ही प्रस्तावना की शपथ ली गयी और मूल संवैधानिक दायित्वों का पाठ भी किया गया।

कुलपति प्रो एसएस रजी ने कहा कि संविधान हमारा सर्वोच्च विधान है और हम सभी को उसके प्रति आदर का भाव रखना चाहिए। निदेशक अमित श्रीवास्तव ने कहा कि प्रस्तावना के नाम से भारतीय संविधान का सार, अपेक्षाएं, उद्देश्य, उसका लक्ष्य तथा दर्शन प्रकट होता है। आनलाइन कार्यक्रम में पारस नाथ मिश्र, रजिस्ट्रार जसबीर धंजल, कैंपस निदेशक डा. अंगद तिवारी के अलावे हेल्थ साइंस के डीन डा. ज्योतिर्मय साहू एवं प्रोफेसर जिगर रुपानी, डा. मनोज कुमार पाठक सहित शिक्षक व एनएसएस के स्वयंसेवक शामिल थे।

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संविधान एक आत्म-अनुशासन है : डा. झा

जासं, जमशेदपुर : वीमेंस कालेज में संविधान दिवस के अवसर पर एक वेबिनार का आयोजन किया गया। इसमें बतौर मुख्य वक्ता कोल्हान विश्वविद्यालय के प्राक्टर डा. अशोक कुमार झा ने भारतीय संविधान की आत्मा को व्यावहारिक तरीके से समझाया। उन्होंने बताया कि संविधान एक आत्म-अनुशासन है जो भारतीय लोकतंत्र की रक्षा के लिए आवश्यक है। विशिष्ट वक्ता कोल्हान विश्वविद्यालय के पीआईओ और वोकेशनल कोऑर्डिनेटर डा. संजीव आनंद ने कहा कि संविधान में निहित प्रावधान वस्तुत: राज धर्म है। कार्यक्रम की मुख्य आयोजक वीमेंस कालेज की प्राचार्या प्रोफेसर डा. शुक्ला माहांती ने कहा कि संविधान की खूबसूरती इसमें है कि यह समाज के आखिरी व्यक्ति के अधिकारों की रक्षा की गारंटी देता है। कार्यक्रम का संचालन और संयोजन राजनीति विज्ञान विभाग की अध्यक्ष डा. सोनाली सिंह ने किया।

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