टाटा मोटर्स व टेस्ला में छिड़ा शीत युद्ध, टेस्ला भारत में आने को उत्सुक; लेकिन आयात शुल्क बन रहा बड़ा रोड़ा

टेस्ला के भारत में आने की आहट से ही टाटा मोटर्स खेमे में खलबली मच गई है। दोनों ही कंपनियों के बीच शीत युद्ध जैसा माहौल देखा जा रहा है। टेस्ला ने केंद्र सरकार को आयात शुल्क कम करने के लिए कहा तो टाटा मोटर्स आंखें तरेरने लगा।

By Jitendra SinghEdited By: Publish:Thu, 29 Jul 2021 06:00 AM (IST) Updated:Thu, 29 Jul 2021 09:27 AM (IST)
टाटा मोटर्स व टेस्ला में छिड़ा शीत युद्ध, टेस्ला भारत में आने को उत्सुक; लेकिन आयात शुल्क बन रहा बड़ा रोड़ा
टाटा मोटर्स व टेस्ला में छिड़ा शीतयुद्ध, टेस्ला भारत में आने को उत्सुक, लेकिन आयात शुल्क बन रहा बड़ा रोड़ा

जमशेदपुर, जासं। अमेरिका की नामी कार कंपनी टेस्ला इलेक्ट्रिक व्हीकल के रास्ते भारत में आने को उत्सुक है, लेकिन उसकी इस मंशा को टाटा मोटर्स समझ चुकी है। वह पहले ही सचेत हो गई। टाटा मोटर्स इस बात के प्रयास में जुट गई है कि टेस्ला को घुसने से रोका जाए। टेस्ला की इंट्री में आयात शुल्क भी बड़ा रोड़ा है।

आखिर क्यों चल रहा है टाटा मोटर्स व टेस्ला के बीच गृह युद्ध

आइए, हम आपको बताते हैं कि टाटा मोटर्स व टेस्ला के बीच यह शीत युद्ध क्यों और कैसे चल रहा है। दरअसल, आने वाला जमाना इलेक्ट्रिक व्हीकल या ईवी का है, यह सभी जानते हैं। यूरोप में तो ईवी कारों की संख्या पर्याप्त स्तर तक पहुंच चुकी है, जबकि भारत में इसकी उपलब्धता नाममात्र की है। वैसे सरकार की योजना है कि 2022 तक 40 प्रतिशत तक हो जाए।

ऑटोमोबाइल मार्केट के जानकार प्रकाश कुमार बताते हैं कि यहां टाटा भी इलेक्ट्रिक कार उतार चुकी है। जमशेदपुर की सड़क पर भी इन कारों को देखा जा सकता है। डीजल कारों का उत्पादन करीब दो वर्ष से बंद हो गया है। पेट्रोल इंजन वाली कारें बन रही हैं, लेकिन अब यह भी दो-तीन वर्ष में इतिहास हो सकती हैै। ऐसे में इलेक्ट्रिक कारों में अच्छी प्रतिष्ठा हासिल कर चुकी भारत के बाजार में टेस्ला आना चाहती है। आना ही नहीं, छा जाना चाहती है, लेकिन यह तभी होगा, जब यहां टाटा मोटर्स, हुंडई, होंडा आदि पहले से मौजूद कारें जगह दें।

भारत में आयात शुल्क सबसे ज्यादा

टेस्ला को भारत में प्रवेश करने में आयात शुल्क बड़ी बाधा है, क्योंकि भारत में आयात शुल्क सबसे ज्यादा है। ऐसे में महंगी कीमत पर उसकी कारों का बाजार कैसा रहेगा, इसे लेकर उहापोह की स्थिति है। टाटा मोटर्स भी चाहती है कि भारत सरकार आयात शुल्क में कोई रियायत नहीं बरते। केंद्र सरकार मेड इन इंडिया पर ही फोकस रखे। ऐसा हुआ तो टाटा मोटर्स एक वर्ष में इलेक्ट्रिक कार बाजार में अच्छी तरह पैठ बना लेगी। वैसे मर्सिडीज-बेंज और ऑडी फिलहाल इलेक्ट्रिक व्हीकल का आयात कर रही हैं। इस सूची में टेस्ला भी अपना नाम जोड़ना चाहती है।

 

 प्लांट लगाने की योजना पर भी विचार

अमेरिकी कंपनी टेस्ला भारतीय कार बाजार में घुसने के लिए यहां मैन्यूफैक्चरिंग यूनिट या प्लांट लगाने पर भी विचार कर रही है। कंपनी के शीर्ष अधिकारी एलोन मस्क ने हाल ही में कहा था कि ऐसी संभावना है कि कंपनी भारत में एक मैन्युफैक्चरिंग यूनिट स्थापित कर सकती है, लेकिन तभी जब उसे पहले आयातित वाहनों के साथ कुछ हद तक सफलता का अनुभव हो जाए।

दुर्भाग्य से यह संभव नहीं हो रहा है। भारत में आयात शुल्क दुनिया में सबसे ज्यादा है। हालांकि उन्हें उम्मीद है कि भारत सरकार इलेक्ट्रिक व्हीकल के मामले में रियायत बरत सकती है। वहीं टाटा मोटर्स के सीएफओ पी बालाजी ने कहा कि टाटा मोटर्स के दृष्टिकोण से भारत सरकार की नीति स्पष्ट है। सरकार स्थानीय उत्पादों को प्रोत्साहित करने की नीति पर कायम है।

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