सहकारिता प्रकृति व सामाजिक न्याय का नियम : डॉ. वंदना शिवा Jamshedpur News
एक्सएलआरआइ में छठे डॉ. वर्गीस कुरियन व्याख्यान का आयोजन प्रख्यात पर्यावरणीय कार्यकर्ता वंदना शिवा ने कहा कुरियन के सिद्धांतों ने मुझे दिखाई राह
जमशेदपुर (जागरण संवाददाता)। सहकारिता प्रकृति व सामाजिक न्याय का नियम है जबकि प्रतियोगिता एक कृत्रिम संरचना है जो अभाव व विवाद का निर्माण करती है। यह कहना था प्रख्यात पर्यावरणरणीय कार्यकर्ता डॉ. वंदना शिवा का। वे जेवियर स्कूल ऑफ मैनेजमेंट - एक्सएलआरआइ में शनिवार को आयोजित छठे डॉ. वर्गीस कुरियन मेमोरियल ओरेशन ऑन सस्टेनेबल डेवलपमेंट कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रही थीं।
वननेस वर्सेस द वन परसेंट इकोलोजिकल रिस्पांस टू द थ्रेट फोर प्लेनेट एंड इंडस्ट्री विषय पर बोलते हुए उन्होंने डॉ. वर्गीस कुरियन के योगदान को याद किया। उन्होंने कहा कि सहकारी डेयरी को विकसित करने के लिए जो सिद्धांत और विचार डॉ. वर्गीस कुरियन के थे वहीं उनके (डॉ. वंदना शिवा के) लिए मूलमंत्र बने। ये सिद्धांत न्याय व सतत व्यवस्था से जुड़े थे। डॉ. कुरियन का आंदोलन सहकारिता पर आधारित था न कि प्रतियोगिता पर। उन्होंने छोटे-छोटे उत्पादकों पर फोकस किया और विश्व की सबसे बडी डेयरी अर्थव्यवस्था खड़ी कर दी।
छोटे कृषकों के लिए है नवदन्या मूवमेंट
अपने नवदन्या मूवमेंट के बारे में बताते हुए डॉ. वंदना शिवा ने कहा कि यह छोटे किसानों के लिए है। औद्योगिक कृषि आधारित रसायन कृषि भूमि को नष्ट कर रहे हैं। जल संकट बढ़ रहा है और पर्यावरण एक चुनौती बनी हुई है। इसका असर है कि आज भूख, कुपोषण व गंभीर बीमारियां बढ़ रही हैं। नवदन्या के अभियानों ने यह साबित कर दिखाया है कि एग्रो इकोलोजी के जरिए पर्यावरण को सुरक्षित रखते हुए हम भूख व कृषकों के आत्महत्या करने जैसी समस्या को मिटा सकते हैं। साथ ही कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों को बढ़ावा देनेवाले जहरीले केमिकल का विस्तार भी रोक सकते हैं।
खाद्य सुरक्षा में डॉ. वंदना शिवा का अहम योगदान : फादर पी क्रिस्टी
एक्सएलआरआइ के निदेशक फादर पी क्रिस्टी ने मुख्य अतिथि डॉ. वंदना शिवा का स्वागत करते हुए खाद्य सुरक्षा में उनके योगदान का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि यह हमारा सौभाग्य है कि उनके जैसा पर्यावरणीय एक्टिविस्ट, खाद्य सुरक्षा की पैरोकार आज हमारे साथ है। उन्होंने पर्यावरण संरक्षण और कृषि उत्पादन, पोषण व किसानों की आय बढ़ाने में स्वदेशी तौर-तरीकों को बढ़ावा देने का काम किया है। उनका जीवन पृथ्वी और गरीब के लिए समर्पित है।
एक्सएलआरआइ के फादर अरूप सेंटर फोर इकोलोजी एंड सस्टेनेबिलिटी के चेयरपर्सन प्रो. मधुकर शुक्ला ने कहा कि हमारा उद्देश्य ऐसी व्यवस्था को बढ़ावा देना है जिसके जरिए समाज को बेहतर पर्यावरणीय, सामाजिक और आर्थिक मॉडल बन सके।