Petrol-Diesel के बढ़ती कीमतों से CII अध्यक्ष टीवी नरेंद्रन भी चिंतित, इस उत्पादों को भी जीएसटी के दायरे में लाने की कर दी मांग

पेट्रोल-डीजल की बेतहाशा बढ़ती कीमतों ने हम सभी को परेशान कर दिया है। अब उद्योग जगत भी चिंता जताने लगा है। सीआईआई के अध्यक्ष टीवी नरेंद्रन ने कहा कि पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमत का असर इंडस्ट्री पर भी पड़ने लगा है।

By Jitendra SinghEdited By: Publish:Sun, 20 Jun 2021 06:00 AM (IST) Updated:Sun, 20 Jun 2021 09:42 AM (IST)
Petrol-Diesel के बढ़ती कीमतों से CII अध्यक्ष टीवी नरेंद्रन भी चिंतित, इस उत्पादों को भी जीएसटी के दायरे में लाने की कर दी मांग
Petrol-Diesel के बढ़ती कीमतों से CII अध्यक्ष टीवी नरेंद्रन भी चिंतित

जमशेदपुर : कंफेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्रीज (CII)के नवनियुक्त अध्यक्ष व टाटा स्टील के प्रबंध निदेशक (Managing Director) ने केंद्र सरकार से मांग की है कि पेट्रोल व डीजल की कीमतों में कटौती की जाए। उन्होंने कहा कि यह न सिर्फ आम लोगों बल्कि उद्योग को भी नुकसान पहुंचा रही है। लगे हाथों उन्होंने यह भी मांग कर दी की पेट्रोलियम उत्पादों को वस्तु एवं सेवा कर (GST) के दायरे में लाया जाए। 

नरेंद्रन ने कहा कि सरकार ने पिछले तीन-चार सालों से पेट्रोल-डीजल पर टैक्स बढ़ाया है। अब केंद्र और राज्य सरकारों को देश के लोगों और उद्योग को राहत देने के लिए आगे आना चाहिए। केंद्र और राज्य सरकारों को चाहिए कि चर्चा करें और डीजल और पेट्रोल में दरों में कटौती के लिए कुछ संतुलन के साथ आगे आएं।उन्होंने आगे मांग की कि पेट्रोलियम उत्पादों को वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के तहत लाया जाना चाहिए।

नरेंद्रन ने कहा, एटीएफ को भी जीएसटी के दायरे में लाया जाए

नरेंद्रन ने कहा, मुझे नहीं पता कि समस्या क्या है लेकिन केंद्र और राज्यों को पेट्रोलियम उत्पादों को जीएसटी के तहत लाने के लिए एक समझौता करना चाहिए। विमानन उद्योग का उदाहरण देते हुए नरेंद्रन ने कहा कि एयरलाइंस को एटीएफ पर कुल लागत का 60 प्रतिशत खर्च करना पड़ता है। और हम मांग करते हैं कि एटीएफ को भी जीएसटी के दायरे में लाया जाए।

ग्रामीण क्षेत्र में बेरोजगारी दर बढ़कर 14 फीसद हुआ

नौकरियों पर कोविड 19 के प्रभाव के बारे में बात करते हुए उन्होंने आंकड़ों का हवाला दिया कि ग्रामीण बेरोजगारी दर आठ प्रतिशत से बढ़कर 14 प्रतिशत हो गई है जो लगभग दोगुना है। CII अध्यक्ष ने कहा, कोरोना की लगातार लहर का असर लोगों के आय और आजीविका पर पड़ा है। स्थिति यह है कि लोग मेडिकल खर्च को लेकर सशंकित हैं। इससे मांग प्रभावित होने की संभावना है। उन्होंने कहा, इसलिए सरकार को कुछ अल्पकालिक और जीएसटी दरों में कटौती से कुछ राहत देने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि छह महीने के लिए उपभोक्ता वस्तुओं पर जीएसटी दर में 2-3 प्रतिशत की कटौती करके सरकार आम आदमी को किसी तरह की राहत दे सकती है, जिन्होंने अपनी नौकरी खो दी या वेतन में कटौती का सामना किया है।

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