सीआइआइ कॉनक्लेव : बैंकों से प्रोजेक्ट के दस्तावेजों के साथ ऑनलाइन मांगें लोन : पीके गुप्ता

स्टार्ट-अप या नई कंपनी खोलने वालों को सबसे बड़ी समस्या बैंकों से ऋण (लोन) नहीं मिलने या देर से मिलने की समस्या रहती है। इसलिए सभी स्टार्ट अप शुरू करने वाले या माइक्रो स्मॉल एंड मीडियम (एमएसएमई) इंटरप्राइजेज संचालित करने वाले उद्यमी पहले खुद को भारत सरकार के गर्वनमेंट ई मार्केट प्लेस (जेम) में निबंधित करें।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 22 Nov 2019 07:46 AM (IST) Updated:Fri, 22 Nov 2019 07:46 AM (IST)
सीआइआइ कॉनक्लेव : बैंकों से प्रोजेक्ट के दस्तावेजों के साथ ऑनलाइन मांगें लोन : पीके गुप्ता
सीआइआइ कॉनक्लेव : बैंकों से प्रोजेक्ट के दस्तावेजों के साथ ऑनलाइन मांगें लोन : पीके गुप्ता

जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : स्टार्ट-अप या नई कंपनी खोलने वालों को सबसे बड़ी समस्या बैंकों से ऋण (लोन) नहीं मिलने या देर से मिलने की समस्या रहती है। इसलिए सभी स्टार्ट अप शुरू करने वाले या माइक्रो स्मॉल एंड मीडियम (एमएसएमई) इंटरप्राइजेज संचालित करने वाले उद्यमी पहले खुद को भारत सरकार के गर्वनमेंट ई मार्केट प्लेस (जेम) में निबंधित करें। इसके बाद बैंकों को अपने पूरे प्रोजेक्ट के साथ ऑनलाइन लोन के लिए आवेदन करें। यदि बैंक जवाब नहीं देता है या इंकार करता है तो उनके खिलाफ भारतीय रिजर्व बैंक के निर्देशों के अनुसार कार्रवाई हो सकती है।

सीआइआइ द्वारा दूसरा एमएसएमई कानक्लेव बिष्टुपुर स्थित एक होटल में हुआ। एमएसएमई क्षेत्र के समग्र विकास और विकास के लिए हितधारकों के बीच सहयोग विषय पर आयोजित इस सम्मेलन को संबोधित करते हुए भारत सरकार एमएसएमई विकास संस्थान, रांची के निदेशक पीके गुप्ता ने ये बातें कहीं। उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार की ओर से कई प्रावधान है जिसके तहत नए व पुराने उद्यमियों को 50 हजार से दो करोड़ का लोन मिल सकता है। उन्होंने बताया कि मुद्रा लोन के तहत 50 हजार से 10 लाख तक, प्राइम मिनिस्टर इम्प्लाईमेंट जनरेशन प्रोग्राम (पीएमईजीपी) के तहत 25 लाख, क्रेडिट गारंटी फंड ट्रस्ट फॉर माइक्रो एंड स्मॉल इंटरप्राइजेज (सीजीटीएमएसई) के तहत दो करोड़ रुपये और स्टैंड अप इंडिया के तहत महिलाओं व अनुसूचित जाति-जनजाति के उद्यमियों को एक करोड़ का लोन बिना सिक्योरिटी के मिल सकता है।

इस मौके पर पीके गुप्ता ने बताया कि नए उद्यमी या स्टार्ट अप शुरू करने वालों को उनके संस्थान से किस तरह से मदद ले सकते हैं। इस मौके पर सीआइआइ झारखंड एमएसएमई और स्टार्ट अप पैनल के संयोजक तापस कुमार साहू, सह संयोजक कृष्ण कुमार खारिया सहित सौ से ज्यादा नए उद्यमी व स्टार्ट अप शुरू करने वाले प्रतिनिधि उपस्थित थे। एमएसएमई द्वारा उद्यमियों को मिलने वाली सुविधाएं

कैपिटल सब्सिडी : एक करोड़ रुपये की नई तकनीक वाली मशीन के लिए संस्थान द्वारा 15 प्रतिशत व अधिकतम 15 लाख रुपये की सब्सिडी सरकार देगी। एससी-एसटी व महिलाओं को यह 25 प्रतिशत तक है। यह योजना अप्रैल 2020 तक ही प्रभावी है।

जीरो डिफेक्ट-जीरो इफेक्ट : सरकार की कोशिश है कि सभी एमएसएमई सेक्टर कंपनियों के उत्पाद गुणवत्ता पूर्ण हो और प्रदूषण न फैलाते हो। इसके लिए उन्हें डायमंड, प्लेटिनम, स्वर्ण, रजत व कांस्य रेटिंग भी मिलेगी। इसके लिए कंपनियों को थर्ड पार्टी ऑडिट भी कराना होगा। इसमें 40 हजार रुपये का खर्च आएगा। इसमें भी सरकार 20 से 80 प्रतिशत तक सब्सिडी देगी। लीन मैन्युफैक्चरिग कॉम्प्रेटिव स्कीम : इस स्कीम के तहत यदि नई कंपनी संचालक सरकार से विशेषज्ञ राय चाहती है तो उन्हें इसकी भी सुविधा मिलेगी। संस्थान चार-पांच कंपनियों के समूह में विशेषज्ञ प्रतिनियुक्त करेगी। विशेषज्ञ यदि साल भर अपनी सेवा देते हैं तो उनके खर्च का 80 प्रतिशत सब्सिडी भी सरकार देगी। डिजाइन क्लिनिक स्कीम : इस स्कीम के तहत उद्यमियों को संस्थान द्वारा अपने डिजाइन को बेहतर बनाने का मौका विशेषज्ञों द्वारा देती है। इंटीलेक्चुअल प्रोपर्टी पॉलिसी : यदि उद्यमी अपने उत्पाद या लोगों को सरकार के पास निबंधित करती है तो यह उसका पेटेंट हो जाएगा। लेकिन इसके लिए उनके पास उद्योग आधार मेमोरेंडम होना अनिवार्य है। निबंधन के लिए रजिस्ट्रेशन के समय 50 फीसदी और निबंधन मिलने के बाद 50 फीसदी फीस देनी होगी। निबंधन के लिए घरेलू प्लांट के लिए एक लाख, इंटरनेशनल उत्पाद के लिए पांच लाख, जीआई रजिस्ट्रेशन के लिए दो लाख व ट्रेडमार्क के लिए 10 लाख रुपये की फीस है। इंक्यूबेटर स्कीम : इस स्कीम के तहत संस्थान नए उद्यमियों व स्टार्ट अप को मेंटर सपोर्ट देती है। उन्हें टेक्नोलॉजी, बाजार उत्पाद डिजाइन, स्पेस व उत्पाद का बाजारीकरण करने में मदद दी जाती है। यदि उनके आइडिया एक वर्ष में उत्पाद होकर मार्केट में पहुंचती है और कोई कंपनी उसे लेने को तैयार होती है तो सरकार से उन्हें एक करोड़ रुपये का लोन भी मिलता है। झारखंड से फिलहाल जमशेदपुर, दुमका, रांची स्थित इंडो डेनिस टूल रूम सहित दो संस्थानों को मेंटोर संस्थान का प्रस्ताव बनाकर केंद्र सरकार को भेजा गया है, जल्द ही इसकी स्वीकृति मिलने की उम्मीद है। प्रोक्योरमेंट एंड मार्केट सपोर्ट स्कीम : नए उद्यमी व स्टार्ट अप करने वालों को अपने उत्पाद के लिए बाजार ढूढ़ने में भी सरकार से मदद मिलती है। सरकार द्वारा पैकेजिंग एंड सपोर्ट पर 50 हजार रुपये की छूट सहित राष्ट्रीय स्तर पर होने वाली प्रदर्शनी में अपने उत्पादों के स्टॉल लगाने व आने-जाने के लिए उन्हें 80 फीसदी जबकि एससी-एसटी व महिलाओं को 100 फीसदी सब्सिडी दी जाती है। पब्लिक प्रोक्योरमेंट स्कीम : पीके गुप्ता ने बताया कि सभी एमएसएमई सेक्टर के उद्यमियों को पब्लिक प्रोक्योरमेंट स्कीम 2012 देखना चाहिए। इस स्कीम के तहत प्रावधान है कि सेंट्रल व पब्लिक सेक्टर यूनिट को 358 तरह के उत्पाद एमएसएमई सेक्टर से ही खरीदना होगा। यह उनके लिए बड़ा बाजार है। इसमें टेंडर भरने पर भी उन्हें सरकार की ओर से सब्सिडी मिलेगी। अंतरराष्ट्रीय कॉरपोरेशन : नए उद्यमियों को अपने उत्पाद के लिए बाजार खोजने के लिए अंतराष्ट्रीय स्तर पर दो स्टॉल लगाने के लिए सवा दो लाख रुपये की सब्सिडी मिलेगी। इसमें आने-जाने का खर्च व स्टॉल लगाने का पैसा शामिल होगा। कोई एसोसिएशन भी अपने दस प्रतिनिधियों के साथ ही अंतराष्ट्रीय प्रदर्शनी पर जा सकते हैं। इसमें भी उन्हें सब्सिडी मिलेगी। प मेंट नहीं करने पर तीन गुणा पेनाल्टी

पीके गुप्ता ने बताया कि यदि किसी उद्यमी ने सेंट्रल या पीएसयू सेक्टर में माल की डिलीवरी की और उन्हें समय पर पैसा नहीं मिला तो समाधान पोटल पर शिकायत करें। इसके बाद भी उन्होंने 15 दिनों के अंदर संबधित एजेंसी ने पेमेंट का भुगतान नहीं किया तो दूसरे फोरम में वह शिकायत ट्रांसफर होगी। इसके बावजूद 90 दिनों में भुगतान नहीं होता है तो संबधित एजेंसी को कुल राशि के ब्याज का तीन गुणा (24 प्रतिशत) की दर से भुगतान करना होगा। पोर्टल से मिलेगी पर्चेज की पूरी जानकारी : एमएसएमई के निदेशक ने बताया कि भारत सरकार का एक पोटल है संबंध। इसमें किस सेंट्रल व पीएसयू सेक्टर ने पिछले वर्ष कौन सा सामान, कितना खरीदा। सम्मेलन में किसने क्या कहा

एमएसएमई सेक्टर तभी सफल हो सकता है जब उनके पास बुनियादी ढ़ांचा, फंड, टेक्नोलॉजी हो। यह बहुत बढि़या मंच है जहां एमएसएमई सेक्टर व स्टार्ट अप को अपनी कंपनी स्थापित करने की पूरी जानकारी मिलेगी।

-एसके बेहरा, सीआइआइ के पूर्व अध्यक्ष सह आरएसबी ग्रुप के वाइस प्रेसिडेंट

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झारखंड में एमएसएमई सेक्टर को फलने-फूलने की पूरी संभावना है। बशर्ते सरकार वित्तीय दृष्टिकोण से मजबूत वातावरण तैयार करे। उन्हें तकनीकि रूप से मदद दे।

-संजय सभरवाल, सीआइआइ झारखंड कांउसिल उपाध्यक्ष

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सकल घरेलू उत्पाद में एमएसएमई सेक्टर के पास इतनी क्षमता है कि 50 प्रतिशत तक योगदान सहित नए रोजगार दे सकती है। इसके लिए जरूरी है कि वे जाने कि सरकार की ओर से उन्हें क्या मदद मिल सकती है।

-राणा दास, चीफ प्रोक्योरमेंट, टाटा स्टील

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