प्रकृति का नायाब तोहफा है चाकुलिया का घाघ झरना

यूं तो लगभग पूरा झारखंड ही प्रकृति की गोद में बसा हुआ है लेकिन खूबसूरत वादियों से घिरे इस प्रदेश के अनेक पर्यटन स्थल अभी भी गुमनामी के शिकार हैं। ऐसे स्थल न तो सरकार के पर्यटन नक्शे में कहीं दर्ज है और ना ही सैलानियों को उनके बारे में जानकारी है..

By JagranEdited By: Publish:Tue, 29 Sep 2020 01:27 AM (IST) Updated:Tue, 29 Sep 2020 01:27 AM (IST)
प्रकृति का नायाब तोहफा है चाकुलिया का घाघ झरना
प्रकृति का नायाब तोहफा है चाकुलिया का घाघ झरना

संसू, चाकुलिया : यूं तो लगभग पूरा झारखंड ही प्रकृति की गोद में बसा हुआ है, लेकिन खूबसूरत वादियों से घिरे इस प्रदेश के अनेक पर्यटन स्थल अभी भी गुमनामी के शिकार हैं। ऐसे स्थल न तो सरकार के पर्यटन नक्शे में कहीं दर्ज है और ना ही सैलानियों को उनके बारे में जानकारी है। ऐसा ही एक पर्यटन स्थल पूर्वी सिंहभूम जिला अंतर्गत चाकुलिया प्रखंड के मटियाबांधी पंचायत के घाघरा गांव के समीप है, जिसका नाम है घाघ झरना। खूबसूरत प्राकृतिक छटा एवं हसीन वादियों को अपने दामन में समेटे यह झरना ग्रामीणों के लिए प्रकृति का अनुपम उपहार है। यह गर्मियों में लोगों की प्यास बुझाती है। बारिश का मौसम शुरू होते ही इसकी सुंदरता देखते बनती है। लगभग 30 फुट की ऊंचाई से इस झरने का पानी जब नीचे गिरता है तो इसकी आवाज लोगों को रोमांचित करती है। झरने का दूधिया पानी, चारों ओर ऊंचे ऊंचे पहाड़ तथा साल के जंगलों के बीच से होते हुए घाघ झरना तक पहुंचने का रास्ता किसी को भी अपनी ओर आकर्षित करती है। आसपास के लोग यहां का मनोरम ²श्य देखकर मानसिक थकान मिटाते हैं। लेकिन आश्चर्य की बात यह है कि घाट झरने को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की कोई पहल अभी तक प्रशासन की तरफ से नहीं हुई है। उम्मीद की जा रही है कि प्रशासन और पर्यटन विभाग की नजर इस झरने पर शीघ्र पड़ेगी और यह एक बेहतर पर्यटन स्थल के रूप में विकसित हो सकेगा। ऐसा होने से चाकुलिया एवं आसपास के लोगों को रोजगार तो मिलेगा ही, साथ ही साथ सरकार को भी राजस्व की प्राप्ति हो सकेगी।

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