शहरों में सीडीपीओ का बसेरा, गांवों में कुपोषण का डेरा

पूर्वी सिंहभूम जिला अंतर्गत घाटशिला अनुमंडल सीडीपीओ विहीन हो गया है। अनुमंडल के सात प्रखंडों में अब कहीं भी बाल विकास परियोजना पदाधिकारी पदस्थापित नहीं हैं..

By JagranEdited By: Publish:Tue, 03 Aug 2021 06:30 AM (IST) Updated:Tue, 03 Aug 2021 06:30 AM (IST)
शहरों में सीडीपीओ का बसेरा, गांवों में कुपोषण का डेरा
शहरों में सीडीपीओ का बसेरा, गांवों में कुपोषण का डेरा

पंकज मिश्रा, चाकुलिया : पूर्वी सिंहभूम जिला अंतर्गत घाटशिला अनुमंडल सीडीपीओ विहीन हो गया है। अनुमंडल के सात प्रखंडों में अब कहीं भी बाल विकास परियोजना पदाधिकारी पदस्थापित नहीं हैं। घाटशिला प्रखंड में पदस्थापित एकमात्र सीडीपीओ सुप्रिया शर्मा को दो दिन पहले स्थानांतरित करते हुए पलामू जिले के हरिहरगंज भेज दिया गया है। जबकि उनका कार्यकाल अभी पूरा नहीं हुआ था।

सर्वविदित है कि शहरों की तुलना में ग्रामीण इलाके में गरीबी, पिछड़ापन एवं कुपोषण अधिक होता है। लेकिन कुपोषण को दूर भगाने का जिम्मा जिस विभाग के पास है, उसके पदाधिकारियों को ग्रामीण इलाका बिल्कुल नहीं सुहाता है। इधर, अनुमंडल के अन्य पांच प्रखंड चाकुलिया, बहरागोड़ा, डुमरिया, धालभूमगढ़ एवं मुसाबनी में वर्षो से सीडीपीओ का पद रिक्त पड़ा है। गुड़ाबांधा नया प्रखंड बनने के बाद आज तक यहां किसी सीडीपीओ की पदस्थापना नहीं हुई है। यहां परियोजना को अभी भी धालभूमगढ़ एवं बहरागोड़ा में बांटकर चलाया जा रहा है। पूरे अनुमंडल में सीडीपीओ का प्रभार कहीं बीडीओ के पास है तो कहीं सीओ के पास। चाकुलिया में मई, 2017 में श्वेता भारती के स्थानांतरण के बाद अभी तक किसी सीडीपीओ की पदस्थापना नहीं हुई है। फिलहाल सीओ जयवंती देवगम यहां प्रभार में हैं। बहरागोड़ा में सितंबर, 2019 में तत्कालीन सीडीपीओ जीरामनी हेंब्रम की सेवानिवृत्ति के बाद से बीडीओ राजेश साहू प्रभार संभाल रहे है। डुमरिया में मार्च, 2016, धालभूमगढ़ में मई, 2017 तथा मुसाबनी में मार्च, 2019 से किसी सीडीपीओ की पोस्टिग नहीं हुई है। कुल मिलाकर, पूरे अनुमंडल में आइसीडीएस प्रभार बैसाखी के सहारे चल रहा है। शहरों में जमे अधिकारी, ग्रामीण इलाके खाली : राज्य के बड़े शहरों जैसे रांची, हजारीबाग, जमशेदपुर, धनबाद बोकारो आदि में सीडीपीओ के पद लगभग भरे हुए हैं। बड़े शहरों से सटे प्रखंडों में भी पदाधिकारी तैनात हैं। लेकिन शहर से दूर के इलाके जहां कुपोषण का डेरा है, वहां सीडीपीओ के पद रिक्त पड़े हुए हैं। दिनोंदिन होती जा रही अधिकारियों की कमी : राज्य में पहले से ही सीडीपीओ की कमी थी। 224 परियोजना के विरुद्ध मात्र 123 सीडीपीओ ही कार्यरत थीं। इनमें से 28 सीडीपीओ की प्रोन्नति गत वर्ष डीएसडब्ल्यू के पद पर हो गई, जिसके बाद 95 सीडीपीओ ही बच गई। उनमें से अधिकांश बड़े शहरों के इर्द-गिर्द ही डेरा जमाए हुए हैं। बीते 31 जुलाई को निकली सीडीपीओ स्थानांतरण पदस्थापना की सूची में भी अधिकांश अधिकारियों को शहरी क्षेत्रों से सटे इलाकों में ही पदस्थापित होते देखा गया। एक सीडीपीओ ने कहा कि इस बदहाल स्थिति के लिए विभाग ही जिम्मेदार है। सुपरवाइजरों के भी अधिकांश पद रिक्त : सीडीपीओ की तरह ही आंगनबाड़ी सुपरवाइजर यानी महिला पर्यवेक्षिकाओं का पद भी अनुमंडल में बड़ी संख्या में रिक्त पड़ा हुआ है। बहरागोड़ा प्रखंड में आठ की जगह चार, चाकुलिया में छह ही जगह तीन व घाटशिला में पांच की जगह दो महिला पर्यवेक्षिका पदस्थापित है। चाकुलिया की एक सुपरवाइजर को बोड़ाम प्रखंड तथा घाटशिला की एक सुपरवाइजर को डुमरिया प्रखंड प्रतिनियुक्त किया गया है, क्योंकि वहां विभाग लगभग खाली हो गया था। मुसाबनी प्रखंड भी एकमात्र सुपरवाइजर के भरोसे चल रहा है।

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