Jamshedpur Campus Watch: उगलते बन रहा, ना निगलते, पढिए शिक्षा जगत की अंदरूनी खबर

Campus Watch Jamshedpur. शिक्षकों को न उगलते बन रहा और ना निगलते। कोविड के वर्तमान दौर में स्कूलों को खोलकर रखने का आदेश दिया गया है। इसमें 50 प्रतिशत शिक्षकों को विद्यालयों में उपस्थिति सुनिश्चित होनी है। सैकड़ों शिक्षकों को कोरोना के कार्य में लगाया गया है।

By Rakesh RanjanEdited By: Publish:Thu, 22 Apr 2021 08:08 PM (IST) Updated:Fri, 23 Apr 2021 09:44 AM (IST)
Jamshedpur Campus Watch: उगलते बन रहा, ना निगलते, पढिए शिक्षा जगत की अंदरूनी खबर
पढे झारखंड के जमशेदपुर के शिक्षा विभाग की अंदरूनी खबर।

जमशेदपुर, वेंकटेश्वर राव। Jamshedpur Campus Watch स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग का फरमान शिक्षकों को न उगलते बन रहा और ना निगलते। कोविड के वर्तमान दौर में स्कूलों को खोलकर रखने का आदेश दिया गया है। इसमें 50 प्रतिशत शिक्षकों को विद्यालयों में उपस्थिति सुनिश्चित होनी है। इसके अलावा सैकड़ों शिक्षकों को कोरोना के कार्य में लगाया गया है।

यहां तक कि 50 वर्ष से उपर वाले शिक्षकों को भी। जो भी शिक्षक स्कूल जाएंगे उन्हें किताबों का वितरण करना है तथा ऑनलाइन क्लास भी लेना है। यहां तक कि इस संबंध में रोजाना प्रतिवेदन भी देना है। स्कूल तो बंद है पर एक दिन छोड़कर एक दिन शिक्षकों को जाना पड़ रहा है। जहां मात्र दो शिक्षक है वहां एक शिक्षक स्कूल जा रहे हैं। वे अकेले ही कक्ष में बैठकर समय पार करते हैं। विभाग के दिशा निर्देश का इंतजार करते दिखते हैं। बच्चों तक किताबों को पहुंचाने की जिम्मेदारी भी उन पर है।

नहीं बन पाएंगे नामांकन के बॉस

आइसीएसई व सीबीएसई की दसवीं की परीक्षाएं रद होने के बाद अब स्कूलों को सीधे 11वीं में एडमिशन लेना है। आइसीएसई स्कूलों ने तो यह कार्य प्रारंभ कर दिया है, लेकिन शहर के कई प्रमुख सीबीएसई स्कूलों को इससे परेशानी हो सकती है। इन स्कूलों ने 11वीं में एडमिशन के लिए टेस्ट ले रखा है। इसमें स्कूल के बाहर के भी छात्रों ने भी परीक्षा दी थी। वर्तमान परिस्थिति में सीबीएसई स्कूलों को पहले अपने स्कूल के छात्रों का दाखिला लेना होगा। सीट खाली रहने पर ही बाहर के छात्रों को नामांकन हो सकेगा। डीएवी समेत कई स्कूल अपने ही स्कूल के कमजोर बच्चों को टेस्ट के माध्यम से दरकिनार कर देते थे, लेकिन इस बार ऐसा नहीं चलने वाल। इस बार ऐसा होने पर प्रशासनिक कार्रवाई भी हो सकती है। सबसे पहले अपने स्कूल के बच्चों को प्राथमिकता देनी होगी। बॉस बनने का ख्याल उन्हें दिमाग से उतारना होगा।

अखिलेश सर बनाम कोविड

शिक्षा विभाग के सहायक कार्यक्रम पदाधिकारी अखिलेश कुमार का पीछा कोविड पिछले डेढ़ साल नहीं छोड़ रहा। यह पदाधिकारी पिछले साल से कोविड के जिला नियंत्रण कक्ष में पदस्थापित है। मुख्य रूप से यह पदाधिकारी शिकायतों को सुनने के बाद संबंधित व्यक्ति को दूरभाष पर सूचित करता है, सिर्फ यहीं इस शिकायत कितनी पर कार्रवाई हुई इसका रोजाना प्रतिवेदन भी बनाता है। फिर अगले दिन फालाेअप भी करता है। यह पदाधिकारी पिछले वर्ष कोविड संक्रमण का शिकार हुआ था। अनुबंध पर होने के बावजूद यह पदाधिकारी कोविड नियंत्रण में अपना महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है। वर्तमान में जिला नियंत्रण कक्ष का वरीय पदाधिकारी जिला शिक्षा पदाधिकारी एसडी तिग्गा को बनाया गया है। उनको भी अखिलेश सर सपोर्ट करेंगे। ऐसा आदेश जिला प्रशासन द्वारा निकाला गया है। बेचारे अखिलेश सर। जिस विभाग के लिए उनकी नियुक्ति हुई है वे पिछले डेढ़ साल से अपना कार्य नहीं कर पा रहे हैं।

हमारी आवाज सुनो

निजी स्कूलों के अभिभावक बेचारे हो गए है। उनकी आवाज कोई नहीं सुन रहा। स्कूल अपनी मनमानी कर रहे हैं। अभिभावक स्कूल से लेकर शिक्षा विभाग तक ट्यूश्न फीस व अन्य फीस में बढा़ेत्तरी का चक्कर लगा रहे हैं। दफ्तरों का चक्कर काट रहे हैं। अब तो ईमेल से भी ज्ञापन आने लगे हैं। कोई आकर ड्रॉप बॉक्स में भी अपनी शिकायत डाल दे रहा है। इन सबके कार्य करने के बावजूद अभिभावकों को कोई फायदा नहीं हुआ। विभाग ने भी इस संबंध में कोई पत्राचार अब तक नहीं किया है। स्कूलों ने नियमों को ताक पर रखकर ट्यूशन फीस समेत री एडमिशन फीस समेत कई फीस लेना प्रारंभ कर दिया है। बावजूद इसके विभाग मौन है। इस मौन को अभिभावक अब सहमति समझने लगे हैं। मालूम हो कि ट्यूशन फीस में बढ़ोत्तरी का निर्णय फीस निर्धारण समिति को ही लेना है। पिछले डेढ़ साल से इस समिति की बैठक नहीं हो पाई है।

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