जांच पर जांच से साहब परेशान

पूर्वी सिंहभूम जिला का शिक्षा विभाग इन दिनों जांच पर जांच से परेशान हैं।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 11 Feb 2021 09:30 AM (IST) Updated:Thu, 11 Feb 2021 09:30 AM (IST)
जांच पर जांच से साहब परेशान
जांच पर जांच से साहब परेशान

पूर्वी सिंहभूम जिला का शिक्षा विभाग इन दिनों जांच पर जांच से परेशान हैं। एक पूरी होती है तो दूसरी प्रारंभ हो जाती। इस कारण विभाग के साहब परेशान हैं। पहले शहरी क्षेत्र के आवासीय भत्तों की जांच हुई। बदोनों ही मामलों में उपायुक्त के आदेश पर टीमों का गठन हुआ है। शिक्षा विभाग के अधिकारी इस टीम का हिस्सा होते हैं। जांच पर जांच से साहब परेशान हैं। इसकी भड़ास कभी-कभार कर्मचारियों पर भी निकाल देते हैं। कर्मचारी भी क्या करें, बेचारे साहब की मजबूरी भी समझ रहे हैं। जांच पर जांच से जहां विभाग की किरकिरी हो रही है, वहीं स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग की नजर में भी यहां के पदाधिकारी टारगेट में बने हुए हैं।

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धंधा है पर गंदा है ये

शहर के निजी स्कूलों में इन दिनों में 11वीं में नामांकन को लेकर प्रवेश परीक्षाएं आयोजित हो रही हैं, जबकि अभी तक बोर्ड परीक्षाएं भी नहीं हुई हैं। दरअसल जमशेदपुर के निजी स्कूल 11वीं नामांकन की प्रक्रिया प्रारंभ हो चुके हैं। इसके लिए स्कूलों द्वारा आयोजित प्रवेश परीक्षा की तिथियां भी घोषित हो चुकी हैं। इसमें उत्तीर्ण होने पर सभी बच्चों का नामांकन 11वीं में हो जाएगा, जबकि बोर्ड परीक्षा का रिजल्ट जून में आएगा। इस दौरान यदि कोई छात्र दसवीं की बोर्ड परीक्षा में फेल हो जाता है, उसके नामांकन को स्वत: रद समझा जाएगा। इससे छात्र किस तनाव से गुजरेंगे, इससे स्कूल को कोई लेना देना नहीं है। बस उनका धंधा चलना चाहिए। प्रवेश परीक्षा के नाम पर शुल्क भी वसूला जाता है। इससे भी मोटी कमाई निजी स्कूलों की हो जाती है। यह उनका धंधा है, लेकिन यह कितना उचित है। इस पर स्कूलों को सोचना चाहिए।

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बच्चों की खातिर बेचारे बने अभिभावक

मोतीलाल नेहरू पब्लिक स्कूल में तकनीकी खराबी के कारण पिछले दो दिन से आनलाइन पेमेंट नहीं हो पा रहा था, अभिभावकों को मैसेज आ रहा था कि फीस जमा कर एडमिट कार्ड ले जाएं। जिन विद्यार्थियों की फीस जमा है, वे भी आकर एडमिट कार्ड की पर्र्ची ले जाएं। दो दिनों के बाद भी जब व्यवस्था में सुधार नहीं हुआ तो अभिभावकों ने स्कूल जाने में ही भलाई समझी। सुबह से अभिभावक कतारबद्ध होकर राशि जमा कर रहे थे तथा अपने बच्चों की वार्षिक परीक्षा का एडमिट कार्ड लेकर जा रहे थे। बच्चों के खातिर अभिभावक बेचारे बनकर रह गए। स्कूल में आकर एडमिट कार्ड की पर्ची लेना उनकी मजबूरी बन चुकी है। छोटे बच्चों की परीक्षा तो आनलाइन होगी, लेकिन उनकी कापी प्रिट कर स्कूल में इसी पर्ची के साथ जमा करनी होगी। इस कारण अभिभावकों के पास इस पर्ची को संभाल कर रखने का टेंशन भी उन्हें है।

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पढ़ाओं वर्ना आ जाएंगे बॉस

सरकारी हाईस्कूलों में इन दिनों 10वीं एवं 12वीं की कक्षाएं चल रही हैं। शिक्षक बच्चों को पढ़ाने को बाध्य हैं, कोई फांकी नहीं चल रही है। हमेशा स्कूलों को अलर्ट रहना पड़ रहा है कि कब साहब उनके स्कूल में आ टपके। दरअसल डीईओ इन दिनों लगातार हाइस्कूलों का दौरा कर रहे हैं। जहां भी शिक्षक फांकी मार रहे हैं वहां के शिक्षकों को डांट-फटकार भी लगा रहे हैं। जिस स्कूल में कक्षा में शिक्षक अनुपस्थित पाते हैं, वहां वे खुद ही बच्चों को पढ़ाने लगते हैं। इसे देखकर शिक्षक भी अपना चेहरा छुपा लेते हैं। ऐसी परिस्थिति का सामना न करना पड़े इस कारण शिक्षक अब कक्षावार पढ़ाने लगे हैं। स्कूल परिसर में भी कोई शिक्षक भ्रमण करते हुए अब नहीं मिलता। जिस शिक्षक का क्लास नहीं होता है, वह पाठ्यक्रम का अवलोकन करते रहते हैं। कौन से स्कूल में साहेब कब जाएंगे यह किसी को पता नहीं रहता।

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