कॉल ड्रॉप की समस्या से हर कोई परेशान, भारतीय जन महासभा ने सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव से की शिकायत
आम सी लगने वाली इस समस्या को भारतीय जन महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष धर्मचंद्र पोद्दार ने ना केवल गंभीरता से लिया है बल्कि इसकी शिकायत केंद्रीय सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव से की है। ईमेल से शिकायत के साथ ही जमशेदपुर निवासी पोद्दार ने उनसे मिलने का समय मांगा है।
जमशेदपुर, जासं। यह आपके साथ भी होता होगा कि फोन करने पर कॉल तो उठ जाता होगा, लेकिन बात नहीं होती होगी। कभी आपको आवाज सुनाई नहीं देती, तो कभी दूसरी तरफ के आदमी का हेलो-हेलो बोलते गला बैठ जाता होगा। अंत में खीझकर दोनों में से कोई कॉल काट देता है। दोबारा फोन करने पर उसी नंबर से बात होने लगती है। यह कॉल ड्रॉप की समस्या है, जिससे हर कोई परेशान है।
आम सी लगने वाली इस समस्या को भारतीय जन महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष धर्मचंद्र पोद्दार ने ना केवल गंभीरता से लिया है, बल्कि इसकी शिकायत केंद्रीय सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव से की है। ईमेल से शिकायत के साथ ही जमशेदपुर निवासी पोद्दार ने उनसे मिलने का समय मांगा है। पोद्दार कहते हैं कि आमतौर पर लोग यही समझते हैं कि यह तकनीकी समस्या होगी, जबकि ऐसा नहीं है। हर आदमी के साथ देश भर में ऐसी समस्या क्यों हो रही है। मौसम कैसा भी हो, किसी भी समय, दिन भर में कम से कम तीन-चार कॉल इस तरह के होते ही हैं, जिसमें एक बार में बात नहीं होती, लेकिन फोन का बिल उठ जाता है। यह समस्या आज से सात-आठ साल पहले भी जोर-शोर से आई थी। इसके बाद सरकार ने सख्ती की, तो रूक गई थी। इधर करीब छह माह से यह समस्या फिर शुरू हो गई है। इसमें मोबाइल उपभोक्ता के पैसे कट जाते हैं, लेकिन एक बार में बात नहीं होती है।
सूचना प्रौद्योगिकी विभाग पूरी तरह जिम्मेदार
धर्मचंद्र पोद्दार कहते हैं कि उपभोक्ताओं की जेब कट रही और मोबाइल कंपनियां हर दिन करोड़ों-अरबों रुपये का वारा-न्यारा कर रहे हैं। इसके लिए पूरी तरह सूचना प्रौद्योगिकी विभाग जिम्मेदार है। ऐसा हो नहीं सकता कि उनके कर्मचारियों या अधिकारियों के साथ ऐसा नहीं होता होगा। यदि मोबाइल कंपनियों ने उन्हें बख्श भी दिया होगा, तो आम लोगों से शिकायत तो मिलती ही होगी। विभाग ने इसके लिए क्या कदम उठाए। इससे भी हैरानी की बात तो यह है कि भारतीय जन महासभा ने इस मंत्रालय से इतने पत्राचार किए, कोई जवाब तक नहीं दिया गया। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि यह मंत्रालय और इसके कर्मचारी-अधिकारी कितने लापरवाह हैं। भारत सरकार के इस विभाग में सैकड़ों कर्मचारी आखिर क्या काम कर रहे हैं। देश के लोगों की सेवा करने के लिए ही इनको इतनी मोटी रकम वेतन के रूप में दी जाती है। इनको काम करना चाहिए। भारत सरकार को चाहिए कि लापरवाही बरतने वाले लोगों को निलंबित कर दिया जाए।
दिसंबर 2020 से किया जा रहा मेल-ट्वीट
इस विभाग को दूसरे मामलों में दिसंबर 2020 से बार-बार मेल या ट्वीट किया जा रहा है, लेकिन कोई जवाब तक नहीं दिया जाता है। इतने भारी भरकम स्टाफ को रखने की आवश्यकता क्या है। आखिर इनकी लापरवाही कौन देखेगा। पोद्दार ने मांग की है कि सूचना एवं प्रौद्योगिकी विभाग के मंत्री अश्विनी वैष्णव इसका जवाब जनता को अविलंब दें। यही हाल सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय का भी है। उन्हें भी दिसंबर 2020 से बार-बार हमलोगों ने मेल और ट्वीट किया है। लेकिन वहां से भी किसी ने कोई जवाब तक देने का कष्ट नहीं उठाया। उस विभाग में बहुत सारे कर्मचारी हैं, लेकिन क्या करते हैं यह तो वहां के केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकर ही बता सकते हैं। भारत के सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर को भी चाहिए कि वे जनता को इसका जवाब दें।