कैट ने केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल को भेजा पत्र, इन ई-कॉमर्स कंपनियों के खिलाफ की ये मांग

कैट ने केंद्रीय वाणिज्य मंत्री को एक पत्र भेजा है। इसमें कैट के पदाधिकारियों ने मांग की है कि ई-कॉमर्स नियमों के मसौदे पर हितधारकों से सभी सुझाव प्राप्त हो गए हैं इसलिए अब बिना किसी और विलंब के केंद्रीय उपभोक्ता मामलों का मंत्रालय उक्त सुझावों पर विचार करे।

By Rakesh RanjanEdited By: Publish:Mon, 26 Jul 2021 05:54 PM (IST) Updated:Mon, 26 Jul 2021 07:07 PM (IST)
कैट ने केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल को भेजा पत्र, इन ई-कॉमर्स कंपनियों के खिलाफ की ये मांग
केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल को एक पत्र भेजा है।

जमशेदपुर, जागरण संवाददाता। कंफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल को एक पत्र भेजा है। इसमें कैट के पदाधिकारियों ने मांग की है कि ई-कॉमर्स नियमों के मसौदे पर हितधारकों से सभी सुझाव प्राप्त हो गए हैं इसलिए अब बिना किसी और विलंब के केंद्रीय उपभोक्ता मामलों का मंत्रालय उक्त सुझावों पर विचार करे। साथ ही तुरंत ई-कॉमर्स नियमों को अधिसूचित करना चाहिए ताकि भारत में ई-कॉमर्स व्यवसाय को सही तरीके से चलाया जा सके। सरकार की इस पहल से न केवल छोटे व्यापारी बल्कि देश के आम उपभोक्ता भी उसका पूर्ण लाभ उठा सकेंगे।

कैट के पदाधिकारियों का कहना है कि देश के ई कॉमर्स व्यापार में व्याप्त विसंगतियों को दूर करने के लिए ई कॉमर्स नियमों को तुरंत जारी किया जाए। साथ ही केंद्रीय मंत्री को बताया है कि कर्नाटक हाई कोर्ट द्वारा हाल ही में अमेजन व फ्लिपकार्ट द्वारा दायर याचिका, जिसमें सीसीआई द्वारा जांच पर रोक लगाने की मांग की गई थी, उसे हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है। ऐसे में केंद्रीय मंत्री सीसीआई को जांच तुरंत शुरू करने का निर्देश दें। पीयूष गोयल को भेजे पत्र में कैट के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीण खंडेलवाल और राष्ट्रीय सचिव सुरेश सोंथालिया ने कहा कि राखी से दिवाली तक शुरू होने वाले आगामी त्योहारी सीजन को देखते हुए ई-कॉमर्स के नियमों को तुरंत अधिसूचित किया जाना आवश्यक है। जिससे देश में एक स्वस्थ एवं पारदर्शी ई कॉमर्स व्यवस्था कायम हो सके। जिसका लाभ न केवल छोटे व्यापारी बल्कि आम उपभोक्ता भी उठा सकेंगे। लेकिन उससे पहले कुछ बड़ी ई-कॉमर्स कंपनियों की दादागिरी को ख़त्म करना बेहद जरूरी है। ई कॉमर्स व्यवसाय के वार्षिक कारोबार का लगभग 50 प्रतिशत व्यापार इसी त्योहारी सीजन की अवधि के दौरान होता है। इस तरह के त्योहार की अवधि के महत्व को देखते हुए ई-कॉमर्स व्यवसाय को इस तरह से विनियमित किया जाना चाहिए जिससे गैर-भेदभावपूर्ण और पारदर्शी व्यापार प्रणाली हो सके।

ये भी कहा कैट के पदाधिकारियों ने

प्रवीण खंडेलवाल और सुरेश सोंथालिया ने कहा कि विचाराधीन नियम भारत में ई-कॉमर्स व्यवसाय के संचालन के तौर-तरीकों और मानकों का स्पष्ट दस्तावेज हैं। भारत के ई-कॉमर्स और खुदरा व्यापार को नियंत्रित करने के लिए कुछ वैश्विक ई-टेलर्स की दीर्घकालिक रणनीति को नष्ट करेंगे। भारत में एक समान के स्तर और स्वस्थ प्रतिस्पर्धा का व्यापारिक माहौल बनाएंगे। कुछ निहित स्वार्थ समूहों द्वारा प्रस्तावित नियमों का अतार्किक और अनावश्यक विरोध उनका अनर्गल प्रलाप है जिसका कोई आधार नहीं है। यह कंपनियां समझ लें कि भारत के आठ करोड व्यापारी पूरी तरह सतर्क हैं और किसी भी सूरत में किसी भी ई-कॉमर्स कंपनी को देश के ई कॉमर्स व्यवसाय का अपहरण नहीं करने देंगे। सुरेश सोंथालिया का कहना है कि विदेशी वित्त पोषित ई-कॉमर्स कंपनियों के व्यापार प्रथाओं के अनैतिक और कानून का उल्लंघन करने से देश में बड़ी संख्या में दुकानें बंद हो गई हैं। इन ई-कॉमर्स कंपनियों ने छोटे व्यापारियों के व्यवसायों को प्रोत्साहित करने के बजाय सभी प्रकार के कदाचारों में लिप्त होकर देश के छोटे व्यापारियों के व्यापार को बर्बाद करने का षड्यंत्र रचा गया है और अब समय आ गया है जब इस षड्यंत्र को समाप्त किया जाए। कैट ने कहा कि भारत के व्यापारी ई-कॉमर्स के खिलाफ नहीं हैं लेकिन यह मानते है कि ई-कॉमर्स भविष्य का सबसे आशाजनक व्यवसाय है और भारत के व्यापारियों को भी ई-कॉमर्स को व्यापार के एक अन्य स्वरूप के रूप में अपनाना चाहिए जिसके लिए कैट प्रतिबद्व है।

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