Business Buzz: सलाहकार भी नहीं करा पाए बेहतर ग्रेड-बोनस, पढिए काॅरपोरेट जगत की अंदरूनी खबर

Business Buzzकमिंस प्रबंधन यूनियन अध्यक्ष से नाराज दिख रहा है। शायद यही वजह है कि अब प्रबंधन ने यूनियन नेताओं को स्पष्ट कर दिया है कि वे अपने बीच से ही नेता चुन लें बाहरी नेता उन्हें मंजूर नहीं। पढिए काॅरपोरेट जगत की अंदरूनी खबर

By Rakesh RanjanEdited By: Publish:Tue, 13 Apr 2021 04:55 PM (IST) Updated:Tue, 13 Apr 2021 04:55 PM (IST)
Business Buzz: सलाहकार भी नहीं करा पाए बेहतर ग्रेड-बोनस, पढिए काॅरपोरेट जगत की अंदरूनी खबर
ग्रेड-बोनस समझौते पर सवाल उठना शुरू हो गया है।

जमशेदपुर, निर्मल। टिमकेन कंपनी के ग्रेड-बोनस समझौते पर सवाल उठना शुरू हो गया है। विपक्ष ने यूनियन के नए सलाहकार और शीर्ष नेतृत्व की कार्यशैली पर प्रश्न चिंह लगाया है। कहा है कि जब ऐसा ही ग्रेड-बोनस करना था तो विरोध करने का ढ़कोसला क्यों। इतने दिनों तक कर्मचारियों को बेवजह इंतजार कराया।

विपक्ष की बात भी तर्कपूर्ण है, हर ग्रेड रिवीजन के बाद दूसरे रिवीजन में कर्मचारियों के वेतन में सम्मानजनक बढ़ोतरी हुई लेकिन इस बार नुकसान हो गया। 2011-14 में 3550 बढ़ोतरी के बाद 2014-17 में 1100 रुपये बढ़ोतरी के साथ 4650 रुपये बढ़े। 2017-20 में 1550 बढ़ोतरी के साथ 6200 रुपये बढ़े लेकिन 2020-23 में 300 रुपये की बढ़ोतरी 6500 रुपये पर सीमित हो गई। वो भी तीन साल में, पहले साल 250, दूसरे व तीसरे साल 850-850 रुपये। पिछली बार बिना समझौता 19 और इस बार मात्र 18 प्रतिशत ही क्यों।

केस हुआ तो बाहरी नेता से इंकार

कमिंस प्रबंधन यूनियन अध्यक्ष से नाराज दिख रहा है। शायद यही वजह है कि अब प्रबंधन ने यूनियन नेताओं को स्पष्ट कर दिया है कि वे अपने बीच से ही नेता चुन लें, बाहरी नेता उन्हें मंजूर नहीं। क्योंकि पूर्व अध्यक्ष राजेंद्र बाबू के सुपुत्र और बेरमो विधायक अनूप सिंह ने पूर्व महामंत्री अरुण सिंह की बर्खास्तगी समाप्ति के लिए ऐडी चोटी लगाए हुए हैं। इनकी वजह से ही श्रम विभाग ने कंपनी के एमडी से लेकर बोर्ड ऑफ डायरेक्टर को पार्टी बनाया, जिसके बाद सभी पर कानूनी कार्रवाई की तलवार लटक रही है। इसीलिए प्रबंधन ने कंपनी में संचालित यूनियन में बाहरी नेता के लिए नो इंट्री का बोर्ड लगा रही है। जबकि यूनियन का एक पक्ष बाहरी नेता को वापस लाने की जुगत में है जबकि दूसरा पक्ष प्रबंधन से आर्शीवाद पाकर खुद ही अध्यक्ष बनने की जुगत में है। अब देखना है ऊंट किस करवट बैठती है।

अपनो ने ही छोड़ दिया साथ

टिस्को निबंधित श्रमिक संघ के नेताओं को उनके अपनों ने ही साथ छोड़ दिया है। टाटा स्टील में बहाली के लिए उम्र सीमा 42 वर्ष क्या तय हुई, कम उम्र वाले आंदोलन से किनारा कर लिया और परीक्षा की तैयारी शुरू कर दी है। जबकि दूसरा खेमा जिनकी उम्र 42 वर्ष से अधिक है अब भी टाटा वर्कर्स यूनियन कार्यालय के बाहर धरना प्रदर्शन कर रहे हैं। लेकिन इनके आंदोलन में अब वो भीड़ नहीं दिख रही। इसलिए अब बचे हुए निबंधित पुत्रों ने एनटीटीएफ में सीधी बहाली की मांग उठाई है। इनका तर्क है कि समझौते के समय यूनियन नेताओं ने घोषणा की थी कि जो बहाली प्रक्रिया में छट जाएंगे उन्हें एनटीटीई के रूप में नई कमेटी बनाकर समायोजित किया जाएगा। हालांकि निबंधित पुत्रों को भी पता है कि 8000 से अधिक निबंधित पुत्र परीक्षा देंगे लेकिन पास होंगे मात्र 500। फिर बचे हुए आएंगे उनके पास ही।

अच्छी कमेटी के लिए गणेश परिक्रमा

टाटा वर्कर्स यूनियन में चुनाव को दो माह बीते लेकिन उप समितियों का विस्तार नहीं हुआ। कर्मचारियों की अलग-अलग समस्याओं के समाधान के लिए पीएफ, जेडब्ल्यूक्यूसी, मेडिकल एडवाइजरी सहित 44 से ज्यादा कमेटियों का गठन होना है। जिनमें रहने से सुविधाएं तो मिलेंगी वो अलग। प्रबंधन के वरीय अधिकारियों से सीधा संपर्क भी रहता है। कर्मचारियों के कई काम चुटकियों में होते हैं तो अगली बार चुनाव जीतने का चांस भी बढ़ जाता है। इसलिए इन दिनों कई कमेटी मेंबर शीर्ष नेतृत्व की गणेश परिक्रमा शुरू कर दी है। प्रचंड बहुमत से जीत का जश्न मनाकर नेताओं को खुश किया जा रहा है। लेकिन यूनियन नेतृत्व इस मामले में मौन हैं। वे कमेटी मेंबरों से लेकर अधिकारियों के धैर्य को परख रहे हैं। इसलिए बेचारे कमेटी मेंबर चाह कर भी मुंह नहीं खोल रहे हैं। बस हर दिन यूनियन कार्यालय जरूर पहुंच रहे हैं, शायद उनकी किस्मत खुल जाए।

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