हिंदी की कालजयी रचनाओं को संताली समाज तक पहुंचा रहे प्रो. मुर्मू Jamshedpur News

संताली भाषी समाज तक रचनाओं को पहुंचाने के लिए प्रो. सुनील कुमार मुर्मू प्रेमचंद की निर्मला के बाद पंचतंत्रम का अनुवाद कर रहे हैं।

By Edited By: Publish:Wed, 08 Jul 2020 02:02 AM (IST) Updated:Wed, 08 Jul 2020 10:49 AM (IST)
हिंदी की कालजयी रचनाओं को संताली समाज तक पहुंचा रहे प्रो. मुर्मू Jamshedpur News
हिंदी की कालजयी रचनाओं को संताली समाज तक पहुंचा रहे प्रो. मुर्मू Jamshedpur News

जमशेदपुर (वेंकटेश्वर राव)। हिंदी भाषा में प्रकाशित कालजयी रचनाओं को संताली के पाठक भी अब पढ़-समझ सकेंगे। संताली भाषी समाज तक इन रचनाओं को पहुंचाने के लिए प्रो. सुनील कुमार मुर्मू प्रेमचंद की निर्मला के बाद पंचतंत्रम का अनुवाद कर रहे हैं।

प्रोफेसर सुनील कुमार कोल्हान प्रमंडल के पश्चिम सिंहभूम जिले के सिंहभूम कॉलेज चांडिल में संस्कृत विभाग के प्रोफेसर हैं। उन्होंने हिंदी साहित्य से संताली समाज को रूबरू कराने की जिद ठानी है। प्रो. मुर्मू की मानें तो संताली भाषा झारखंड के अलावा बिहार, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़, असम, ओडिशा और पड़ोसी देश नेपाल तक बोली जाती है। झारखंड में यह कोल्हान, संताल परगना, धनबाद, बोकारो तक बोली जाती है। इसी को ध्यान में रखते हुए उन्होंने हिंदी साहित्य को संताली समाज तक पहुंचाने का बीड़ा उठाया। इन दिनों प्रो. मुर्मू पंचतंत्रम नामक पुस्तक का संताली अनुवाद कर रहे हैं।

लॉकडाउन के दौरान किया प्रेमचंद की निर्मला का संथाली अनुवाद

इससे पूर्व लॉकडाउन के दौरान प्रेमचंद की निर्मला का अनुवाद कर चुके हैं। यह पुस्तक प्रकाशित होने वाली है। संस्कृत की अच्छी जानकारी रखने वाले प्रो. सुनील कहते हैं कि उनका मकसद अच्छी पुस्तकों व ग्रंथों से संताल समाज को अवगत कराना है, ताकि लोगों में साहित्य प्रेम की भावना और जागृत हो। निर्मला पुस्तक का संताली अनुवाद मार्च के अंतिम सप्ताह में शुरू किया। इसके लिए उन्होंने तीन बार इस किताब का अध्ययन किया। मई के अंतिम सप्ताह में यह कार्य पूरा हो गया। वर्तमान में वे विष्णु शर्मा के नीतिग्रंथ पंचतंत्रम का संताली अनुवाद कर रहे हैं। इसमें पशु-पक्षियों के जरिए साम, दाम, दंड, भेद का सरल चित्रण किया गया है। यह पुस्तक नैतिक शिक्षा को बढ़ावा देती है। यह कार्य वे साहित्य अकादमी के सौजन्य से कर रहे हैं। इससे पहले वह अभिज्ञान शाकुंतलम का भी संताली में अनुवाद कर चुके हैं।

प्रोफेसर की पत्‍‌नी ने भी बंटाया हाथ

प्रेमचंद की निर्मला का अनुवाद प्रो.सुनील मुर्मू रात में जग कर कर पाए थे। वजह यह कि दोपहर तीन बजे तक ऑनलाइन क्लास में व्यस्त रहते थे। रात में अनुवाद का यह सिलसिला दो से तीन बजे तक चलता था। इस कार्य में उनकी पत्नी प्रोफेसर दानगी सोरेन भी हाथ बंटाती थीं। प्रोफेसर सुनील मुर्मू बताते हैं कि कोल्हान विश्वविद्यालय के पीजी विभाग के ¨हदी एवं संताली छात्रों ने अच्छी पुस्तकों का अनुवाद संताली भाषा में करने की मांग की थी। यह मांग अब भी जारी है। इस कारण महत्वपूर्ण पुस्तकों और ग्रंथों का संताली अनुवाद करने का बीड़ा उठाया। इससे विश्वविद्यालय के छात्रों को भाषा सीखने व साहित्य पढ़ने में रुचि पैदा हो रही है।

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