Jharkhand Politics : पंचायत चुनाव को भाजपा ने बनाया मुद्दा, अनुसूचित जनजाति मोर्चा सड़क पर उतरा
Panchayat elections in Jharkhand. झारखंड के पंचायतों में चल रही योजनाएं या तो बंद हो गई हैं या प्रशासनिक अधिकारियों के अधीन हो गई हैं। इसे भाजपा के अनुसूचित जनजाति मोर्चा ने मुद्दा बनाया है। मोर्चा इसके खिलाफ सड़क पर उतर गया है।
जमशेदपुर, जासं। झारखंड में त्रिस्तरीय पंचायत राज व्यवस्था 11 जनवरी से भंग हो गई है। कार्यकाल पूरा होने के बाद इसे स्वविघटित मान लिया गया है। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल है कि पंचायतों में चल रही योजनाएं या तो बंद हो गई हैं या प्रशासनिक अधिकारियों के अधीन हो गई हैं। इसे भाजपा के अनुसूचित जनजाति मोर्चा ने मुद्दा बनाया है। मोर्चा इसके खिलाफ सड़क पर उतर गया है। धरना-प्रदर्शन के माध्यम से पंचायत चुनाव की घोषणा जल्द से जल्द कराने की मांग की जा रही है।
मोर्चा के जमशेदपुर महानगर अध्यक्ष बिनानंद सिरका ने झारखंड में हेमंत सोरेन की नेतृत्व वाली सरकार के खिलाफ पोल-खोल अभियान चलाया जा रहा है। इस सरकार ने पूर्व की रघुवर सरकार की सभी योजनाओं को बंद कर दिया है। युवाओं-महिलाओं को रोजगार से नहीं जोड़ा जा रहा है। पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने नारी सशक्तीकरण के लिए एक रुपये में जमीन-मकान की रजिस्ट्री शुरू की थी, जिसे इस सरकार ने आते ही बंद कर दिया।
बुजुर्र्गों के पेंशन का भी उठाया मुद्दा
उन्होंने कहा कि पंचायत राज व्यवस्था को समय रहते जारी रखने की बजाय स्वविघटित कर दिया गया, लेकिन चुनाव कराने का प्रयास ही नहीं किया गया। छह माह से बुजुर्गों का पेंशन बंद है। चुनावी वादे के बावजूद हेमंत सरकार ने बेरोजगारी भत्ता शुरू नहीं किया। मानकी-मुंडा का मानदेय नहीं मिल रहा है। इस मौके पर विरोध-प्रदर्शन में बिनानंद सिरका के अलावा काजू सांडिल, विजय सोय, दीपक सुंडी, नंदलाल पातर, पुष्पा तिर्की, रमेश हांसदा, संतोष सांडिल, राम सिंह मुंडा, शंकर समद, संजय मुंडा समेत अनुसूचित जनजाति मोर्चा के अन्य कार्यकर्ता सक्रिय हैं।