सबर परिवारों के लिए पोटका में बना बिरसा आवास भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ा
एक तरफ जहां झारखंड सरकार आदिम जनजातियों के विकास के लिए तरह-तरह की विकास योजनाएं बना रही है वही विकास योजनाएं धरातल पर आते-आते भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ जा रही है l एक ऐसा ही मामला पोटका प्रखंड के टांगराइन के टांगराइन सबर टोला का है l
पोटका पूर्वी सिंहभूम, जागरण संवाददाता। एक तरफ जहां झारखंड सरकार जंगल किनारे रहने वाले आदिम जनजातियों के विकास के लिए तरह-तरह की विकास योजनाएं बना रही है वही विकास योजनाएं धरातल पर आते-आते भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ जा रही है l जी हां, एक ऐसा ही मामला पोटका प्रखंड अंतर्गत टांगराइन ग्राम पंचायत के टांगराइन सबर टोला का है जहां 2019-20 में एकमुश्त 15 सबर परिवारों को बिरसा आवास मुहैया कराया गया।l
सोच थी सभी सबर परिवारों को एक साथ बसाने की। जिसको लेकर तत्कालीन कल्याण पदाधिकारी अनिरुद्ध कैबर्त को सभी आवासों के निर्माण की जिम्मेवारी सौंपी गई। यह आवास 2019-20 बनकर तैयार हुआ l हाल यह है कि पहली बारिश भी ये आवास नहीं झेल पाया l घरों के छप्पर उड़ गए। कई घरों के पैराफीट नीचे गिर चुके हैं l सबर परिवार लकड़ी का सहारा देकर किसी तरह इन घरों में अपना जीवन यापन कर रहे हैं l इन सबर परिवारों का कहना है कि सारे आवासों में पानी टपकता है । हम लोग जाएं तो कहां जाएं।
इन परिवारों के बिरसा आवास के छप्पर उड़े
1. माधव सबर (छप्पर उड़े) 2014-15, प्राक्कलन राशि एक लाख 2019 - 20 में बनकर हुआ तैयार
2. बारो सबर 2017 - 019 प्राक्कलन राशि 1, 31, 500
3. रामो सबर, 2017 - 019 प्राक्कलन राशि 1, 31, 500
4. सोमा सबर, 2017 - 019 प्राक्कलन राशि 1, 31, 500
5. सारथी सबर,2017 - 019 प्राक्कलन राशि 1, 31, 500
ये भी जानें
सुकुरमणि सबर, बारी सबर, पूर्ण सबर, गंगा सबर, सारोती सबर आदि के आवास 2019-20 में पूर्ण हुए मगर आज सभी आवास जर्जर हो चुके हैं l बारिश के दिनों में इन सबर परिवारों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। आखिर क्या वजह है कि इन सबर परिवारों तक विकास योजनाएं पहुंचते-पहुंचते दम तोड़ रही है।