Lalu Prasad News: बिहार के मंत्री अमरेंद्र प्रताप सिंह बोले- लालूजी को राजनीति के लिए जमानत नहीं मिली है
Lalu Prasad News बिहार के कृषि मंत्री अमरेंद्र प्रताप सिंह ने कहा कि लोकतंत्र में सबको अवसर मिलता है। हालांकि राजद को मालूम होना चाहिए कि लालूजी सजायाफ्ता हैं। उन्हें यह भी याद रखना चाहिए कि लालूजी को राजनीति करने के लिए जमानत नहीं मिली है।
जमशेदपुर, जागरण संवाददाता। दशहरा के अवसर पर जमशेदपुर आए बिहार के कृषि मंत्री अमरेंद्र प्रताप सिंह ने बिहार पर खूब चर्चा की। बिहार विधानसभा में दो सीटों पर उपचुनाव होने और लालू यादव के आने की बात पर कहा कि लोकतंत्र में सबको अवसर मिलता है। हालांकि राजद को मालूम होना चाहिए कि लालूजी सजायाफ्ता हैं। उन्हें यह भी याद रखना चाहिए कि लालूजी को राजनीति करने के लिए जमानत नहीं मिली है। लालूजी को स्वास्थ्य के आधार पर जमानत दी गई है।
बहरहाल, कुशेश्वरनाथ और तारापुर दोनों सीट पहले भी एनडीए के पास थी, आगे भी रहेगी। किसान आंदोलन पर सिंह ने कहा कि इस आंदोलन में राकेश टिकैत और कुछ पूंजीपति किसानों के अलावा हर जगह विपक्षी दल ही दिखाई देते हैं, किसान कहां हैं। केंद्र सरकार ने तो किसानों को कहीं भी अनाज बेचने, मनचाहा भंडारण करने और अपनी शर्त पर कांट्रैक्ट फार्मिंग करने की आजादी दी है है। जहां तक समझैते की बात है तो आंदोलनकारी बेतुका तर्क रख रहे हैं। वे कहते हैं कि पहले बिल वापस लें, तब बात करेंगे। आप ही बताइए कि जब बिल वापस ले लेंगे, तो बात किसलिए करेंगे। विपक्षी दल यह भी कहते हैं कि यह आंदोलन 2024 तक जारी रहेगा। आखिर क्यों। इसका मतलब तो यही है कि आप लोकसभा चुनाव लड़ने के उद्देश्य से आंदोलन का नाटक कर रहे हैं।
मोदी ने विपक्ष के लिए नहीं छोडा कोइ मुद्दा
दरअसल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विपक्षी दलों के लिए कोई मुद्दा ही नहीं छोड़ा है, इसलिए वे किसानों के नाम पर इसे लंबा खींचना चाहते हैं। झारखंड सरकार को हिंदी से भेदभाव नहीं करना चाहिएआरा के विधायक अमरेंद्र प्रताप सिंह ने कहा कि झारखंड सरकार ने जेपीएससी परीक्षा से हिंदी को बाहर कर दिया है, यह निंदनीय है। आप वोट भी लेते हो और उनका अनादर भी करते हो, यह कोई भी संवेदनशील सरकार नहीं कर सकती। हिंदी पूरे देश की भाषा है, सरकारी कामकाज की भाषा है और उसके साथ इतना भेदभाव क्यों। मुझे उम्मीद है कि यह सरकार समय रहते इसमें सुधार करेगी। सिंह ने कहा कि गोविंदपुर में 1977 में हमने दुर्गापूजा शुरू की थी, इसलिए हर साल यहां चला आता हूं। इस शहर से मेरा भावनात्मक लगाव रहा है। यह मेरी कर्मभूमि भी रही है, इसलिए पुराने लोगों से मिलना-जुलना भी हो जाता है।