Bathua khane Ke Fayde: जाड़े के मौसम का सबसे अच्छा आहार है बथुआ, पेट व मूत्र रोग को भी दूर करता है इसका साग

Bathua khane Ke Fayde बथुवा अनादि काल से खाया जाता रहा है। हमारे बुजुर्ग अपने घरों को हरे रंग से रंगने के लिए प्लस्तर में बथुआ मिलाते थे। बुजुर्ग महिलाएं सिर से ढेरे व फांस (डैंड्रफ) साफ करने के लिए बथुआ के पानी से बाल धोया करती थीं।

By Rakesh RanjanEdited By: Publish:Wed, 01 Dec 2021 01:31 PM (IST) Updated:Wed, 01 Dec 2021 01:31 PM (IST)
Bathua khane Ke Fayde: जाड़े के मौसम का सबसे अच्छा आहार है बथुआ, पेट व मूत्र रोग को भी दूर करता है इसका साग
बथुआ का साग प्रतिदिन खाने से गुर्दों में पथरी नहीं होती।

जमशेदपुर, जासं। सर्दी के मौसम में बथुआ का साग खूब खाया जाता है, लेकिन अधिकांश लोग इसे स्वाद के लिए खाते हैं। कुछ लोग इसके औषधीय गुणों से भी वाकिफ होते हैं, लेकिन आपको बता दें कि यह पेट व मूत्र रोग समेत कई बीमारी में काफी कारगर है। जमशेदपुर की आयुर्वेद व प्राकृतिक चिकित्सा विशेषज्ञ सीमा पांडेय बताती हैं कि बथुआ को अंग्रेजी में Lamb's Quarters कहा जाता है, जबकि इसका वैज्ञानिक नाम Chenopodium album है।

बथुवा अनादि काल से खाया जाता रहा है, लेकिन हमारे बुजुर्ग अपने घरों को हरे रंग से रंगने के लिए प्लस्तर में बथुआ मिलाते थे। बुजुर्ग महिलाएं सिर से ढेरे व फांस (डैंड्रफ) साफ करने के लिए बथुआ के पानी से बाल धोया करती थीं। बथुआ गुणों की खान है।

बथुआ में कौन-कौन से विटामिन और मिनरल्स हैं

बथुआ में क्या नहीं है। बथुवा विटामिन B1, B2, B3, B5, B6, B9 और विटामिन C से भरपूर है। इसमें कैल्शियम, लोहा, मैग्नीशियम, मैगनीज, फास्फोरस, पोटैशियम, सोडियम व जिंक आदि मिनरल्स हैं। 100 ग्राम कच्चा बथुआ यानी पत्तों में 7.3 ग्राम कार्बोहाइड्रेट, 4.2 ग्राम प्रोटीन व 4 ग्राम पोषक रेशे होते हैं। कुल मिलाकर 43 Kcal होती है। जब बथुआ शीत (मट्ठा, लस्सी) या दही में मिला दिया जाता है तो यह किसी भी मांसाहार से ज्यादा प्रोटीन वाला व किसी भी अन्य खाद्य पदार्थ से ज्यादा सुपाच्य व पौष्टिक आहार बन जाता है। जब हम बीमार होते हैं तो आजकल डॉक्टर सबसे पहले विटामिन की गोली ही खाने की सलाह देते हैं। गर्भवती महिला को खासतौर पर विटामिन बी, सी व आयरन की गोली खाने को कही जाती है और बथुआ में वो सबकुछ है। कहने का मतलब है कि बथुआ पहलवानों से लेकर गर्भवती महिलाओं तक, बच्चों से लेकर बूढों तक, सबके लिए अमृत समान है।

गुर्दों में नहीं होती पथरी

इसका साग प्रतिदिन खाने से गुर्दों में पथरी नहीं होती। बथुआ आमाशय को बलवान बनाता है, गर्मी से बढ़े हुए यकृत को ठीक करता है। बथुए के साग का सही मात्रा में सेवन किया जाए तो निरोग रहने के लिए सबसे उत्तम औषधि है। बथुआ में जिंक होता है जो शुक्राणुवर्धक है मतलब किसी को जिस्मानी कमजोरी हो तो उसे भी दूर करता है। बथुआ कब्ज दूर करता है और अगर पेट साफ रहेगा तो कोई भी बीमारी होगी ही नहीं, ताकत और स्फूर्ति बनी रहेगी। कहने का मतलब है कि जब तक इस मौसम में बथुए का साग मिलता रहे, नित्य इसकी सब्जी खाएं। बथुए का रस, उबाला हुआ पानी पीएं और तो यह खराब लीवर को भी ठीक कर देता है। पथरी हो तो ग्रीन जूस में मिलाकर नित्य पीएं, पथरी टूटकर बाहर निकल आएगी। पेशाब के रोगी के लिए सर्वश्रेष्ठ औषधि है।

जीवन में कभी दवा नहीं खाना चाहते तो इसके बारे में जान लीजिए

बथुआ एक पौधा मात्र ही नहीं है। इसका सेवन साग या सब्जी के रूप में किया जाता है। इसके सेवन या उपयोग करने से हमें दवाओं की आवश्यकता नहीं पड़ती है।

पेट संबंधी समस्या : बथुऐ के रस में नमक मिला कर सेवन करने से पेट के कीड़े मर जाते हैं और पेट की कई बीमारियों का निदान होता है। पेट दर्द में भी यह आराम देता है।

सिर में रूसी और जुएं : सिर में अक्सर गंदगी के कारण रूसी और जुएं की समस्या देखी जाती है। इन सबसे आसानी से निपटने के लिए आपको बस बथुए और नींबू को पानी में उबाल कर उससे सिर धोना है। इससे इस समस्या का निदान होता है।

मूत्र संबंधी समस्या : अक्सर पानी की कमी के कारण या फिर किसी और कारण से मूत्र या यूरिन में जलन और दर्द की शिकायत होने लगती है। बथुए में नमक, जीरा और नींबू को उबाल कर उसके सेवन से इस समस्या का निवारण होता है।

पथरी की समस्या : बथुए के रस में चीनी मिला कर पीने से पथरी की समस्या आसानी से हल हो जाती है।

बुखार में लाभदायक : अगर आपको मलेरिया या बुखार है तो बथुआ का सेवन आपके लिए लाभकारी है। इसको पीने से बुखार चला जाता है।

त्वचा के लिए : बथुए के रस के नियमित सेवन से आपको त्वचा संबंधी बीमारी या समस्या जैसे कील-मुंहासे, फोड़े, दाद, खाज, खुजली की समस्याओं से छुटकारा मिलता है।

मुंह संबंधी समस्या : अगर आपको मुंह से संबंधित कोई भी समस्या है तो इसकी पतियों को चबाने से उसका निवारण होता है।

जमशेदपुर की आयुर्वेद व प्राकृतिक चिकित्सा विशेषज्ञ सीमा पांडेय।

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