Jharkhand Politics: कांग्रेस विधायक उमाशंकर अकेला बोले- बेलगाम अधिकारी बने है झारखंड के विकास में बाधक
झारखंड विधानसभा की निवेदन समिति के सभापति उमाशंकर अकेला ने सरायकेला में कहा कि बेलगाम अधिकारी राज्य के विकास में बाधक बने हुए हैं और उन्हीं के कारण सरकार की कल्याणकारी योजनाएं जरूरतमंदों तक नहीं पहुंच पा रही है।
जागरण संवाददाता, सरायकेला। झारखंड विधानसभा की निवेदन समिति के सभापति उमाशंकर अकेला के नेतृत्व में समिति दो दिवसीय दौरे पर बुधवार शाम सरायकेला जिला पहुंची। समिति स्थानीय परिसदन में जिले के पदाधिकारियों संग बैठक कर विभागवार योजनाओं की समीक्षा की। इस दौरान सभी विभागों के प्रतिवेदनों को तत्काल सरकार की गाइडलाइंस का पालन करते हुए ग्रामीण विकास विभाग को भेजने का निर्देश दिया। बताया गया कि बैठक के दौरान योजनाओं की कार्य प्रगति को संतोषजनक बताया गया।
जिले की चार योजनाओं को समिति द्वारा स्वीकृत किए जाने की बात कही गई जिनमें से तीन योजनाएं समिति के सदस्य सह खरसावां विधायक दशरथ गगराई द्वारा दी गई है। बैठक के पश्चात निवेदन समिति के सभापति बरही से कांग्रेस विधायक उमाकांत अकेला ने गुरुवार को मीडिया में बातचीत में कहा कि राज्य के अधिकारी बेलगाम हैं। प्रशासन का मनोबल बढ़ा हुआ है। उन्होंने इसका ठीकरा पूर्व की भाजपा सरकार व मुख्यमंत्री रघुवर दास पर फोड़ते हुए कहा कि पूर्ववर्त्ती भाजपा सरकार की गलतियों को सुधार करने में वर्ततमान सरकार का पसीना छूट रहा है। कहा कि वैश्विक महामारी कोरोना संक्रमण काल के दौरान राज्य में विकास की गति थोड़ी धीमी जरूर हुई है लेकिन झारखंड सरकार विकास के कार्यों में तेजी लाने के प्रति संकल्पित है। उन्होंने बताया कि बेलगाम अधिकारी राज्य के विकास में बाधक बने हुए हैं और उन्हीं के कारण सरकार की कल्याणकारी योजनाएं जरूरतमंदों तक नहीं पहुंच पा रही है।
नमाज कक्ष को बेवजह तूल दे रहा विपक्ष
विधायक ने विधानसभा में नमाज के लिए विशेष कक्ष आवंटित किए जाने के मामले पर मचे बवाल को विपक्ष का एजेंडा बताया। कहा कि पूर्व में भी ऐसा हुआ है। वर्ततमान में भाजपा के पास कोई मुद्दा नहीं है तो नमाज कक्ष को मुद्दा बनाया और केन्द्र सरकार की नाकामी को छुपाने का काम कर रही है। लेकिन जनता को सबकुछ मालूम है। विधायक ने कहा कि सरकार सर्वधर्म समभाव के आधार पर चल रही है और यहां सभी धर्मों को समान सम्मान है। संशोधित नियोजन नीति से भोजपुरी और मगही भाषा को बाहर किए जाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि इस पर राज्य सरकार को पुर्नविचार करना चाहिए। राज्य में रहने वाले सभी भाषा -भाषी लोगों को समान अधिकार मिलना चाहिए। राज्य में ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण देने के मामले पर उन्होंने कहा कि राज्य में ओबीसी को 27 फ़ीसदी आरक्षण देना ही पड़ेगा।