Bank Strike : निजीकरण के विरोध में तेज होगा बैंक यूनियन का आंदोलन, जा सकते हैं अनिश्चितकालीन हड़ताल पर

केंद्र सरकार के निजीकरण के विरोध में बैंक यूनियन अपने आंदोलन को तेज करने का निर्णय लिया है। रविवार को ऑल इंडिया बैंक इम्प्लाइज एसोसिएशन की सामान्य परिषद की वर्चुअल बैठक संपन्न हुई। इस बैठक में पूरे देश के विभिन्न शहरों से 262 जनरल काउंसिल सदस्यों ने भाग लिया।

By Jitendra SinghEdited By: Publish:Mon, 05 Apr 2021 04:37 PM (IST) Updated:Tue, 06 Apr 2021 08:57 AM (IST)
Bank Strike : निजीकरण के विरोध में तेज होगा बैंक यूनियन का आंदोलन, जा सकते हैं अनिश्चितकालीन हड़ताल पर
निजीकरण के विरोध में तेज होगा बैंक यूनियन का आंदोलन

जमशेदपुर : केंद्र सरकार के निजीकरण के विरोध में बैंक यूनियन अपने आंदोलन को तेज करने का निर्णय लिया है। रविवार को ऑल इंडिया बैंक इम्प्लाइज एसोसिएशन की सामान्य परिषद की वर्चुअल बैठक संपन्न हुई। 

इस बैठक में पूरे देश के विभिन्न शहरों से 262 जनरल काउंसिल सदस्यों ने भाग लिया। बैठक में सर्वसम्मति बैंक निजीकरण को घोषणा के खिलाफ आंदोलन तेज करने का निर्णय लिया गया। इससे पहले भी निजीकरण के विरोध में बैंक यूनियन ने 15 और 16 मार्च को दो दिवसीय राष्ट्रीय हड़ताल किया था जिसमें लगभग 10 लाख बैंक कर्मचारियों ने हिस्सा लिया था। हड़ताल के पहले दिन 16,500 करोड़ के चेक और भुगतान उपकरणों की निकासी प्रभावित हुई थी।

भारत भर में बैंक यूनियनों ने  दो राष्ट्रीयकृत बैंको के सरकार द्वारा निजीकरण प्रस्ताव के खिलाफ और हमले तेज करने का निर्णय लिया गया है।  संघ की बैठक में कहा गया, सामान्य परिषद की बैठक ने देश भर में हमारे सभी यूनियनों और सदस्यों से आह्वान किया है कि वे बैंक के निजीकरण के खिलाफ लंबे समय तक हड़ताल के लिए तैयार रहें और सार्वजनिक क्षेत्र की बैंकिंग और निजीकरण के प्रयासों को विफल करने के लिए यूनियन के अभियान को तेज करें। बैंक यूनियन प्रतिनिधियो का कहना है कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने केंद्रीय बजट 2021-22 में घोषणा की थी कि सरकार बिना नाम बताए आईडीबीआई बैंक के अलावा राष्ट्रीयकृत बैंकों में दांव लगाएगी।

बैंक यूनियनों ने भी बड़े पैमाने पर ग्राहकों और जनता के साथ निजीकरण के खिलाफ तालमेल करना और उन्हें निजीकरण के कारण होने वाले नुकसान के प्रति जागरूक करने का काम सदस्यों ने शुरू कर दिया है।

सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक शिक्षित युवाओं के लिए स्थायी रोजगार प्रदान करते हैं। लेकिन हम जानते हैं कि नए निजी बैंकों में काम करने वाले कर्मचारियों की दुर्दशा क्या है जहाँ नौकरी की सुरक्षा पूरी तरह से अनुपस्थित है। वे उचित मजदूरी से वंचित हैं, ट्रेड यूनियन अधिकार भी अस्तित्वहीन हैं।

इस मीटिंग की अध्यक्षता कॉमरेड राजन नगर ने की। महासचिव सीएच वेंकटचलम ने बैंकिंग इंडस्ट्री और सरकार की नीतियों पर  विस्तृत प्रकाश डाला।"झारखंड प्रदेश बैंक इम्प्लाइज एसोसिएशन" की ओर से कॉम आरबी सहाय, कॉम अमिताभ घोष एवं कॉम हीरा अरकने ने भाग लिया।

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