विश्व आपराधिक न्याय दिवस पर अरका जैन विश्वविद्यालय ने किया अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन
अरका जैन विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ लॉ सेंटर फॉर रूल ऑफ लॉ नेपाल व लीगल हमिंग इंडिया के संयुक्त तत्वावधान में शुक्रवार को विश्व आपराधिक न्याय दिवस के अवसर पर एक अंतर्राष्ट्रीय वर्चुअल सम्मेलन का आयोजन किया गया।
जासं, जमशेदपुर । अरका जैन विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ लॉ, सेंटर फॉर रूल ऑफ लॉ नेपाल व लीगल हमिंग इंडिया के संयुक्त तत्वावधान में शुक्रवार को विश्व आपराधिक न्याय दिवस के अवसर पर एक अंतर्राष्ट्रीय वर्चुअल सम्मेलन का आयोजन किया गया। इसमें दिल्ली उच्च न्यायलय के निवर्तमान न्यायाधीश जस्टिस तलवंत सिंह, नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ लॉ पंजाब के कुलपति डॉ जी एस बाजपेई मुख्य अतिथि के रूप में शामिल थे।
जर्मनी के डॉ एंजेला, पोलैंड से माग्डेलना लागेवस्का, उजबेकिस्तान से डॉ दिलवर सुयोनोवा एवं भारत के प्रो एमके भंडारी व डॉ मनीष सिंघवी ने बीज वक्ता के रूप में संबोधित किया। इसमें बताया गया कि कानून के शासन द्वारा स्थापित प्रक्रिया के बिना किसी भी व्यक्ति को हिरासत में नहीं लिया जा सकता है। महामारी की स्थिति में आपराधिक प्रक्रिया और आपराधिक न्याय को हिरासत में लिए गए व्यक्तियों के अधिकारों के प्रति उदार होना चाहिए। खासकर जब अदालतें नहीं खुल रही हों और इस महामारी की स्थिति के कारण कानूनी व्यवस्था को बहुत नुकसान हो रहा हो। यह इस अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का निष्कर्ष था कि हमें सभी के लिए समान न्याय का आह्वान करना चाहिए।
इन्होंने भी रखे विचार
अरका जैन विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ लॉ के डीन डॉ बोधिसत्व आचार्य ने सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि यह विश्वविद्यालय के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर है जब इतने विद्वतजन एक मंच से जुड़े। कुलपति प्रो एसएस रज़ी ने कहा कि आपराधिक न्याय विषय पर ऐसी चर्चाओं से कई न्याय प्रणाली की कई बारीकियों से अवगत हुआ जाता है। जस्टिस तलवंत सिंह ने कहा कि दुनिया में अपराध का अंतर्राष्ट्रीयकरण हो चुका है ऐसे में उचित न्याय के लिए यह दिवस मनाया जाता है। डॉ जी एस बाजपाई ने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय न्याय प्रणाली किसी राष्ट्र की न्यायिक प्रणाली को प्रतिस्थापित नहीं करती है। यह तभी हस्तक्षेप करती है जब कोई देश जांच नहीं करता या नहीं कर सकता है। सम्मेलन में संयाेजक की भूमिका देशना जैन और छात्र समन्वयक की भूमिका प्रतीति दुबे ने निभाई। कार्यक्रम का संचालन स्कूल ऑफ लॉ की प्राध्यापक अमृता श्रीवास्तव ने किया।