Ardeshir Dalal Birth Anniversary : आर्देशिर दलाल ने ही शुरू की थी टाटा स्टील में प्रोफिट शेयरिंग बोनस की शुरुआत, कर्मचारी इन्हें मानते भगवान

Ardeshir Dalal Birth Anniversary कम ही लोग जानते होंगे कि आर्देशिर दलाल ही वो शख्स थे जिन्होंने सबसे पहले वर्ष 1934 में टाटा स्टील में प्रोफिट शेयरिंग बोनस योजना की शुरुआत की थी। यह किसी भी निजी या सार्वजनिक प्रतिष्ठान द्वारा पहली बार लागू किया गया।

By Rakesh RanjanEdited By: Publish:Fri, 23 Apr 2021 05:16 PM (IST) Updated:Sat, 24 Apr 2021 09:15 AM (IST)
Ardeshir Dalal Birth Anniversary : आर्देशिर दलाल ने ही शुरू की थी टाटा स्टील में प्रोफिट शेयरिंग बोनस की शुरुआत, कर्मचारी इन्हें मानते भगवान
सर आर्देशिर दलाल का जन्म 24 अप्रैल 1884 को बांम्बे के एक शेयर ब्रोकर रूमतमजी दलाल के घर पर हुआ।

जमशेदपुर, निर्मल।  लौहनगरी यानी जमशेदपुर में रहनेवाले आर्देशिर दलाल का नाम तो सुना ही होगा। उनके नाम से ही आर्देशिर दलाल मेमोरियल हॉस्पिटल जिसे एडीएमएच अस्पताल व नर्सिंग कॉलेज है। लेकिन कम ही लोग जानते होंगे कि आर्देशिर दलाल ही वो शख्स थे जिन्होंने सबसे पहले वर्ष 1934 में टाटा स्टील में प्रोफिट शेयरिंग बोनस योजना की शुरुआत की थी। यह किसी भी निजी या सार्वजनिक प्रतिष्ठान द्वारा पहली बार लागू किया गया।

सर आर्देशिर दलाल का जन्म 24 अप्रैल 1884 को बांम्बे के एक शेयर ब्रोकर रूमतमजी दलाल के घर पर हुआ। बॉम्बे के एलफिंस्टन कॉलेज से स्नातक करने के बाद आर्देशिर ने वर्ष 1905 में जेएन टाटा स्कॉलरशिप प्राप्त की और आगे की पढ़ाई के लिए इंग्लैंड चले गए। वे भारतीय सिविल सेवा की परीक्षा में बैठे और पहले स्थान पर रहे। वर्ष 1908 में उन्होंने आईसीएस ज्वाइंन किया। सर दलाल 1928 में बाम्बे के नगर आयुक्त यानि म्युनिसिपल कमीश्नर बनने वाले पहले भारतीय भी हैं। वर्ष 1931 में सर आर्देशिर दलाल टाटा स्टील के निदेशक के रूप में टाटा समूह से जुटे और वर्ष 1941 तक अपनी सेवा दी। इसके बाद वर्ष 1945 में फिर जुड़े और 1949 के मत्युपर्यत तक काम किया।

मजदूरों के कल्याण पर उनका पूरा फोकस

एक भारतीय होने के नाते मजदूरों के कल्याण पर उनका पूरा फोकस था। श्रमिक कल्याणकारी उपायों के तहत ही उन्होंने आठ घंटे काम, बेहतर वेतन, मातृत्व अवकाश योजना की शुरुआत की। जिसे बाद में भारत सरकार ने भी अपनाया। इसके अलावे उन्हाेंने भारतीयकरण कार्यक्रम में भी सहयोग किया। जिसके बाद टाटा स्टील के प्रमुख पदों पर भारतीयों की नियुक्ति हुई। इससे टाटा स्टील में श्रम बल का विश्वास अधिकारियों पर बढ़ा और उनकी शिकायतों को बेहतर तरीके से सुना जाने लगा।

1945 में भारत सरकार की योजना के वास्तुकारों में से एक

यह सर दलाल की ही पहल थी कि वर्ष 1932 में उन्होंने पहली बार आंतरिक द्विवभाषीय (अंग्रेजी व हिंदी) में टिस्को रिव्यू शुरू किया। इस प्रकाशन में विभागीय जानकारियां, स्पोटर्स व यात्रा वृत्तांत सहित सामाजिक कार्यों की जानकारियां कर्मचारियों के लेख के साथ प्रकाशित हुए। वर्ष 1939 में उन्हें नाइट कमांडर (केसीआईई) की उपाधि दी गई। जून 1944 में भारत के तत्कालीन वायसराय लार्ड वेवेल ने उन्हें योजना व विकास के प्रभारी सदस्य के रूप में कार्यकारिणी परिषद में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया। वे 1945 में भारत सरकार की योजना के वास्तुकारों में से एक थे। वे 1944 में प्रकाशित बाम्बे प्लान के आठ लेखकों में से एक थे। वर्ष 1947 में उन्हें कंपनी का वाइस चेयरमैन बनाया गया। आठ अक्टूबर 1949 को सर आर्देशिर दलाल का निधन हो गया। उनके सम्मान में ही जमशेदपुर स्थित अस्पताल सह नर्सिंग कॉलेज आर्देशिर दलाल मेमोरियल हॉस्पिटल का नाम रखा गया है।

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