Archery World Cup : इधर आह, उधर वाह और फिर गोल्ड पर निशाना

Archery World Cup फ्रांस की राजधानी पेरिस में निशाना साध कर स्वर्ण पदक जीतने वाली तीरंदाज कोमालिका बारी के पैतृक गांव तांतनगर प्रखंड के रोलाडीह में जश्न का महौल है। गांव में लोग लड्डू बांट कर खुशियां मना रहे हैं और एक दूसरे को बधाई दे रहे हैं।

By Rakesh RanjanEdited By: Publish:Tue, 29 Jun 2021 11:45 AM (IST) Updated:Tue, 29 Jun 2021 11:45 AM (IST)
Archery World Cup : इधर आह, उधर वाह और फिर गोल्ड पर निशाना
विश्वकप तीरंदाजी में गोल्ड पर निशाना साधने वाली कोमलिका बारी। फाइल फोटो

जमशेदपुर, जासं। पेरिस में विश्वकप तीरंदाजी का अंतिम दिन। भारतीय महिला रिकर्व टीम किसी अर्जुन की भांति निशाने पर नजरें टिकाए हुए थी। दीपिका कुमारी, कोमलिका बारी व अंकिता भकत के चेहरे पर आत्मविश्वास साफ झलक रहा था। लेकिन साफ समंदर पार जमशेदपुर के बिरसानगर में कोमलिका के माता-पिता की धड़कनें तेज हो रही थी। हर तीर पर कभी आह तो कभी वाह की आवाज निकलती थी।

जैसे ही कोमलिका ने अंतिम निशाना साध सोना अपनी झोली में डाला, बिरसानगर स्थित आवास पर जश्न तेज हो गई। आखिर शहर की बिटिया ने टोक्यो ओलंपिक से पहले कमाल जो कर दिखाया था। लोग एक-दूसरे को मिठाई खिलाने लगे। कोमलिका के पिता घनश्याम बारी व मां लक्ष्मी के आंखों से खुशी के आंसू बह निकले।

गांव की बिटिया ने जीता सोना तो चमका रोलाडीह

फ्रांस की राजधानी पेरिस में निशाना साध कर स्वर्ण पदक जीतने वाली तीरंदाज कोमालिका बारी के पैतृक गांव तांतनगर प्रखंड के रोलाडीह में जश्न का महौल है। गांव में लोग लड्डू बांट कर खुशियां मना रहे हैं और एक दूसरे को बधाई दे रहे हैं। गोल्ड मेडलिस्ट कोमोलिका बारी समेत उनके माता-पिता व परिवार के अन्य सदस्यों को बधाई देने वालों का तांता लगा रहा है। चूंकि कोमालिका बारी के माता-पिता जमशेदपुर स्थित बिरसा नगर में रहते हैं, बावजूद गांव की बिटिया के इस हौसले को बुलंद रखने के लिए गांव में लोग जश्न मना रहे हैं। कोमालिका बारी के पिता घनश्याम बारी ने बताया कि बेटी को ओलंपिक खेलने का जुनून चढ़ा हुआ है। पर इस बार ओलंपिक का टिकट नहीं मिल पाने के कारण वह थोड़ी सी निराश हो गई। लेकिन उसकी हिम्मत को हारने नहीं देना है बल्कि उसकी हौसला को बढ़ाए रखना है ताकि आगे ओलंपिक में खेलने का मौका मिल सके। इस अवसर पर मनोहर बारी, डोबरो बारी, नागूरी बारी, सुपाय बारी, ओसली बारी, पालो बारी, गुरूचरण बारी आदि ने जश्न मनाने में शामिल थे।

 बेटी का सपना पूरा करने के लिए बेचना पड़ा था घर

गोल्डमेडेलीस्ट कोमालिका बारी के पिता घनश्याम बारी ने बेटी को तीरंदाजी बनाने के लिए संपत्ति झोंक दी थी। पिता ने हमेशा से उसका साथ दिया। कभी चाउमीन की दुकान तो कभी एलआइसी एजेंट का काम करने वाले कोमालिका के पिता ने अपनी बेटी के सपने को पूरा करने के लिए अपना घर तक बेच दिया था। उनके पिता ने 2-3 लाख रुपयों में आने वाला को धनुष खरीदने के लिए अपना घर बेच दिया था। उनका सपना था कि उनकी बेटी ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व करे। पिता घनश्याम बारी ने बताया कि 40 साल पहले मेरे पिता जमशेदपुर टिस्को कंपनी में काम करते थे। उस समय बिरसानगर क्षेत्र में जमीन लिया था। पिताजी देहांत होने के बाद सारा बोझ मेरे कंधे पर आया। बेटी कोमालिका को तीरंदाजी में उतनी रूचि नहीं थी। उसे शरीरिक पुर्तिलापन रहने के लिए टाटा आर्चरी सेटर में दाखिला कराया गया था। सेंटर के कोच ने कोमालिका की प्रतिभा को पहचाना और जागृत किया। लगन व प्रतिभा जैसे जैसे निखरते गया वैसे वैसे कोमालिका को संसाधन की जरूरत बढ़ती गयी। उन्होंने बताया कि परिवार में उतना सक्षम नहीं था कि असानी से संसाधन की व्यवस्था हो। संसाधन जुटाने के बिरसानगर स्थित जमीन की कुछ हिस्सा बेच कर उसकी लगन व प्रतिभा को आगे बढ़ाया। उन्होंने कहा कि संसाधन जुटाने के परिवार में आर्थिक तांगी आयी तो कभी एलआईसी का एजेंट बना तो कभी ठेला लगाकर चाउमीन बेचने का काम किया। लेकिन किस्मत खराब की इस करोना काल में यह धंधा भी बंद हो गया। फिलहाल वे समाज सेवा कर रहे हैं।

17 साल की आयु में विश्व चैम्पियन बनने वाली भारत की दूसरी तीरंदाज बनी थीं कोमालिका

भारतीय तीरंदाज कोमालिका बारी ने 2019 में स्पेन में आयोजित विश्व युवा तीरंदाजी चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीता था। कोमलिका ने जापान की सर्वोच्च रैंक होल्डर सोनदा वाका को रिकर्व कैडेट वर्ग के एकतरफा फाइनल में हराया था। कोमालिका ने सोनोदा वाका को 7-3 से हराया था। 2009 में दीपिका कुमारी के विश्व चैम्पियन बनने के बाद टाटा तीरंदाजी अकादमी की अंडर-18 वर्ग में 17 साल की खिलाड़ी कोमालिका विश्व चैम्पियन बनने वाली भारत की दूसरी तीरंदाज बनी थीं। इस तरह 2019 में भारत का नाम रौशन करने वाली महिलाओं में कोमोलिका भी शामिल थीं।

इस तरह हुइ तीरंदाजी की शुरुआत

परिजनों के साथ कोमलिका बारी। फाइल फोटो

कोमालिका बारी झारखंड के तांतनगर की रहने वाली है और उन्होंने 2012 में आइएसडब्ल्यूपी तीरंदाजी सेंटर से अपने करियर की शुरुआत की थी। तार कंपनी में 4 सालों तक मिनी और सबजूनियर वर्ग में शानदार प्रदर्शन के बाद कोमालिका को 2016 में टाटा आर्चरी एकेडमी में प्रवेश मिला था। टाटा आर्चरी एकेडमी में उन्हें द्रोणाचार्य पूर्णिमा महतो और धर्मेंद्र तिवारी जैसे दिग्गज प्रशिक्षकों ने तीरंदाजी के गुर सिखाए। इन 3 सालों में कोमालिका ने डेढ़ दर्जन राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पदक जीते है।मां चाहती थीं कोमालिका तीरंदाज बनेकोमालिका की मां लक्ष्मी बारी एक आंगनबाड़ी सेविका हैं। दरअसल कोमालिका की मां चाहती थीं कि उनकी बेटी तीरंदाजी को अपने करियर बनाएं और इस क्षेत्र में उनका नाम रोशन करें। इस बार बेटी को ओलंपिक में जगह नहीं मिलने पर थोड़ी निराशा जरूर हुई लेकिन उन्होंने बेटी की हौसला को बुलंद रखने के लिए प्रोत्साहन देती रही।

chat bot
आपका साथी