खोलने का आदेश होने के बावजूद बंद पड़े हैं आंगनबाड़ी केंद्र

प्रखंड में आंगनबाड़ी केंद्रों को खोलने को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है। झारखंड सरकार के महिला बाल विकास एवं समाजिक सुरक्षा विभाग ने विगत 23 नवंबर को ही आंगनबाड़ी केंद्रों को खोलने से संबंधित आदेश जारी किया था।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 06 Dec 2021 06:30 AM (IST) Updated:Mon, 06 Dec 2021 06:30 AM (IST)
खोलने का आदेश होने के बावजूद बंद पड़े हैं आंगनबाड़ी केंद्र
खोलने का आदेश होने के बावजूद बंद पड़े हैं आंगनबाड़ी केंद्र

संवाद सूत्र, चाकुलिया : प्रखंड में आंगनबाड़ी केंद्रों को खोलने को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है। झारखंड सरकार के महिला, बाल विकास एवं समाजिक सुरक्षा विभाग ने विगत 23 नवंबर को ही आंगनबाड़ी केंद्रों को खोलने से संबंधित आदेश जारी किया था। लेकिन 12 दिन बीतने के बावजूद अभी तक चाकुलिया समेत पूरे घाटशिला अनुमंडल के आंगनबाड़ी केंद्रों का ताला अभी तक नहीं खुला है। इससे नौनिहालों एवं गर्भवती व धात्री माताओं के लिए सरकार द्वारा चलाई जा रही पोषण योजनाएं प्रभावित हो रही हैं। विदित हो कि कोरोना के प्रकोप को देखते हुए सरकार ने 19 अप्रैल 2021 से तमाम आंगनबाड़ी केंद्रों को बंद रखने से संबंधित आदेश (पत्रांक 812/19.4.2021) जारी किया था। जिसके बाद से ही राज्य के तमाम आंगनबाड़ी केंद्रों पर ताले लट गए थे। मगर बीते 23 नवंबर को विभाग ने नया आदेश जारी किया जिसमें सभी आंगनबाड़ी सेविकाओं तथा सहायिकाओं का पूर्ण टीकाकरण सुनिश्चित करते हुए केंद्र खोलने का निर्देश दिया गया था। इसके साथ ही लाभुकों को सभी सेवाएं आंगनबाड़ी केंद्र के माध्यम से उपलब्ध कराने का भी निर्देश था। जिला समाज कल्याण पदाधिकारी को यह सुनिश्चित करना था कि पूर्व में जारी एसओपी का पालन करते हुए आंगनबाड़ी केंद्रों का संचालन किया जाए। दरअसल आंगनबाड़ी केंद्रों के बंद होने से विभाग की अधिकांश योजनाएं कागजों पर सिमट कर रह गई है। विभागीय अधिकारियों का भी ध्यान योजनाओं को धरातल पर उतारने से कहीं अधिक फोटो एवं रिपोर्टिंग पर रहता है। लिहाजा नीचे के कर्मचारी व अधिकारी भी वाट्सएप ग्रुप में फोटो डाल कर अपने कर्तव्य की इतिश्री कर लेते हैं। पांच माह से नहीं मिला पोषाहार का पैसा : आंगनबाड़ी केंद्र बंद होने के पीछे एक प्रमुख कारण समाज कल्याण विभाग की लालफीताशाही है। स्थानीय सेविकाओं का कहना है कि जब विभाग पोषाहार का पैसा ही नहीं देगा तो हम आंगनबाड़ी केंद्र खोलकर बच्चों को क्या खिलाएंगे। आंगनबाड़ी कर्मी संघ की जिलाध्यक्ष पुष्पा महतो ने बताया कि बीते जुलाई महीने से हमें पोषाहार का पैसा नहीं मिला है। ऐसे में पोषाहार योजना का संचालन करने में दिक्कत हो रही है। 7 माह से 3 साल तक के शिशु तथा गर्भवती व धात्री महिलाओं को भी नियमित रूप से पोषाहार नहीं मिलता है। बीते ढाई साल से यही स्थिति है। साल में बमुश्किल तीन चार महीने ही पोषाहार का वितरण होता है। इस वित्तीय वर्ष में सिर्फ 1 महीने का ही पोषाहार वितरित हुआ है।

आंगनबाड़ी को लेकर असमंजस की स्थिति : स्थानीय सीओ सह प्रभारी सीडीपीओ जयवंती देवगम ने आंगनबाड़ी खोलने की बाबत पूछने पर कहा कि अभी असमंजस की स्थिति है। विभाग ने खोलने का आदेश तो जारी कर दिया है लेकिन लगभग पूरे जिले में ही आंगनबाड़ी बंद पड़े हुए हैं। बीच में विक्रमशिला परियोजना के क्रियान्वयन के लिए केंद्र खोले गए थे। हालांकि आंगनबाड़ी के लाभुकों को घर पर ही सुखा राशन मुहैया किया जा रहा है।

chat bot
आपका साथी