Jharkhand Politics: वृहद झारखंड के लिए फिर उलगुलान करेगा आजसू, बिगुल फूंकने का दिन भी हो गया निर्धारित
झारखंड अलग राज्य आंदोलन में अग्रणी भूमिका निभाने वाला आल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन (आजसू) अब वृहद झारखंड के लिए आंदोलन का बिगुल फूंकने जा रहा है। इसके लिए 22 जून की तिथि निर्धारित की गई है जो आजसू का स्थापना दिवस है।
जमशेदपुर, जासं। झारखंड अलग राज्य आंदोलन में अग्रणी भूमिका निभाने वाला आल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन (आजसू) अब वृहद झारखंड के लिए आंदोलन का बिगुल फूंकने जा रहा है। इसके लिए 22 जून की तिथि निर्धारित की गई है, जो आजसू का स्थापना दिवस है। इस दिन परिकल्पित झारखंड यानी बवृहद झारखंड और बेहतर झारखंड के लिए उलगुलान का ऐलान होगा।
पुनर्गठित ऑल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन (आजसू) केंद्रीय कमेटी के अध्यक्ष रवि पीटर व प्रेस प्रवक्ता सुबोध कुमार दांगी ने संयुक्त रूप से प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा है कि आगामी 22 जून को ऑल झारखंड स्टूडेंट यूनियन (आजसू ) का 36वां स्थापना दिवस रांची प्रेस क्लब में आयोजित करने का निर्णय लिया गया है। आजसू के नेताद्वय ने कहा है कि आजसू बनाम आजसू पार्टी का विवादित मामला भारत निर्वाचन आयोग के समक्ष विचाराधीन तथा लंबित पड़ा हुआ है। सुदेश कुमार महतो ने फर्जी शपथपत्र दाखिल कर सन 2002 में ऑल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन के नाम से राजनीतिक पार्टी का पंजीकरण करा लिया था। इसका प्रतिवाद करते हुए आजसू के संस्थापक सूर्य सिंह बेसरा ने निर्वाचन आयोग के समक्ष आपत्ति पत्र दायर किया था। इसके बाद 2003 में चुनाव आयोग द्वारा पार्टी के पंजीकरण को फर्जी और जालसाजी करार देते हुए सुदेश कुमार महतो को नोटिस जारी किया गया था कि ऑल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन के नाम में परिवर्तन करें, अन्यथा उन पर धोखाधड़ी का केस चलेगा। उसके बाद सुदेश कुमार महतो ने 2007 में ऑल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन का नाम बदलकर आजसू पार्टी के नाम से राजनीतिक पार्टी के रूप में पंजीकृत करा लिया।
आसू की तर्ज पर बेसरा ने बनाया था आजसू
पुनर्गठित आजसू जो असली है, उसके अध्यक्ष रवि पीटर ने कहा है कि इतिहास साक्षी है कि सूर्य सिंह बेसरा ने पूर्वोत्तर राज्यों के उग्र छात्र आंदोलन से उत्प्रेरित होकर ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन ( आसू) की तर्ज पर 22 जून 1986 को जमशेदपुर में ऑल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन (आजसू) की स्थापना की थी। यह भी सर्वविदित है कि 1989 आजसू द्वारा 72 घंटे का झारखंड बंद आहूत किया गया था, जो हिंसक और काफी विस्फोटक था। उसी के परिणामस्वरुप तत्कालीन भारत सरकार ने राजीव गांधी के प्रधानमंत्री तत्काल में इतिहास में पहली बार दिल्ली में झारखंड वार्ता हुई थी। यह इतिहास है कि आजसू के विस्फोटक आंदोलन के परिणाम स्वरूप पांच दशक पुराने झारखंड आंदोलन की दशा और दिशा को ही बदल दिया था। यह हकीकत है कि झारखंड राज्य का निर्माण आजसू उलगुलान का परिणाम है।