AJSU की कहानी-सूर्य सिंह बेसरा की जुबानी, 22 जून को है झारखंड आंदोलन में अग्रणी भूमिका निभाने वाले संगठन का 36वां स्थापना दिवस

झारखंड के इतिहास में 22 जून 1986 को ऑल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन (आजसू) का गठन हो गया। उसी दिन आजसू की सिंहभूम जिला कमेटी का गठन भी किया गया जिसके पहले अध्यक्ष सुसेन महतो सचिव गोपाल बैनर्जी व विद्युत वरण महतो को कोषाध्यक्ष मनोनीत किया गया।

By Rakesh RanjanEdited By: Publish:Mon, 21 Jun 2021 10:20 AM (IST) Updated:Tue, 22 Jun 2021 03:42 PM (IST)
AJSU की कहानी-सूर्य सिंह बेसरा की जुबानी, 22 जून को है झारखंड आंदोलन में अग्रणी भूमिका निभाने वाले संगठन का 36वां स्थापना दिवस
आजसू के संस्थापकों में शामिल सूर्य सिंह बेसरा।

जमशेदपुर, जासं। ऑल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन (आजसू) ने झारखंड अलग राज्य आंदोलन में अग्रणी व हिंसक भूमिका निभाई थी। इसकी स्थापना उस वक्त के फायरब्रांड नेता सूर्य सिंह बेसरा ने कुछ क्रांतिकारी साथियों के साथ की थी। बेसरा ने ही झारखंड अलग राज्य के लिए दिल्ली में तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी व तत्कालीन गृह मंत्री बूटा सिंह के साथ निर्णायक वार्ता की थी। इस संगठन का 36वां स्थापना दिवस 22 जून को मनाया जाएगा। इसका गठन कैसे और किन परिस्थितियों में हुआ, सुना रहे हैं पूर्व विधायक सूर्य सिंह बेसरा।

बात 21 जून 1986 की है। डॉक्टर पशुपति प्रसाद महतो के प्रस्ताव पर उड़ीसा (ओडिशा) राज्य के बारीपदा स्थित चित्रड़ा जाने का कार्यक्रम बना। हम लोग पार्टी के कार्यक्रम में जमशेदपुर स्थित सोनारी में उपस्थित थे। यहां से आस्तिक महतो की जीप, जिसका नंबर 281 था, सवार होकर डा. पशुपति प्रसाद महतो, झारखंड मुक्ति मोर्चा के केंद्रीय अध्यक्ष निर्मल महतो, केंद्रीय सचिव शैलेंद्र महतो, मोहन कर्मकार और मैं स्वयं सूर्य सिंह बेसरा सुबह-सुबह जमशेदपुर से बारीपदा के लिए रवाना हो गए।

सफर के दौरान रखा प्रस्ताव

गाड़ी में सफर करते-करते मैंने झारखंड मुक्ति मोर्चा के छात्र संगठन का नामकरण को लेकर प्रस्ताव रखा। इस विषय पर करीब तीन घंटे तक बहस चली। मैंने संगठन के स्वरूप का प्रारूप पहले से तैयार करके रखा था। मैंने उसी को प्रस्तुत करते हुए ऑल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन (आजसू) का प्रस्ताव रखा। इस पर प्रतिक्रिया स्वरूप शैलेंद्र महतो ने झारखंड छात्र मोर्चा का प्रस्ताव दिया। इन दो नामों को लेकर काफी तर्क-वितर्क हुआ। अंतत: डॉक्टर पशुपति प्रसाद महतो और निर्मल महतो ने आजसू के नाम पर स्वीकृति प्रदान कर दी। तब तक हमलोग बारीपदा से करीब 25 किलोमीटर चित्रड़ा गांव पहुंच गए थे। उड़ीसा क्षेत्र के झारखंड आंदोलनकारी पद्म लोचन ने कार्यक्रम का आयोजन किया था। हमलोगों का गर्मजोशी के साथ स्वागत किया गया। कार्यक्रम संपन्न होने के बाद खाने-पीने के बाद उसी दिन हम लोग रात को जमशेदपुर लौट आए।

सोनारी में हुआ आजसू का गठन

दूसरे दिन 22 जून को सुबह करीब 10 बजे सोनारी स्थित झामुमो कार्यालय में एक आपातकालीन बैठक बुलाई गई, जिसमें झारखंड मुक्ति मोर्चा के केंद्रीय अध्यक्ष निर्मल महतो, केंद्रीय सचिव शैलेंद्र महतो, डॉक्टर पशुपति प्रसाद महतो, आस्तिक महतो, पत्रकार केदार महतो, सुनील बरन बनर्जी (टेलीग्राफ), एसएन सिंह (इंडियन नेशन), इफ्तेखार हुसैन (उदितवाणी) की उपस्थिति में ऑल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन (आजसू) के नामकरण का प्रारूप प्रस्तुत किया गया, जिसे सर्वसम्मति से पारित किया गया। इस प्रकार झारखंड के इतिहास में 22 जून 1986 को ऑल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन (आजसू) का गठन हो गया। उसी दिन आजसू की सिंहभूम जिला कमेटी का गठन भी किया गया, जिसके पहले अध्यक्ष सुसेन महतो, सचिव गोपाल बैनर्जी व विद्युत वरण महतो को कोषाध्यक्ष मनोनीत किया गया।

असम व गोरखालैंड जाने का निर्णय

उसी बैठक में निर्णय लिया गया कि संयोजक सूर्य सिंह बेसरा, बबलू मुर्मू और हरिशंकर महतो 25 जुलाई को ऑल असम स्टूडेंट यूनियन (आसू) के नेता सह असम के मुख्यमंत्री प्रफुल्ल कुमार महंत तथा गोरखालैंड के नेता सुभाष घीसिंग से भेंटवार्ता के लिए जाएंगे। इसके पूर्व 1979 मे जमशेदपुर स्थित बारी मैदान में छोटनागपुर संथाल परगना युवा छात्र संघर्ष मोर्चा के बैनर तले एक विशाल जनसभा में उपस्थित पहली बार मेरी मुलाकात शैलेंद्र महतो से हुई थी। उसी दिन मैं उनके साथ घोड़ाबांधा आया, जहां शैलेंद्र महतो ने ही मुझे 1979 में ही झारखंड मुक्ति मोर्चा में शामिल कराया था।

मुसाबनी में पहली बार हुई थी शिबू सोरेन की विशाल जनसभा

1980 में शैलेंद्र महतो और मेरे नेतृत्व में मुसाबनी में पहली बार दिशोम गुरु शिबू सोरेन की ऐतिहासिक विशाल जनसभा का आयोजन किया गया था। 1983 में झामुमो का पहला महाधिवेशऩ धनबाद जिले के सरायढेला में हुआ, जहां मुझे पार्टी के केंद्रीय कार्यकारिणी सदस्य के रूप में शामिल किया गया था। झामुमो का द्वितीय महाधिवेशन 27-28 अप्रैल 1986 को रांची स्थित टाउन हॉल में हुआ था, जहां मैंने पार्टी के छात्र संगठन का गठन करने का प्रस्ताव रखा था, जो सर्वसम्मति से पारित किया गया। इसके बाद एक जून 1986 को बोकारो में केंद्रीय कमेटी की बैठक में मुझे छात्र संगठन बनाने के लिए संयोजक मनोनीत किया गया।

आसू से प्रेरित होकर आजसू ने भी किया हिंसक आंदोलन

उन दिनों 1979 से 1985 तक पूर्वोत्तर राज्यों में छात्रों का उग्र आंदोलन हो रहा था। ऑल असम स्टूडेंट यूनियन (आसू) के हिंसक आंदोलन से असम देश और दुनिया के अखबारों की सुर्खियों में था। पूर्वोत्तर राज्यों के छात्रों के हिंसक आंदोलन से प्रेरित होकर ऑल असम स्टूडेंट यूनियन (आसू) की तर्ज पर मेरे नेतृत्व में 1989 में 72 घंटे का झारखंड बंद का ऐलान किया गया। इसके परिणाम स्वरुप केंद्र सरकार को झारखंड वार्ता के लिए पहली बार बाध्य किया गया, जो झारखंड राज्य निर्माण में निर्णायक साबित हुआ और तो और आजसू के झारखंड आंदोलन से 50 साल पुराने झारखंड आंदोलन की दिशा ही बदल गई। इस प्रकार झारखंड राज्य निर्माण में आजसू का बहुत बड़ा योगदान रहा है।

सुदेश महतो आजसू से लड़े और जीते

सुदेश कुमार महतो सन 2000 में सिल्ली विधानसभा से आजसू समर्थित उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़े और निर्वाचित हुए। सुदेश कुमार महतो ने आजसू के नेताओं को विश्वास में नहीं लेकर फर्जी शपथ पत्र दाखिल कर दिया। भारत निर्वाचन आयोग में उन्होंने 2002 में आवेदन दिया और ऑल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन के नाम से पार्टी पंजीकरण के लिए आवेदन दिया था। मैंने चुनाव आयोग को आपत्ति पत्र दिया और 2003 में जांच पड़ताल में पाया गया कि सुदेश कुमार महतो का आवेदन फर्जी है। धोखे से उन्होंने ऑल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन को पार्टी के नाम से पंजीकरण करने का प्रयास किया था। चुनाव आयोग ने उनको नोटिस जारी किया और अविलंब नाम बदलने के का निर्देश दिया। इसके बाद सुदेश कुमार महतो ने 2007 में जमशेदपुर में महाअधिवेशन बुलाकर आजसू पार्टी का नामकरण किया यानी आजसू ब्रांड को हाइजैक करके आजसू पार्टी के नाम से राजनीतिक पार्टी का गठन किया और भारत निर्वाचन आयोग से पंजीकृत करा लिया।

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