Air India Sale : टाटा की एयर इंडिया हो गई, अब Spicejet व Indigo से ऐसे होगी लड़ाई

Air India Sale टाटा समूह ने एयर इंडिया को 18000 करोड़ में खरीदकर दुनिया भर तहलका मचा दिया है। अब यह समूह एयर इंडिया एयर एशिया व विस्तारा को मर्ज कर आगे बढ़ने की तैयारी कर रहा है। ऐसे में स्पाइसजेट व इंडिगो टेंशन में हैं...

By Jitendra SinghEdited By: Publish:Wed, 13 Oct 2021 11:45 AM (IST) Updated:Wed, 13 Oct 2021 11:45 AM (IST)
Air India Sale : टाटा की एयर इंडिया हो गई, अब Spicejet व Indigo से ऐसे होगी लड़ाई
Air India Sale : टाटा की एयर इंडिया हो गई, अब Spicejet व Indigo से ऐसे होगी लड़ाई

जमशेदपुर, जासं। टाटा समूह ने एयर इंडिया का अधिग्रहण कर लिया है, तो अब विमानन क्षेत्र की प्रतिद्वंद्वियों में अजीब सी बेचैनी हो गई है। सब इसी बात का आकलन कर रहे हैं कि टाटा एयर इंडिया को बढ़ाने के लिए क्या कर सकता है। 

विमानन बाजार में इस बात की चर्चा है कि टाटा टिकट या किराये में कमी करके यात्रियों को आकर्षित करेगा या लागत मूल्य में कमी करके यात्री सुविधा की गुणवत्ता में वृद्धि करेगा। दोनों ही स्थिति में प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी। यह भी कहा जा रहा है कि टाटा समूह दोनों रणनीति पर एक साथ काम कर सकता है। यदि ऐसा हुआ तो उनकी परेशानी बढ़ सकती है।

बहरहाल, सूचीबद्ध एयरलाइन ऑपरेटरों इंटरग्लोब एविएशन और बेहतर मूल्य निर्धारण शक्ति से संबंधित गतिशीलता बदलने की संभावना है, जो बड़े पैमाने पर समेकन द्वारा संचालित है। प्रतिद्वंद्वी से इतनी अधिक आक्रामकता नहीं है, और लागत पर सख्त ध्यान केंद्रित है। विश्लेषकों ने कहा कि दक्षता कुछ ऐसे कारक हैं जो मध्यम अवधि में कर निर्धारण से पहले का मुनाफा उद्योग के सामान्यीकृत परिचालन लाभ में सुधार की संभावना है।

 

जेट एयरवेज की गलती नहीं करेगा टाटा

विमानन जैसे पूंजी-प्रधान क्षेत्र में व्यवसाय की स्थिति में बदलाव मुख्य रूप से मांग, सस्ते कच्चे तेल, कम प्रतिस्पर्धा और समेकन के बाद एक कंपनी के बाहर निकलने, प्रवेश या उभरने से बदलता जाता है। बाहर निकलने के मामले में ऐतिहासिक रूप से यह देखा गया है कि मौजूदा खिलाड़ी बाजार हिस्सेदारी और मूल्यांकन प्रीमियम हासिल करते हैं। पूरी उम्मीद है कि टाटा जेट एयरवेज वाली गलती नहीं करेगा।

2019 में जेट एयरवेज इसी वजह से बंद हो गई थी। इस एयरलाइन के विमानों के बंद होने के बाद के शुरुआती महीनों में अप्रैल 2019 में इस क्षेत्र की आय महीने-दर-महीने आधार पर 23 प्रतिशत तक बढ़ गई थी और विश्लेषकों ने कर और किराये (एबिटर) से पहले आय में कम से कम दोगुना वृद्धि का अनुमान लगाया था। एक नए खिलाड़ी का प्रवेश, यदि एक मजबूत प्रमोटर द्वारा समर्थित है, तो गतिशीलता को बदल देता है, क्योंकि इससे ज्यादातर मूल्य युद्ध होते हैं।

टिकट दर में कमी नहीं करेगा टाटा समूह

विश्लेषकों का मानना है कि मौजूदा एयरलाइन द्वारा कुछ एयरलाइनों का अधिग्रहण जो सबसे अच्छी तरह से प्रबंधित और शीर्ष-प्रवर्तकों में से एक द्वारा समर्थित है, एक अलग तरह का खेल है। टाटा समूह शायद बाजार में क्षमता से परिपूर्ण रहकर टिकट की कीमतों में कमी करके प्रतिस्पर्धा को खत्म नहीं करना चाहेगा।

फिलहाल टाटा समूह एयर इंडिया के साथ घरेलू विमानन उद्योग में करीब 25 प्रतिशत बाजार हिस्सेदारी में पहले से मौजूद विस्तारा और एयर एशिया को संयुक्त उद्यम के रूप में संचालित कर सकता है। इससे उसके कंपनी की लागत को नियंत्रित करने में मदद मिलेगी।

विमानन क्षेत्र में स्वस्थ प्रतिस्पर्धा के लिए यह अच्छी रणनीति होगी। टिकटों के दाम कम करने से बाजार की बेचैनी बढ़ जाएगी, जबकि सुविधा बढ़ाने से विमानन उद्योग में युद्ध जैसी स्थिति नहीं बनेगी। एयर इंडिया के कर्ज में कमी से उद्योग का कर्ज भी कम होगा। सूचीबद्ध एयरलाइनों में इंटरग्लोब एविएशन (57.6 प्रतिशत बाजार हिस्सेदारी) और स्पाइसजेट (8.9 प्रतिशत) को मध्यम अवधि में अपने ऐतिहासिक औसत की तुलना में अधिक मूल्यांकन मिल सकता है।

अजेय योद्धा की कहानी तय

एक प्रमुख ब्रोकिंग फर्म के एक विश्लेषक ने कहा कि टाटा समूह कौन सी रणनीति पर ध्यान केंद्रित करेगा, लेकिन यह तय है कि यह एक अजेय खिलाड़ी के रूप में सामने आएगा। आने वाली तिमाहियों में यही बात सामने आएगी, जिसमें अंतर एक दुर्जेय खिलाड़ी के उभरने का संकेत होगा।

एक एयरलाइन के मूल्यांकन में प्रीमियम काफी हद तक लागत नियंत्रण जुड़ा होगा। टाटा समूह स्वस्थ प्रतिस्पर्धा को कायम रखना चाहेगा ना कि प्रतिद्वंद्वियों का सफाया करना।

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