आदित्यपुर औद्योगिक क्षेत्र में सुविधाओं का घोर अभाव, टाटा से चलती कंपनियों की धड़कन

Adityapur Industrial Area आदित्यपुर औद्योगिक क्षेत्र के उद्यमी सुविधा की कमी का रोना रो रहे हैं। उनका कहना है कि समस्याएं इतनी है कि पूछिए मत। काेरोना काल में उद्यमियों की हालत कुछ ज्यादा की खस्ता हो गयी। सरकार को इस आेर ध्यान देना चाहिए।

By Rakesh RanjanEdited By: Publish:Wed, 22 Sep 2021 09:42 AM (IST) Updated:Wed, 22 Sep 2021 09:42 AM (IST)
आदित्यपुर औद्योगिक क्षेत्र में सुविधाओं का घोर अभाव, टाटा से चलती कंपनियों की धड़कन
सरायकेला-खरसावां जिले के आदित्यपुर औद्योगिक क्षेत्र की फाइल फोटो।

जमशेदपुर, जागरण संवाददाता। आदित्यपुर औद्योगिक क्षेत्र में समस्याओं का अंबार है। यहां के उद्यमी कहते हैं कि एक हो तो कहें, क्या-क्या गिनाएं। सबसे पहले तो यहां सड़कों की हालत जर्जर है, जो कंपनी तक पहुंचने की पहली जरूरत है। इसके बाद बिजली की बात, वह जुस्को के आने से सुधरी है, लेकिन जो अब भी झारखंड सरकार की बिजली ले रहे हैं, उनकी हालत खराब है। कोरोना ने इस घाव में खाज का काम कर दिया। कंपनी बंद रखकर पूरा बिल भुगतान करना पड़ा। स्ट्रीट लाइट और सुरक्षा भी देखने वाला कोई नहीं है।

आए दिन चोरी होती रहती है। सिंहभूम चैंबर ऑफ कामर्स एंड इंडस्ट्री के निर्वतमान अध्यक्ष अशोक भालोटिया बताते हैं कि इन सबसे बड़ी समस्या यहां की कंपनियों की टाटा स्टील व टाटा मोटर्स पर निर्भरता है। 80 प्रतिशत कंपनियों की धड़कन टाटा के दिल से चलती है। वर्षों से मांग हो रही है कि सरकार यहां वाहन उद्योग से संबंधित कोई दूसरी बड़ी कंपनी बुलाए, लेकिन आज तक नहीं हुआ। इसका दूसरा पहलू यह भी है कि एयरपोर्ट नहीं बन सका, जिससे यहां कोई बड़ा निवेशक आना नहीं चाहता। हम तो यहीं के हैं, इसलिए कहीं जा नहीं सकते। गिरते-पड़ते कंपनी चलानी है।

आदित्यपुर औद्योगिक क्षेत्र में डीवीसी को भी बिजली वितरण की अनुमति मिले, ताकि कंपनियों को सस्ती दर पर बिजली मिल सके। वर्तमान कंपनियों की बिजली दर इतनी महंगी है कि कंपनियों का उत्पादन लागत बढ़ता जा रहा है। झारखंड सरकार ठोस नीति बनाए ताकि छोटी कंपनियों को आसानी से कच्चा माल मिल सके। टाटा मोटर्स वर्तमान में जो भी वाहन बना रही है, उसमें लगने वाले इलेक्ट्रिक उत्पादों को दूसरे राज्यों से आयात करती है। झारखंड सरकार उनसे बात करे, ताकि इलेक्ट्रिक मैन्युफैक्चरिंग क्लस्टर का निर्माण सार्थक हो सके।

- सुरेश सोंथालिया, राष्ट्रीय सचिव, कैट

दूसरे राज्यों की तर्ज पर झारखंड में भी प्रोक्योरमेंट नीति बने, ताकि स्थानीय उद्यमियों को इसका लाभ मिल सके। लंबे समय से संचालित उद्यमियों को अपने प्लांट का मालिकाना हक मिले। उद्यमियों से मासिक स्ट्रीट लाइट शुल्क लिया जाता है, लेकिन वे जलते ही नहीं। आयडा प्रति एकड़ लेवी लेती है, लेकिन मूलभूत सुविधाएं नहीं हैं। झारखंड में बिजली आपूर्ति और दर की एक नीति बने ताकि सभी उद्यमियों को सस्ते दर पर बिजली मिल सके। कई दलाल प्रवृत्ति के लोग आदिवासियों की जमीन लेकर उसे दूसरों को बेच रहे हैं, सरकार इस पर लगाम लगाए।

-आलोक चौधरी, उद्यमी।

इलेक्ट्रिसिटी ड्यूटी 8 से 15 गुना बढ़ा दिया : खेतान

राज्य सरकार ने इलेक्ट्रिसिटी ड्यूटी को जुलाई माह से 8 से 15 गुना बढ़ा दिया है। इससे कंपनियों की उत्पादन लागत भी बढ़ गई। आदित्यपुर में सड़कों की हालत बहुत खस्ता है। अलग-अलग एजेंसी सड़क के किनारे नहीं, बल्कि बीच सड़क को ही खोद दिया है। इससे वाहनों के आवागमन में काफी परेशानी होती है। पिछली सरकार के समय वेंडर डेवलपमेंट मीट का आयोजन कर डिफेंस की कंपनियां आई थी। इस तरह की सकारात्मक पहल वर्तमान सरकार को भी करने की जरूरत है।

- संतोष खेतान, अध्यक्ष, आदित्यपुर स्मॉल इंडस्ट्रीज एसोसिएशन

15 हजार से कम वर्गफीट वाले प्लाॅट बिना बीडिंग के उद्यमियों को मिले, ताकि तकनीकी रूप से दक्ष उद्यमियों को आगे बढ़ने का मौका मिल सके। बिजली में फिक्स्ड चार्ज में रियायत मिले। कोविड के कारण उद्यमियों की सिविल रेटिंग प्रभावित हुई। इसे नजरंदाज कर सरकार सरकारी सुविधाओं का लाभ उद्यमियों को दे और केंद्र सरकार की घोषणाएं जमीन पर क्रियान्वित हो, इसकी पहल हो।

-रुपेश कतरियार, प्रदेश उपाध्यक्ष, लघु उद्योग भारती, झारखंड

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