Adityapur Industrial Area: उद्यमियों की मांग, नई मैन्युफैक्चरिंग यूनिट लगे, मूलभूत सुविधाएं मिले

आदित्यपुर औद्योगिक क्षेत्र के उद्यमियों की परेशानी बढी है। वे हलकान हैं। उनकी मांग है कि नई मैन्युफैक्चरिंग यूनिट लगे। इसके साथ ही मूलभूत सुविधाएं मिले। औद्योगिक क्षेत्र में आज तक लॉजिस्टिक्स पार्क नहीं बने जिससे सड़क पर भारी वाहन खड़े रहे ।

By Rakesh RanjanEdited By: Publish:Thu, 23 Sep 2021 03:38 PM (IST) Updated:Thu, 23 Sep 2021 03:38 PM (IST)
Adityapur Industrial Area: उद्यमियों की मांग, नई मैन्युफैक्चरिंग यूनिट लगे, मूलभूत सुविधाएं मिले
झारखंड के आदित्यपुर आैद्योगिक क्षेत्र की फाइल फोटो।

जमशेदपुर, जागरण संवाददाता।  कोविड-19 के दूसरे वेव के बाद उद्यमियों की परेशानी खत्म होने की बजाय बढ़ती जा रही है। इसकी वजह है कि इमरजेंसी क्रेडिट लाइन के तहत ली गई ऋण की मियाद समाप्त होने वाली है और अब लिए गए ऋण पर उद्यमियों को ईएमआइ चुकानी होगी। ऐसे में उद्यमियों के माथे की शिकन बढ़ती जा रही है, क्योंकि इनके पास वर्किंग कैपिटल की कमी हो गई है। पुराने माल का पेमेंट मिला नहीं है और औद्योगिक क्षेत्र की सड़कों का हाल देखकर नए आर्डर कम आ रहे हैं। खरीदारों ने शेयर ऑफ ऑर्डर कम कर दिया है।

उद्यमियों की सबसे बड़ी चिंता यह भी है कि सरकार कई तरह की घोषणा करती है, लेकिन धरातल पर बैंक उन्हें क्रियान्वित करने में उतनी दिलचस्पी नहीं दिखाते। उद्यमियों का कहना है कि पेपर जमा करने के नाम पर सिर्फ कोरम पूरा कराया जाता है। इसके अलावा औद्योगिक क्षेत्र में नया मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर, मूलभूत सुविधाओं में सुधार, बिजली के फिक्स्ड चार्ज में कटौती, इलेक्ट्रिसिटी सरचार्ज में कमी, भारी वाहनों की पार्किंग के लिए ट्रांसपोर्ट पार्क का निर्माण सहित कई ऐसी मांगे हैं, जिस पर यदि काम हो तो व्यवस्था भी दुरुस्त होगी और उद्यमियों की परेशानी भी कम होगी।

पेश है उद्यमियों की मुख्य मांगें

टाटा मोटर्स को छोड़कर कोल्हान में और कोई बड़ी मैन्युफैक्चरिंग यूनिट नहीं है। ऐसे में उद्यमियों के पास काम का अभाव हमेशा रहता है। ऐसे में सरकार पहल करे ताकि यहां ट्रक, ट्रैक्टर या इलेक्ट्रिक वाहन निर्माण वाली कोई कंपनी लगे, ताकि यहां के उद्यमियों को विकल्प मिल सके। हमें नया मार्केट मिले। औद्योगिक क्षेत्र के आसपास एयरपोर्ट नहीं होने से बाहर से खरीदार नहीं पहुंच रहे हैं इसलिए झारखंड सरकार इस दिशा में भी पहल करे।

-प्रवीण गुटगुटिया, पूर्व महासचिव, एसिया

आदित्यपुर औद्योगिक क्षेत्र में काम का अभाव है इसलिए सरकार नए सरकारी या निजी उपक्रम खोले, ताकि उद्यमियों को काम मिले। सिंगल विंडो और इज ऑफ डूइंग बिजनेस तो है, लेकिन उद्यमियों को अब भी लाइसेंस नवीकरण में काफी परेशानी होती है। नवीकरण नहीं होने पर बैंक से ऋण नहीं मिलता, कंपनियां आर्डर नहीं देतीं, इसलिए सरकार इस पर गंभीरता से विचार करे। आदित्यपुर में इलेक्ट्रोनिक्स मैन्युफैक्चरिंग कलस्टर की तर्ज पर प्लास्टिक या फाइबर पार्क भी बने।

-समीर सिंह, उद्यमी

मूलभूत सुविधाएं देने के नाम पर हर इंडस्ट्री से रेंट लिया जाता है, लेकिन सड़क खोदे हुए हैं। स्ट्रीट लाइट जलती नहीं है और न ही कचरों का उठाव होता है। नालियों की सफाई भी नहीं होती है। औद्योगिक क्षेत्र में भारी वाहनों की पार्किंग के लिए लॉजिस्टिक पार्क बनना था, जो अब तक नहीं बना। इसके कारण भारी वाहन कंपनियों के बाहर खड़े रहने से ट्रैफिक जाम लगता है। पहले प्रोजेक्ट के आधार पर जमीन का आवंटन होता था, लेकिन ई-बीडिंग से छोटे उद्यमियों को जमीन नहीं मिलना सबसे बड़ी समस्या है।

-संदीप मिश्रा, उपाध्यक्ष, लघु उद्योग भारती।

कोविड में कर्मचारियों को वेतन देने और अपने प्लांट को बचाने में उद्यमियों की वर्किंग कैपिटल खत्म हो चुकी है। सरकारी स्कीम का लाभ देने में बैंक सुस्त है। सरकार यदि पूर्व में लिए गए लोन का क्रेडिट लाइन बढ़ाए, बिजली पर पूर्व में दी गई रियायत को फिर से क्रियान्वित करे तो उद्यमियों को इससे लाभ होगा। क्योंकि मार्केट सुधरने के कारण बाजार में काम तो है, लेकिन उद्यमियों के पास वर्किंग कैपिटल की कमी हो गई है।

-राजीव शुक्ला, उपाध्यक्ष, लघु उद्योग भारती

 

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