ऑक्सीजन को तरस रहे मरीज, सीएचसी में धूल फांक रहा कंसंट्रेटर

स्वास्थ्य विभाग एवं इसके हुक्मरान चाहे कुछ भी दावा कर लें पर सरकारी अस्पतालों में स्वास्थ्य सुविधाओं की जमीनी हकीकत काफी कड़वी है। पूर्वी सिंहभूम जिला के चाकुलिया सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र को ही देख लीजिए..

By JagranEdited By: Publish:Sat, 15 May 2021 06:00 AM (IST) Updated:Sat, 15 May 2021 06:00 AM (IST)
ऑक्सीजन को तरस रहे मरीज, सीएचसी में धूल फांक रहा कंसंट्रेटर
ऑक्सीजन को तरस रहे मरीज, सीएचसी में धूल फांक रहा कंसंट्रेटर

पंकज मिश्रा, चाकुलिया : स्वास्थ्य विभाग एवं इसके हुक्मरान चाहे कुछ भी दावा कर लें, पर सरकारी अस्पतालों में स्वास्थ्य सुविधाओं की जमीनी हकीकत काफी कड़वी है। पूर्वी सिंहभूम जिला के चाकुलिया सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र को ही देख लीजिए। वैश्विक महामारी के इस कठिन दौर में प्रखंड की करीब डेढ़ लाख आबादी की सेहत का जिम्मा जिस स्वास्थ्य केंद्र पर है वह सिर्फ टीकाकरण एवं कोविड जांच तक सिमट कर रह गया है। प्रखंड में कोरोना की दूसरी लहर में संक्रमितों का आंकड़ा 400 पार कर चुका है। इनमें से दर्जनों लोगों को ऑक्सीजन की जरूरत भी पड़ चुकी है, लेकिन ताज्जुब की बात यह है कि अब तक एक भी मरीज को न तो सीएचसी में भर्ती किया गया और ना ही यहां ऑक्सीजन दिया गया। बल्कि ऑक्सीजन की जरूरत वाले कई लोगों को सीएचसी में व्यवस्था नहीं होने की बात कहकर निजी अस्पताल आनंदलोक भेज दिया गया। जबकि कुछ लोग अपने घर पर ही निजी स्तर से सिलेंडर का जुगाड़ कर प्राण वायु ले रहे हैं। भला हो विनीत रुंगटा जैसे कुछ युवा समाजसेवियों का जिन्होंने प्रतिकूल परिस्थितियों में ऑक्सीजन का प्रबंध किया है। सरकारी लापरवाही का तो आलम यह है कि इधर लोग ऑक्सीजन के लिए तरस रहे हैं तो उधर कोविड मरीजों के लिए मुहैया किए गए ऑक्सीजन कंसंट्रेटर सीएचसी में धूल फांक रहे हैं। क्या होता है ऑक्सीजन कंसंट्रेटर : ऑक्सीजन कंसंट्रेटर ऐसा संयंत्र होता है जो वायुमंडल में मौजूद ऑक्सीजन को नाइट्रोजन एवं अन्य गैसों से अलग करते हुए संघनित (कंसंट्रेट) कर देता है जिसे कोरोना पीड़ित अथवा किसी भी अन्य व्यक्ति को दिया जा सकता है। जिस व्यक्ति का ऑक्सीजन सैचुरेशन लेवल 80 से ऊपर हो यह यंत्र उसी के लिए उपयोगी होता है। इससे कम हो जाने पर हाई फ्लो ऑक्सीजन सिलेंडर की जरूरत पड़ती है। चाकुलिया प्रखंड में अभी तक कई ऐसे मामले सामने आए हैं जिनमें कोरोना पीड़ित का ऑक्सीजन लेवल 94 से नीचे व 80 से उपर रहा है। ऐसे लोगों के इलाज में कंसंट्रेटर का सहारा लिया जा सकता था।

पांच कंसंट्रेटर में से तीन कर दिए गए वापस : कोरोना पीड़ित लोगों की उखड़ती सांसों को सहारा देने के लिए चाकुलिया सीएचसी को स्वास्थ्य विभाग से कुल 5 कंसंट्रेटर मिले थे। जिन्हें सील पैक अवस्था में ही स्टोर रूम में रख दिया गया। जब कोविड की दूसरी लहर का कहर शुरू हुआ तो जिला ने यह कहते हुए 5 में से 3 कंसंट्रेटर वापस मंगा लिया कि जब आपके यहां इसका उपयोग नहीं तो हमें दे दीजिए। चाकुलिया सीएचसी ने भी शायद यह मानते हुए कंसंट्रेटर लौटा दिए कि चाकुलिया में तो किसी को इसकी जरूरत पड़ेगी नहीं, फिर यहां रख कर क्या करें। कंसंट्रेटर जितना कम रहेगा, मरीज भर्ती करने का टेंशन उतना ही कम होगा। लौटाए गए 3 कंसंट्रेटर के साथ सभी पांच कंसंट्रेटर का रिमोट भी वापस कर दिया गया। जिसके चलते बाकी बचे दोनों कंसंट्रेटर को ऑपरेट करना भी मुश्किल हो गया है।

बेड पर जमी धूल बयां कर रही सच्चाई : कोविड से निपटने की तैयारियों के मद्देनजर सीएचसी की पड़ताल करने पर चौंकाने वाला नजारा सामने आया। पहले तो यह जानने में ही काफी समय लग गया कि अस्पताल का कोविड वार्ड किधर है और कंसंट्रेटर है या नहीं। पूछने पर अस्पताल कर्मियों ने बताया कि लैब के ठीक सामने वाले कमरे को कोविड वार्ड बनाया गया है। वहां पहुंचने पर कमरे में ताला बंद पाया गया। चाबी किसके पास है यह जानने में ही करीब आधा घंटा लग गया। बहरहाल कमरे का ताला खुला तो अंदर देखा गया कि 6 बेड लगा हुआ है। देखने से ही यह प्रतीत हो रहा था कि सिर्फ खानापूर्ति के लिए वार्ड बनाकर छोड़ दिया गया है। जिस बेड पर चादर नहीं थी उस पर जमी धूल की मोटी परत वार्ड की सच्चाई बयां कर रही थी। यहां कंसंट्रेटर रखा हुआ तो था पर देखने से ही लग रहा था कि इसका कभी प्रयोग नहीं किया गया है। यहां भर्ती होना नहीं चाहते मरीज :

चाकुलिया सीएचसी में अभी तक एक भी कोविड मरीज के भर्ती नहीं होने के बाबत पूछने पर प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ रंजीत मुर्मू ने कहा कि वहां कोई मरीज भर्ती होना ही नहीं चाहता। लोग रेफर करने के लिए कहते हैं तो हम लोग कर देते हैं। उन्होंने बताया कि अस्पताल में साथ ऑक्सीजन सिलेंडर तथा दो कंसंट्रेटर मौजूद है। उपयोग नहीं होने के कारण तीन कंसंट्रेटर जिला ने वापस ले लिया।

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