देश भर में 8 करोड़ व्यापारी 26 तारीख को कैट के भारत व्यापार बंद आवाहन में होंगे शामिल
Jharkhand News. कंफडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्ज़ (कैट) के नेतृत्व में आगामी 26 फ़रवरी को जीएसटी के प्रावधानों को वापस लेने तथा ई कामर्स कंपनी अमज़ोन पर प्रतिबंध लगाने की मांग को लेकर भारत व्यापार बंद को सफल बनाने के लिए पूरी तरह जुट गए हैं ।
जमशेदपुर, जासं। केंद्र सरकार ने ज़ीएसटी में अब तक किए संशोधनों से कर प्रणाली को सरल करने की बजाए बेहद जटिल बना दिया। जिससे देश के 40 हज़ार से ज़्यादा व्यापारिक संगठन जो देश भर में 8 करोड़ से ज़्यादा व्यापारियों का प्रतिनिधित्व करते हैं, आज परेशान है। इसलिए कंफडरेशन ऑफ़ ऑल इंडिया ट्रेडर्ज़ (कैट) के नेतृत्व में आगामी 26 फ़रवरी को जीएसटी के बेतुके एवं तर्कहीन प्रावधानों को वापिस लेने तथा ई कामर्स कंपनी अमज़ोन पर प्रतिबंध लगाने की माँग को लेकर भारत व्यापार बंद को सफल बनाने के लिए पूरी तरह जुट गए हैं ।
देश के ट्रांसपोर्ट सेक्टर के सबसे बड़े संगठन ऑल इंडिया ट्रांसपोर्ट वेलफ़ेयर एसोसिएशन ने पहले ही कैट के व्यापार बंद को न केवल समर्थन दिया है बल्कि उस दिन देश भर में ट्रांसपोर्ट का चक्का जाम करने की भी घोषणा की है इसके अतिरिक्त बड़ी संख्या में कई राष्ट्रीय व्यापारिक संगठनों ने भी व्यापार बंद का समर्थन किया है जिसमें खास तौर पर ऑल इंडिया एफएमसींज़ी डिस्ट्रिब्यूटर्स फ़ेडरेशन, फ़ेडेरेशन ऑफ़ एल्मुनियम यूटेंसिलस मैन्युफैक्चरर्स एंड ट्रेडर्ज़ एसोसिएशन, नार्थ इंडिया स्पाईसिस ट्रेडर्स एसोसिएशन, आल इंडिया वूमेंन इंटरप्रेनियॉर्स एसोसिएशन, ऑल इंडिया कम्प्यूटर डीलर एसोसिएशन और ऑल इंडिया कॉस्मेटिक मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन सहित अनय शामिल है।
कैट के राष्ट्रीय सचिव सुरेश सोंथालिया बताया की जीएसटी के अनेक बेतुके एवं मनमाने प्रावधानों के तहत अगर माल बेचने वाले व्यापारी की रिटर्न देर से भरता है रिटर्न भरना ही भूल जाता है तो उसके लिए भी ख़रीदार ज़िम्मेदार होगा। जिसके कारण माल ख़रीदने वाले व्यापारी को दिए हुए टैक्स का इनपुट क्रेडिट नहीं मिलेगा और ऐसे व्यापारियों की दोबारा टैक्स देना होगा। उन्होंने सवाल उठाया कि आखिर यह कहां का न्याय है। ऐसा तो मुग़लों और अंग्रेजों के जमाने में भी नहीं हुआ था।
सोंथालियाका कहना है कि नील रिटर्न वालों को जुर्माना देने के नोटिस देश भर से आ रहे हैं। और उन पर बड़ा जुर्माना लगाया जा रहा है। जब उनकी तरफ कोई देय राशि बनती ही नहीं है तो फिर यदि नील रिटर्न यदि देर से भी फ़ाइल होती है तो सरकार के राजस्व का क्या कोई नुकसान होता है तो फिर उस पर जुर्माना कैसा। वर्तमान प्रावधान के अनुसार यदि एक विक्रेता बोगस डिक्लेयर होता है तो सरकार पहले ख़रीदार विक्रेता से उसकी खरीद पर जो टैक्स उसने दिया हुआ है उस पर दोबारा टैक्स लेते हैं और उसके बाद उसने जिसको माल बेचा होता है उसके पास पहुंच जाते हैं और उससे भी टैक्स वसूलते हैं फिर उसने जिस को बेचा होता है उसको भी टैक्स वसूलते हैं इस तरीके से पांचवी-छठे आदमी तक सरकार टैक्स वसूलती हैं। जो टैक्स सरकार को 12 प्रतिशत मिलना चाहिए था उसकी जगह 72 से 84 प्रतिशत तक भी टैक्स कि वसूली हो जाती है और उसके बाद भी व्यापारियों को उत्पीड़न झेलना पड़ता है।
उन्होंने कहा की जिस वक्त जीएसटी लागू किया गया था तो जीएसटी काउंसिल, केंद्र एवं राज्य सरकार ने यह स्पष्ट किया था कि यह एक राष्ट्र एक टैक्स होगा। व्यापारियों के लिए यह अत्यंत सरल होगा लेकिन परिस्थिति अत्यंत विपरित है। यदि इसका समाधान एवं सरलीकरण नहीं किया गया तो करोड़ों की संख्या में व्यापारी, व्यापार से बाहर हो जाएंगे ओर उनके साथ जुड़े करोड़ों कामगार भी बेरोजगार होंगे। कैट ने रविवारको ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र भेजकर इस मामले में उनके तुरंत हस्तक्षेप का आग्रह किया है।