जिंदगी जीने के लिए खतरनाक है 300 अंक, बढ़ा देता 80 फीसद खुदकुशी का खतरा

अमेरिकी संस्था होम्स राहे स्ट्रेस इंवेंटरी के अनुसार खुदकुशी का कोई एक कारण नहीं है। आजकल जीवन साथी की मौत के बाद सबसे अधिक तनाव महसूस करते लोग। जमशेदपुर में सात माह में 172 लोगों ने की खुदकुशी उम्र 18 से 45 वर्ष के लोग अधिक।

By Jitendra SinghEdited By: Publish:Sat, 05 Dec 2020 08:40 AM (IST) Updated:Sat, 05 Dec 2020 08:40 AM (IST)
जिंदगी जीने के लिए खतरनाक है 300 अंक, बढ़ा देता 80 फीसद खुदकुशी का खतरा
जमशेदपुर में आत्महत्या के मामले बढ़ते जा रहे हैं।

अमित तिवारी, जमशेदपुर : जिंदगी जीने के लिए 150 तक अंक बेहतर है। उससे अधिक होने का मतलब आप डेंजर जोन की तरफ बढ़ रहे हैं। 300 अंक के बाद 80 फीसद खुदकुशी का खतरा बढ़ जाता है। अब आप सोच रहे होंगे कि मनुष्य की जिंदगी से 150 और 300 अंक इतना महत्वपूर्ण क्यों है।

दरअसल, जमशेदपुर में खुदकुशी के मामले तेजी से बढ़ा है। हर माह 25 से 30 लोग खुदकुशी कर रहे हैं, जिससे पूरा समाज चिंतित है। दैनिक जागरण की टीम ने इसकी तह में जाने की कोशिश की तो पाया कि लोग किसी एक कारण की वजह से खुदकुशी नहीं करते। समय तेजी से बदल रहा है। अब लोगों को न तो कोई समझाने वाला बचा है और ना ही उनका दुख-दर्द सुनने और समझने वाला।

नतीजा है कि वे लोग तनाव को बर्दाश्त नहीं कर पाते और गलत कदम उठाने को मजबूर हो जाते हैं। अमेरिकी संस्था होम्स राहे स्ट्रेस इंवेंटोरि के रिपोर्ट के अनुसार, मनुष्य की जिंदगी में आने वाली हर समस्याओं को अलग-अलग अंकों में बांटा गया है। सबसे अधिक लोग तब तनाव महसूस करते है, जब उनके जीवनसाथी की मृत्यु हो जाती है। तब उनके तनाव का स्तर 100 अंक मापा गया है।

इसी तरह तलाक में 73 अंक, वैवाहिक अलगाव होने पर 65 अंक, जेल या अन्य संस्था में नजरबंदी होने पर 63, एक करीबी परिवार के सदस्य का निधन होने पर 63, शादी नहीं होने पर 50 अंक, नौकरी से निकाल देने पर 47 अंक सहित अन्य शामिल है। इस तरह कई कारणों को मिलकर जब अंक 150 हो जाता है तो 50 फीसद खुदकुशी करने की आशंका बढ़ जाती है। वहीं जब यह अंक 300 हो जाता है तो खुदकुशी करने की खतरा 80 फीसद बढ़ जाती है।

जमशेदपुर में खुदकुशी का मुख्य कारण परिवारिक व बेरोजगारी

खुदकुशी रोकने वाली संस्था जीवन के अनुसार, जमशेदपुर में अप्रैल से सितंबर तक कुल 172 लोगों ने खुदकुशी की है। इसमें पुरुषों की संख्या अधिक है। 112 पुरुष व 60 महिला शामिल है। उम्र 18 से 45 के बीच 140 लोगों ने खुदकुशी किया है। यानी 18 से 45 उम्र के लोगों पर तनाव तेजी से हावी हो रहा है। इस उम्र के पड़ाव पर परिवारिक समस्या, बेरोजगारी, तलाक, वैवाहिक अलगाव, नौकरी से निकाल देने की चिंता सहित वे सब कारण शामिल होते हैं जिसके तनाव का स्तर अधिक होता है। इस दौरान अगर पीडि़त को उनके दुख-दर्द सुनने, समझने वाला कोई नहीं मिलता तो वे उन्हें लगता है कि ये जिंदगी अब उनके लिए नहीं है और वे गलत कदम उठा लेते है। जीवन संस्था के अनुसार, इन्हीं सब कारणों की वजह से लोग अधिक खुदकुशी कर रहे हैं।

तनाव का स्तर किस परेशानी में कितने मापा गया है

परेशानी - तनाव का स्तर (अंक में)

जीवन साथी की मृत्यु - 100

तलाक - 73

वैवाहिक अलगाव - 65

जेल या नजरबंदी - 63

परिवार के सदस्य का निधन - 63

बड़ी व्यक्तिगत चोट या बीमारी - 53

शादी नहीं होना - 50

नौकरी से निकाला जा रहा है - 47

वैवाहिक सामंजस्य - 45

सेवानिवृति या काम से निवृति - 45

गर्भावस्था - 40

किस माह में कितने लोगों ने किया खुदकुशी

माह - कुल

अप्रैल - 18

मई - 20

जून - 30

जुलाई - 29

अगस्त - 29

सितंबर - 34

तनाव को कम करने का सबसे बेहतर तरीके उसे शेयर करना ही है। लेकिन, समाज-परिवार टूटने की वजह से अब किसी के पास किसी के लिए समय नहीं है। अपनी बातों को एक-दूसरे से शेयर भी नहीं कर सकते जिससे तनाव और भी बढ़ रहा है। पहले समाज-परिवार के साथ लोग रहते थे। जितनी भी बड़ी मुसीबत आती थी तो वे लोग मिलकर उसका समाधान निकाल लेते थे। लेकिन, अब कोई उनकी परेशानी को सुनने वाला भी नहीं है, जो चिंता का विषय बन गया है।

- डॉ. दीपक गिरी, मनोचिकित्सक, सदर अस्पताल।

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