Jharkhand Establishment Day: झारखंड राज्य के 21 वर्ष पर सूर्य सिंह बेसरा के 21 सवाल
Jharkhand Establishment Day झारखंड राज्य का 21वां स्थापना दिवस 15 नवंबर को मनाया जाएगा। इस पर झारखंड अलग राज्य के निर्माण में उल्लेखनीय भूमिका निभाने वाले पूर्व विधायक सूर्य सिंह बेसरा ने कई सवाल उठाए हैं। आइए देखें बेसरा ने कैसे-कैसे सवाल किए हैं।
जमशेदपुर, जासं। झारखंड राज्य का 21वां स्थापना दिवस 15 नवंबर को मनाया जाएगा। इस पर झारखंड अलग राज्य के निर्माण में उल्लेखनीय भूमिका निभाने वाले पूर्व विधायक सूर्य सिंह बेसरा ने कई सवाल उठाए हैं। आइए, देखें बेसरा ने कैसे-कैसे सवाल किए हैं। दो दशक में झारखंड की तस्वीर और झारखंडी की तकदीर क्यों नहीं बदली 21 वर्षों के कालखंड में झारखंड में पांच बार विधानसभा के चुनाव हुए और 11 बार सरकार बनी और तो और तीन बार राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू हुआ, फिर भी उत्तराखंड और छत्तीसगढ़ से झारखंड बदतर क्यों है 15 नवंबर 2000 को झारखंड नवजात शिशु के रूप में बिहार के कोख से पैदा हुआ था। क्या यही कारण है कि बिहार से विरासत में झारखंड को भ्रष्टाचार मिला। 21 वर्षों में केवल सत्ता का परिवर्तन हुआ, लेकिन व्यवस्था में आमूलचूल परिवर्तन क्यों नहीं हुआ भारत का संविधान के अनुच्छेद 16 (3) के प्रावधानों के अनुरूप आज तक स्थानीय नीति निर्धारित नहीं हो पाई है संविधान के अनुच्छेद-350 (क) में प्रावधानों के अनुरूप झारखंड में झारखंडियों को मातृभाषा में प्राथमिक शिक्षा अनिवार्य थी, लागू नहीं हुई है क्यों संविधान के अनुच्छेद-345, 346, 347 के अनुरूप झारखंडी भाषाओं को राजभाषा का दर्जा क्यों नहीं दिया गया है भारत का संविधान के 73वें संशोधन के अनुरूप पेसा कानून-1996 झारखंड राज्य के अंतर्गत 13 जिलों में जहां संविधान की पांचवी अनुसूची लागू है, आज तक ग्राम सभा का अधिकार अर्थात हमारे गांव में हमारा राज क्यों लागू नहीं हुआ वनाधिकार अधिनियम-2006 के तहत झारखंड के आदिवासी और मूलवासी को अधिकार संपन्न क्यों नहीं बनाया गया वर्तमान झारखंड बिहार से छोटनागपुर और संथाल परगना को मिलाकर बना है, लेकिन अभी भी परिकल्पित झारखंड का सपना बाकी है। झारखंड अलग राज का आंदोलन 50 साल से भी ज्यादा पुराना है। अलग राज्य निर्माण में कई वीरों ने अपने प्राणों की आहुति दी, हजारों आंदोलनकारी जेल की सजा काटी, कोर्ट-कचहरी का केस मुकदमा झेला, तब जाकर झारखंड राज्य बना। विडंबना यह है 21 वर्षों के शासनकाल में भी शहीदों को सम्मान नहीं मिल सका है क्यों