Up के CM योगी आदित्यनाथ के नाम पर कोइ मांगे पैसे तो मत दें...

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का ओएसडी बन कर यूपी समेत अन्य राज्यों के विभिन्न जिलों में तैनात आलाधिकारियों को चूना लगाने वाला जालसाज अरविंद कुमार मिश्रा 10वीं फेल है। फिर भी उसके आगे बड़े-बड़े अधिकारियों की बोलती बंद हो जाती थी।

By Edited By: Publish:Thu, 25 Feb 2021 06:10 AM (IST) Updated:Thu, 25 Feb 2021 04:21 PM (IST)
Up के CM योगी आदित्यनाथ के नाम पर कोइ मांगे पैसे तो मत दें...
अरविंद ने साइबर क्राइम की बारीकी सीआइडी व क्राइम पेट्रोल सीरियल देखकर सीखी।

मुसाबनी (पूर्वी सिंहभूम), जासं।  उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का ओएसडी बन कर यूपी समेत अन्य राज्यों के विभिन्न जिलों में तैनात आलाधिकारियों को चूना लगाने वाला आरोपित जालसाज अरविंद कुमार मिश्रा उर्फ अजय कुमार मिश्रा 10वीं फेल है। फिर भी उसके आगे बड़े-बड़े अधिकारियों की बोलती बंद हो जाती थी।

जब वह फोन पर सीएम का ओएसडी बनकर अधिकारियों से बात करता था तो अधिकारी जी सर, जी सर करते थे। उसने उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों में लगभग डेढ़ सौ अफसरों को चूना लगाया है। अरविंद कुमार उर्फ अजय कुमार मिश्रा ने अफसरों को शिकार बनाने का हुनर सचिवालय में तैनात अधिकारियों व कर्मचारियों के हाव-भाव व रहन-सहन को देखकर सीखा था। सचिवालय में अधिकारी किस अंदाज में बात करते हैं। कैसे फटकार लगाते हैं। ये बातें अरविंद मिश्रा ने कौशांबी पुलिस द्वारा की गई पूछताछ के दौरान बताई है।

ज्यादा रुपये की मांग नहीं करता था

कौशांबी के पुलिस अधीक्षक अभिनंदन ने बताया कि अरविंद मिश्रा उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों के अलावा दूसरे प्रांतों के डीएम, एसपी, सीएमओ आदि के पास काल कर अपना परिचय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के ओएसडी पंकज सिंह के रूप में दिया करता था। वह किसी भी अधिकारी से ज्यादा रुपये की मांग नहीं करता था, ताकि कभी फंसने की नौबत न आए। लखनऊ सचिवालय के बाहर रखी थी चाय की दुकान

अरविंद मिश्रा ने 2013-14 में लखनऊ सचिवालय के बाहर चाय की दुकान खोल रखी थी। वह अफसरों व कर्मचारियों को चाय पिलाने के लिए सचिवालय के अंदर जाता था। डेढ़ वर्ष पहले उसने दुकान बंद कर दी और रुपये ऐंठने का काम शुरू कर दिया था। साल भर पहले उसके खिलाफ लखनऊ के गोमतीनगर थाने में धोखाधड़ी का केस दर्ज हुआ तो उसे जेल की हवा खानी पड़ी थी। परंतु आठ माह पहले जमानत पर छूटते ही फिर से धोखाधड़ी के रास्ते पर चल पड़ा।

सीआइडी व क्राइम पेट्रोल देख कर बना शातिर

अरविंद ने साइबर क्राइम की बारीकी सीआइडी व क्राइम पेट्रोल सीरियल देखकर सीखी। उत्तर प्रदेश की एसटीएफ व सर्विलांस टीम ने गिरफ्तारी के लिए उसका लोकेशन ट्रेस करना शुरू किया तो वह कभी दूसरे नंबर पर, तो कभी तीसरे नंबर पर मिला। वह रुपये मांगने के लिए एक मोबाइल और मनी ट्रांसफर के लिए दो मोबाइलों का प्रयोग अलग-अलग अकाउंट नंबरों के लिए करता था। उसके पास से कुछ चेकबुक व डायरी पुलिस ने बरामद किया है। डायरी में ऐसे अधिकारियों के नाम व पता हैं, जिनसे रुपये मांगना शेष था या फिर वे दे चुके थे। विशेष सचिव व प्रमुख सचिवों के मोबाइल नंबर भी डायरी में लिखे हुए थे। जिन अधिकारियों से रुपये मिल चुके थे, उनके नाम डायरी से काट दिए गए थे, ताकि गलती से उस नंबर पर दोबारा काल न करे। जिस अकाउंट में वह रुपये मंगवाता था, उसे तत्काल दूसरे अकाउंट में ट्रांसफर कर देता था। एएसपी ने कराया ट्रायल

प्रशासनिक अधिकारियों पर रौब दिखाने का तरीका जानने के लिए अर¨वद मिश्रा से ट्रायल कराया गया। अपर पुलिस अधीक्षक समर बहादुर के पास शातिर ने फोन किया और बताया कि वह सीएम का पीआरओ बोल रहा है। फोन रिसीव करने के बाद एएसपी जी सर, हां सर कहते रहे। जब एसपी ने उन्हें असलियत बताई तब वे सामान्य हुए।

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