बरही में ट्रॉमा सेंटर भवन बना, ना चिकित्सक है ना किसी कर्मी की नियुक्त हुई
प्रमोद बरही (हजारीबाग) बरही अनुमंडलीय अस्पताल परिसर व जीटी रोड बरसोत में ट्रॉमा सेंटर
प्रमोद बरही (हजारीबाग) : बरही अनुमंडलीय अस्पताल परिसर व जीटी रोड बरसोत में ट्रॉमा सेंटर स्थापना का सपना आज तक अधूरा है। बरही अनुमंडलीय अस्पताल परिसर में लाखों की लागत से ट्रॉमा सेंटर भवन बनकर तैयार है, जिसका उद्घाटन पिछले 3 सितंबर 2019 को हो चुका है। कितु लोगों का सपना अधूरा है। भवन निर्माण के बाद बरही ट्रामा सेंटर में अब तक ना ही चिकित्सक व ना स्टाफ की नियुक्ति हुई है। आवश्यक संसाधन तक नहीं जुटाए जा सके हैं। बरहाल यह भवन विरान पड़ा हुआ है। दूसरी ओर प्रखंड मुख्यालय से करीब 11 किलोमीटर दूर बरसोत जीटी रोड के किनारे 19 अक्टूबर 2008 को ट्रामा सेंटर का शिलान्यास तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री भानु प्रताप शाही ने किया था। जहां करीब डेढ़ एकड़ भूमि पर सिर्फ चार दीवारी निर्माण कार्य कर छोड़ दिया गया। आज तक वहां भवन निर्माण के लिए एक ईंट भी नहीं रखी जा सकी। वहां लगा शिलापट्ट अब लोगों को मुंह चिढ़ा रहा है। बरसोत में शिलान्यास के बाद बजट न मिलने के कारण काम ही नहीं शुरू हो सका। इससे भी लोगों की उम्मीदों को करारा झटका लग चुका है। जबकि एनएच 33, एनएच 31 व एनएच 2 का इन तीन राजमार्गों का संगम स्थल व इन राजमार्गों पर होने वाले सड़क हादसों को देखते हुए बरही में दो -दो जगह ट्रॉमा सेंटर निर्माण की कवायद की गई थी। एक अनुमान के मुताबिक बरही से प्रतिदिन 50 हजार से ज्यादा छोटी-बड़ी गाड़ियां गुजरती है। अनुमान हर सप्ताह करीब 8 से 10 सड़क हादसे होते हैं। इसमे ज्यादातर लोग गंभीर रूप से ही घायल होते हैं।
हादसों से दहलता है बरही
अक्सर बड़े-बड़े सड़क हादसों से बरही क्षेत्र दहल उठता है। फिर भी वर्षो से ग्रामीणों व हालात की मांग ट्रामा सेंटर आज तक बरही में शुरू नहीं हुई। बरही से लेकर चौपारण, बरकट्ठा, चंदवारा व पदमा तक बड़ी संख्या में सड़क दुर्घटना में घायल हुए लोगों को इलाज के लिए बरही अनुमंडल अस्पताल भेजा जाता है। कितु विडंबना है कि अनुमंडलीय अस्पताल भी असुविधाओं से जूझ रहा है। सड़क दुर्घटना में गंभीर रूप से घायलों का सिर्फ प्राथमिक उपचार के बाद हजारीबाग या रांची रिम्स के लिए रेफर करने को मजबूर है। गंभीर रूप से घायल लोगों को रेफर किए जाने से उनकी जान खतरे में आ जाती है। नाजुक हालत में रेफर हुए घायल की इस दौरान अक्सर मौत तक हो जाती है