जैविक खेती को बढ़ावा देने की हो रही विशेष पहल

मासूम अहमद हजारीबाग जैविक खेती को बढ़ावा देने व भारत सरकार के सपने को मूर्त रूप देने क

By JagranEdited By: Publish:Sun, 28 Feb 2021 05:40 PM (IST) Updated:Sun, 28 Feb 2021 05:40 PM (IST)
जैविक खेती को बढ़ावा देने की हो रही विशेष पहल
जैविक खेती को बढ़ावा देने की हो रही विशेष पहल

मासूम अहमद, हजारीबाग : जैविक खेती को बढ़ावा देने व भारत सरकार के सपने को मूर्त रूप देने को लेकर वैज्ञानिक विधि से जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए हाली क्रास कृषि विज्ञान केंद्र में विशेष कार्य चल रहा है। केवीकेकी ओर से जिले के बिष्णुगढ़ प्रखंड के भंडेरी व टाटीझरिया प्रखंड के सिझु-चुरचू गांव का चयन कर वहां के सभी किसानों को जैविक खेती करने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। इन गांवों के जैविक उत्पादों को सरकार की मानक संस्था से पंजीकरण कर कृषि उत्पादों की विश्वसनीयता बढ़ाने की भी योजना है ताकि उनको सामान्य उत्पादों की तुलना में अधिक मूल्य पर बेचा जा सके। इससे इन गावों के आदिवासी किसानों की आय को दोगुना से भी अधिक मूल्य मिल सके। केंद्र की निर्देशिका सिस्टर सजीता की अगुवाई में केंद्र के अध्यक्ष सह वरीय वैज्ञानिक डा. राज कुमार सिंह व अन्य अनुभवी वैज्ञानिक, डा. प्रशांत वर्मा, सिस्टर अलमा बाड़ा, मनोज कुमार सिंह, डा. संजीव कुमार सिंह, डा. सतेंद्र लाल यादव, पुष्पेंद्र कुमार धाकड़ एवं डा. सीमा कुमारी यह पहल कर रही हैं। एफपीओ का किया गया है गठन चयनित गांवों में बिरसा मुंडा एग्रो प्रोड्यूसर कंपनी लि. (एफपीओ) का गठन केवीके, नाबार्ड व जन जागरण केंद्र के संयुक्त सहयोग से किया गया है। जैविक खेती से आने वाले कृषि उत्पादों जैसे फल, विभिन्न सब्जी, धान, दलहनी एवं तिलहनी फसलों को एफपीओ के माध्यम से बाजार में उपलब्ध कराए जाने की योजना तैयार की गई है। साथ ही ई-नाम पोर्टल में भी पंजीकरण करा उत्पादों को बेचने की व्यवस्था की जा रही है। भविष्य में इन उत्पादों को भारतीय खाद्य सुरक्षा मानक अभिकरण(एफएसएसएआइ) से पंजीकरण करा कर एवं ट्रेडमार्क युक्त बनाकर, मूल्य संवर्धित उत्पाद के रूप में बाजार व शापिंग माल पहुंचकर किसानों को अधिक लाभ पहुंचाने की योजना पर तेजी से काम हो रहा है जो की आगामी दो तीन वर्षों में पूरी तरह स्थापित हो जाएगी। वैज्ञानिक कर रहे नियमित मानिटरिंग केंद्र के वैज्ञानिकों की टीम इन गांवों में नियमित भ्रमण कर लोगों को प्रेरित कर रही हैं। दोनों गांवों के किसानों को चयनित कर वहां की प्रमुख फसलों की खेती की विस्तृत कार्ययोजना बना कर काम शुरू किया गया है। डॉ. प्रशांत वर्मा, उद्यान वैज्ञानिक ने इन गांवों में जैविक सब्जी व जैविक फलों के उत्पादन का काम शुरू किया है। नाबार्ड के दीदी बाड़ी कार्यक्रम के सहयोग से जनजागरण केंद्र की पहल पर बड़ी संख्या में वर्मी बेड एवं बागान लगाने का काम हाली क्रास कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों द्वारा दोनों गांवों में किया जा रहा है। इसके तहत केंचुआ एवं तकनीकी प्रशिक्षण केवीके के वैज्ञानिक लगातार दे रहे हैं ताकि भविष्य में केंचुआ खाद एवं अन्य जैविक खाद भरपूर मात्रा में जैविक खेती में काम आ सके। केंद्र के इस सराहनीय प्रयास का फलाफल आगामी दो तीन वर्षों में पूरी तरह स्थापित हो जाएगा और क्षेत्र के आदिवासी किसानों की आय दुगुनी से भी अधिक हो जाएगी ऐसी भरपूर संभावना है।

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