19 विषयों की हो रही पढ़ाई, मान्यता सिर्फ छह को

बाटम आरटीआई के तहत मांगी गई सूचना पर विभावि ने दी थी जानकारी राहुल संस हजारीबाग

By JagranEdited By: Publish:Fri, 03 Dec 2021 09:00 PM (IST) Updated:Fri, 03 Dec 2021 09:00 PM (IST)
19 विषयों की हो रही पढ़ाई, मान्यता सिर्फ छह को
19 विषयों की हो रही पढ़ाई, मान्यता सिर्फ छह को

बाटम

आरटीआई के तहत मांगी गई सूचना पर विभावि ने दी थी जानकारी : राहुल संस, हजारीबाग : विनोबा भावे विश्वविद्यालय में कुल 19 विषयों की पढाई हो रही है, मगर राज्य सरकार ने मात्र छह विषयों को स्नातकोत्तर की पढ़ाई की स्वीकृति दी है। सरकार की ओर से विभावि के पीजी विभाग को अर्थशास्त्र, इतिहास, भौतिकी, अंग्रेजी, हिदी और गणित को मिली है। परंतु सरकार से स्वीकृति के आस में यहां बिना मान्यता के भूगोल, राजनीति शास्त्र, दर्शनशास्त्र, जंतु विज्ञान, रसायनशास्त्र, गृह विज्ञान, संस्कृत, उर्दू, वाणिज्य, भूगर्भ शास्त्र, जीव विज्ञान तथा सामाजिक विज्ञान है। यह जानकारी वरिष्ठ भाजपा नेता व अधिवक्ता राणा राहूल प्रताप ने एक प्रेस वार्ता कर दी। बताया कि उन्हें यह जानकारी विभावि प्रशासन ने आरटीआई के तहत मांगी गयी जानकारी के तहत प्राप्त हुई है। प्रेस वार्ता में पूर्व भाजपा जिलाध्यक्ष टुन्नू गोप, प्रफुल्ल कुमार, विनोद कुमार बिगन, राजीव रंजन दूबे आदि भी मौजूद थे। अधिवक्ता राहुल ने आगे बताया कि 1992 में स्थापित विश्वविद्यालय में आज छात्रों की संख्या 50 गुणा हो गया है, बावजूद इसके शिक्षकों का स्वीकृत पद यहां 22 की है। प्रेसवार्ता के दौरान राणा राहुल प्रताप ने विभावि के एमएड विभाग और 20 -20 साल से एक हीं स्थान पर जमे शिक्षकों को लेकर भी सवाल खड़ा किया। बताया कि विभावि में प्रारंभ से हीं बड़े़ पैमाने पर भ्रष्टाचार शुरु हुआ और इस पर लगाम लगाने की कवायद किसी ने नहीं की। बताया कि आज भी विभावि में ऐसे कई शिक्षक और कर्मी है जो लंबे समय से एक हीं विभाग में जमें है और एक साथ कई पदों को सुभोषित कर रहे है। श्री प्रताप ने कहा कि उनकी मंशा राजनीति करने की नहीं बल्कि 30 सालों में जो काम नहीं हुआ है वह तीन माह में हो जाए यह मंशा है। कहा कि वर्तमान कुलपति को इस ध्यान आकृष्ट कराते हुए इस विषयों पर अविलंब कदम उठाने की मांग करता हूं। भाजपा नेताओं से जब प्रेसवार्ता में उनके कार्यकाल में इन समस्याओं की याद क्यों नहीं आयी, यह पूछा गया तो वे टाल गए। बताया कि व्यतस्तता के कारण इस ओर ध्यान नहीं गया। ज्ञात हो कि राज्य में सबसे अधिक समय भाजपा की सरकार रही है। ऐसे में विश्वविद्यालय में शिक्षक से लेकर कर्मचारी और शिक्षण को लेकर कभी किसी ने सवाल नहीं उठाए।

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