एड्स पीड़ितों ने बनाया संगठन, करते हैं मदद

बाटम विश्व एड्स दिवस पर विशेष हजार की संख्या में हैं एड्स पीड़ित डेढ़ माह से नहीं मिल

By JagranEdited By: Publish:Tue, 30 Nov 2021 07:51 PM (IST) Updated:Tue, 30 Nov 2021 07:51 PM (IST)
एड्स पीड़ितों ने बनाया संगठन, करते हैं मदद
एड्स पीड़ितों ने बनाया संगठन, करते हैं मदद

बाटम

विश्व एड्स दिवस पर विशेष हजार की संख्या में हैं एड्स पीड़ित, डेढ़ माह से नहीं मिल रही है दाव

शशि शेखर,

चौपारण (हजारीबाग): कोरोना संक्रमण के विस्तार के बीच कई अन्य लाइलाज बीमारी से पीड़ितों

की स्थिति कारुणिक हो गई है। कुछ ऐसी ही स्थिति एड्स पीड़ितों की है, जिन्हें स्थानीय स्तर पर दवा नहीं मिल रहा। इन्हें दवाओं के लिए भी अब भटकना पड़ रहा है, जिला मुख्यालय भटकना पड़ रहा है। जानकारी हो कि चौपारण में कुल 950 एड्स पीड़ितों की संख्या है। इसमें पुरुष, बच्चे और महिलाएं शामिल हैं। सरकारी आंकड़ों में प्रखंड में 426 एडस आक्रांत हैं। इसमें 22 गर्भवती महिला हैं। बीमारी की विभीषिका की गंभीरता का भान इससे ही लगाया जा सकता है कि वर्ष 2008 जुलाई से अभी तक 77198 की जांच सामुदायिक अस्पताल स्थित इंटीग्रेटेड कांउसलिग एंड टेस्टिग सेंटर में हुई। आंकडा इसलिए भी सोचनीय है कि हर साल एडस पीड़ितों की संख्या बढती जा रही है। पीड़ितों में 260 प्रभावित और पीड़ित माता पिता के बच्चे हैं, जो कि मुख्यधारा से दूर हो रहे हैं। बीते डेढ़ माह से पीड़ितों को सरकारी अस्पताल से एटीआर दवा नहीं मिल पा रहा है। गरीबी और लाचारगी में भटकते लोगों को हजारीबाग मुख्यालय जाकर दवा लाना पड़ रहा है। परेशानी इस बात की है कि न सरकार, न जन प्रतिनिधि और न ही स्वंयसेवी संस्था पीड़ितों को सहयोग कर रहे हैं। ऐसे में मुफलिसी में जीवन बिताने को मजबूर हैं लोग।

बताते चलें कि जिले के सर्वाधिक बडे प्रखंड के 269 गांव में बसे लगभग दो लाख की आबादी के लिए रोजगार का कोई पुख्ता साधन नहीं है। केवल कृषि ही माध्यम है। परंतु वर्षा आधारित खेती की परेशानी के कारण अधिकांश युवा बडे महानगरों की ओर आकर्षित हो जाते हैं। घर के हालात को सुधारने के लिए रोजगार के लिए महानगरों की ओर पलायन हो रहे हैं। शहरों की चकाचौंध और रंगीनियों से आकर्षित होकर युवा अपने घर लाइलाज बीमारी सौगात में लेकर आए। पुन: इस बीमारी का प्रसार घर तक हो जा रहा है। ऐसे में हर साल बीमारी का आंकडा बढ़ता चला जा रहा है। नई आने वाली पीढी भी इससे आक्रांत हो रहे हैं। गरीबी और परेशानी के इस कुचक्र के कारण पीड़ितों को कहीं से कोई सहयोग नहीं मिल पा रहा है।

इधर सरकारी सुविधाओं की कमी के कारण पॉ•ाटिव ने एक बडा संगठन बनाया है। इसमें लगभग एक सौ तीस मेंबर हैं। पहचान छिपाकर एक युवा बड़ी मेहनत कर संगठन के सात प्रमुख सदस्यों के साथ सरकारी सुविधाएं मुहैया करवा रहा है। इसके तहत इसी संगठन के लोग हजारीबाग से दवा लाकर अत्यधिक वंचित तक दवा पहुंचा रहे हैं। आवास योजना,पेंशन योजना, पारिवारिक लाभ के लिए संघर्षरत हैं। पीड़ितों की देखभाल का हर संभव प्रयास करते हैं।

chat bot
आपका साथी