यहां अब तक नहीं पहुंच है विकास
लीड----------- बसरिया आदिवासी टोले के लोग को हो रही है परेशानी प्रमोद विश्वकर्मा बरही (ह
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बसरिया आदिवासी टोले के लोग को हो रही है परेशानी
प्रमोद विश्वकर्मा
बरही (हजारीबाग) : आजादी के 75 वर्ष बाद भी बरही प्रखंड के सुदूरवर्ती कुटमा गांव का बसरिया आदिवासी टोला के वासियों को अदद एक पक्की सड़क व पुल की सख्त जरूरत है। गांव के लिए सड़क एवं नदी पर पुल नहीं रहने के कारण स्थानीय ग्रामीणों में काफी आक्रोश है। इस मामले के निपटारे को लेकर आजादी के इतने वर्षों के बाद भी किसी भी जनप्रतिनिधि या प्रशासन के द्वारा सुध नहीं ली गयी है। कई बार ग्रामीण इस मामले को लेकर शासन - प्रशासन और जनप्रतिनिधियो से गुहार लगा चुके हैं, कितु इस आदिवासी बहुल बसरिया टोला के ग्रामीणों की पुकार कोई सुनने वाला नहीं है। बसरिया आदिवासी टोला के मुख्य जर्जर और पथरीली मार्ग में एक नदी भी पड़ती है। कितु उस पर आज तक अदद एक पुल या पुलिया तक का निर्माण नहीं हुआ। इसके कारण आवागमन में काफी परेशानी होती है। खास तौर पर बरसात के दिनों में लोग जान जोखिम में डालकर नदी से गुजरते हैं। जबकि आदिवासी बहुल कुटमा गांव के लिए भी यह मार्ग काफी महत्वपूर्ण है। कुटमा व बसरिया टोला में 150 से अधिक घर है। यह गांव बरसोत एनएच 2 सड़क से 6 किमी दूर पहाड़ी क्षेत्र में बसा है। बसरिया टोला के लोगों का मुख्य पेशा खेती गृहस्थी व मजदूरी है। बसरिया के ग्रामीणों ने बताया कि हमारे पूर्वज सदियों से नदी के ऊपर बसे है, जहां नदी के कारण लोगों को परेशानी होती है। नदी पर पुल नहीं रहने के कारण गांव का विकास कार्य बुरी तरह प्रभावित है। बसरिया टोला के सोहन किस्कू ने कहा कि कई लोग इस टोला को छोड़कर दूसरे गांव टोला में भी अब बसने को मजबूर हैं। विडंबना है कि वर्षो बीत गए आज तक कोई भी जनप्रतिनिधि बसरिया गांव का नदी पर रास्ता बनाने का सुध तक नहीं लिया। साथ ही ग्रामीणों ने बताया कि इस विषय में कई बार प्रखंड व जिला अधिकारी को लिखित आवेदन भी दिया है, लेकिन अभी तक कुछ कार्रवाई नहीं हुई। ग्रामीण ने कहा कि चुनाव आते ही जनप्रतिनिधि बड़े बड़े वादा करते हैं,चुनाव जीतने के बाद इस गांव के समस्या को भूल जाते हैं।