विभावि में संविधान दिवस पर संगोष्ठी का आयोजन

राष्ट्रीय नेताओं के दूर ²ष्टि का प्रतिफल है हमारा संविधान मनीष सैकड़ों लोगों ने लिया संि

By JagranEdited By: Publish:Fri, 26 Nov 2021 08:50 PM (IST) Updated:Fri, 26 Nov 2021 08:50 PM (IST)
विभावि में संविधान दिवस पर संगोष्ठी का आयोजन
विभावि में संविधान दिवस पर संगोष्ठी का आयोजन

राष्ट्रीय नेताओं के दूर ²ष्टि का प्रतिफल है हमारा संविधान: मनीष

सैकड़ों लोगों ने लिया संविधान को अक्षुण्ण बनाए रखने का सकंल्प

संस, हजारीबाग : संविधान दिवस पर शुक्रवार को विभावि के विवेकानंद सभागार में संगोष्ठी का आयोजन किया गया। बतौर मुख्य अतिथि सदर विधायक मनीष जायसवाल, कुलपति डा.मुकुल नारायण देव ने दीप प्रज्वलित कर संगोष्ठी प्रारंभ की। समारोह में संविधान सभा के सदस्यों की तस्वीर की प्रति का अनावरण किया गया। संचालन डा. सुकल्याण मोइत्रा तथा धन्यवाद ज्ञापन जन सूचना पदाधिकारी विभावि डॉ प्रमोद कुमार ने किया। डॉ विजय बहादुर सिंह ने संविधान की शपथ दिलाई। सभागार में उपस्थित सैकड़ों हाथों ने संविधान की शपथ लेते हुए अपने प्राण न्यौछावर कर संविधान कोक अक्षुण्ण बनाए रखने का संकल्प लिया। बतौर मुख्य अतिथि संबोधित करते हुए सदर विधायक ने कहा कि कहा कि बाबा साहब भीमराव अंबेडकर की योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता जिनके कठिन परिश्रम से भारतीय संविधान की रचना हो सकी। हमारा संविधान राष्ट्रीय नेताओं की दूर ²ष्टि का प्रतिफल है जो हमें अधिकार के साथ-साथ कर्तव्य के प्रति भी चेतना का एहसास कराता है। आगे कहा की वर्तमान पाठ्यक्रम में दो चीजें काफी जरूरी है। एक तो संविधान को पढ़ना और दूसरा राष्ट्र को सशक्त बनाने के लिए अपने कर्तव्यों का पालन करना। अपने संक्षिप्त संबोधन में विधायक ने कहा कि भारतीय संविधान की मूल प्रति में भारतीय संस्कृति की झलक प्रतिबिबित होती है जिसमें रामकृष्ण और ऋषि मुनियों के आदर्शों का जिक्र है। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कुलपति डॉ मुकुल नारायण देव ने कहा कि भारतीय संविधान विश्व का अनूठा संविधान है जिसमें राष्ट्र वासियों के लिए उनके मार्गदर्शन के लिए हर बिदु पर अलग-अलग विवरण प्रस्तुत किया गया है। कुलपति ने यह भी कहा कि भारतीय संविधान गणतंत्र लोकतंत्र धर्मनिरपेक्ष समाजवाद का अनूठा संगम है, जिसमें प्रत्येक जनता की भागीदारी स्पष्ट है। प्रति कुलपति ने अपील किया कि अपने इतिहास को जाने नहीं तो देश का भूगोल ही बदल जाएगा। उन्होंने कहा कि हमारा इतिहास और लोकतांत्रिक व्यवस्था का चरित्र संविधान में निहित है। अध्यक्षीय संबोधन में राजनीति विज्ञान विभाग के अध्यक्ष डॉ. अजीत कुमार पाठक ने विस्तार से संविधान निर्माण की भूमिका पर प्रकाश डाला और कहा कि आज का दिन आत्म अवलोकन का दिन है।

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