साहित्य जगत में भारत यायावर से दिलाई पहचान

लीड---------- साहित्यकारों व मुर्धन्य विद्वानों ने दी श्रद्धांजलि बताया कालजयी साहित्यकार संवाद सहय

By JagranEdited By: Publish:Fri, 22 Oct 2021 09:20 PM (IST) Updated:Fri, 22 Oct 2021 09:20 PM (IST)
साहित्य जगत में भारत यायावर से दिलाई पहचान
साहित्य जगत में भारत यायावर से दिलाई पहचान

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साहित्यकारों व मुर्धन्य विद्वानों ने दी श्रद्धांजलि, बताया कालजयी साहित्यकार

संवाद सहयोगी, हजारीबाग : अपनी कविता, निर्भीक लेखनी, शांत स्वभाव, मृ²भाषी व्यक्तित्व और उच्च कोटि की रचना के कारण देश भर के साहित्य जगत में प्रसिद्ध भारत यायावर से हजारीबाग की पहचान थी। भरत यायावर को चाहने वाले विदेशों में भी है और उनसे प्रेरणा ले कई मुर्धन्य साहित्यकारों ने भी अपने लेखनी को आकाश की बुलंदियों तक पहुंचाया है। अपने कालजयी रचना फणीश्वर नाथ रेणु रचनावली और महावीर प्रसाद द्विवेदी रचनावली सम्पादित कर पूरे विश्व में अच्छी ख्याति अर्जित करने वाले भारत यायावर के निधन से साहित्य जगत में शून्यता छा गयी है। साहित्यकार, विद्वानों ने उन्हें अमर कालजयी साहित्यकार की संज्ञा देकर उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित किया है। निधन की खबर फैलते ही सोशल मीडिया में लोग उनके लिखे कविताओं का सार डालकर उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित करते दिखाई दिए। शनिवार संध्या उनके यशवंत नगर स्थित आवास पर शिक्षा जगत के नामचीन हस्तियों ने उनके पाथिर्व शरीर का दर्शन किया। पुष्प चढ़ाए और उनके साथ बिताए पल को याद किया।

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बच्चों की तरह और सीखना लिखना चाहते थे : रतन वर्मा

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भारत यायावर से प्रेरणा लेकर गद्य में कहानी और नाटक लिखकर पूरे देश में ख्याति प्राप्त करने वाले कथाकार रतन वर्मा ने भारत यायावर के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए अपने साथ बिताए हुए दिन को याद किया। बताया कि आज, सिर्फ हजारीबाग के ही नहीं, बल्कि भारत के एक बड़े साहित्य-स्तम्भ भारत यायावर हमारा साथ छोड़ गये। सिर्फ झारखंड ही नहीं बल्कि पूरे देश के हिन्दी साहित्यकार और पाठक मर्माहत है। यायावर ऐसे साहित्यकार थे, जिन्होंने खुद को ही नहीं बल्कि अन्य को भी सींचा। कहा कि शुक्रवार सुबह उनसे बात हुई थी और वे बच्चों की तरह और लिखना पढ़ना चाहते थे। अपने संस्मरण बताते हुए कहा कि मैं जब हजारीबाग आया तो उनसे पहले मेरी मुलाकात हुई और वे पहले साहित्यकार थे। उस वक्त मैं कविता लिखा करता था। बोकारो में थे उनसे मेरा पत्राचार होता था, गद्य की भाषा देखकर उन्होंने मुझे कहानी के लिए प्रेरित किया। उनसे ही प्रेरणा लेकर मैंने एक कहानी लिखी जिसका शीर्षक था हालात, उसे पढ़कर वे खुश हुए और बिहार से निकलने वाली प्रगतिशील समाज साहित्य में प्रकाशित भी करवाया। उनके बार निरंतर कहानी लिखने लगा और राष्ट्रीय स्तर पर मेरी पहचान मिली।

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ग्रामीण चाचा, विभागीय सहकर्मी और साहित्य संगी थे यायावर : डा. सुबोध

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साहित्यकार डा. सुबोध सिंह शिवगीत ने भारत यायावर के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है। अपनी प्रतिक्रिया में उन्होंने कहा कि भारत सर का निधन हिदी साहित्य जगत के लिए एक बड़ी क्षति है। हमारे लिए वे ग्रामीण चाचा, विभागीय सहकर्मी के साथ साथ साहित्य के संगी थे। हजारीबाग का नाम उनकी वजह देश भर में था। बेहतरीन प्राध्यापक और प्रसिद्ध साहित्यकार भारत यायावर हिदी साहित्य की समृद्धि हेतु जीवन भर जुटे रहे।

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पूरे राष्ट्र के लिए अमूल्य निधि थे भारत यायावर

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अपनी प्रतिक्रिया देते हुए आकशवाणी हजारीबाग के वरिष्ठ उदघोषक मन्मथनाथ मिश्रा ने कहा कि भारत यायावर राज्य ही नहीं बल्कि पूरे राष्ट्र के लिए अमूल्य निधि थे। हिदी साहित्य के क्षेत्र में उनकी योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता। उन्होंने फणीश्वर नाथ रेणू और महावीर प्रसाद द्विवेदी की रचनाओं को संकलित कर आम जन के लिए सर्व सुलभ कराया। यह अपने आप में एक मिसाल है। हिदी साहित्य के क्षेत्र मे उनके अंदर एक कवि, आलोचक, कथाकार, समीक्षक भी बसता था। साहित्य प्रेमियों के बीच उनकी अलग पहचान थी। मेरे साथ उन्होंने कइ बार आकाशवाणी हजारीबाग में मंच साझा किया और उनकी रचनाएं निरंतर प्रसारित हुई। उनके निधन से पूरा आकाशवाणी परिवार मर्माहत है।

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सदर विधायक ने जताया गहरा शोक, कला साहित्य के लिए अपूरणीय क्षति

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देश के जाने- माने साहित्यकार, हिदी साहित्य के सुप्रसिद्ध कवि- आलोचक डॉ. भारत यायावर के निधन पर सदर विधायक मनीष जायसवाल ने भी गहरा शोक व्यक्त किया है। शोक प्रकट करते हुए ईश्वर से उनके आत्मा की शांति और शोकाकुल परिजनों को दु: ख सहने का अदम्य साहस प्रदान करने की कामना की है। विधायक मनीष जायसवाल ने कहा कि प्रसिद्ध साहित्यकार डॉ. भारत यायावर ने अपने अछ्वुत लेखन कला से हजारीबाग जैसे छोटे शहर को अखिल भारतीय और विश्व स्तर पर एक पहचान दिलाई और अपने सारगर्भित लेखनी से हजारीबाग का नाम देशभर में रोशन किया है। उन्होंने यह भी कहा की इनका निधन कला- साहित्य के साथ समाज के लिए अपूरणीय क्षति है ।

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