सांसारिक पदार्थाें से लगाव कम होना ही आकिचन्य है

फोटो - 22 संस हजारीबाग पर्यूषण पर्व का आज नौवां दिन उत्तम आकिचन्य धर्म के रूप में मनाया गया

By JagranEdited By: Publish:Sat, 18 Sep 2021 09:15 PM (IST) Updated:Sat, 18 Sep 2021 09:15 PM (IST)
सांसारिक पदार्थाें से लगाव कम होना ही आकिचन्य है
सांसारिक पदार्थाें से लगाव कम होना ही आकिचन्य है

फोटो - 22

संस, हजारीबाग : पर्यूषण पर्व का आज नौवां दिन उत्तम आकिचन्य धर्म के रूप में मनाया गया। इस क्रम में प्रात: 7:00 बजे दोनों मंदिरों में जिनेंद्र अभिषेक पूजन के उपरांत पंडित संजीव के द्वारा बड़ा बाजार में मंगल प्रवचन किया गया। अपने मंगल प्रवचन में पंडित संजीव ने कहा कि उत्तम आकिचन्य धर्म के बारे में बताते हुए कहा कि समस्त प्रकार की ग्रंथियों को दूर कर परिग्रह से मुक्त होने का नाम ही आकिचन्य है। संसार के संपूर्ण पदार्थ के प्रति ममत्व छूट जाना आकिचन्य है. पंडित संजीव ने कहा कि संपूर्ण अनर्थों का जड़ यह परिग्रह ही है. परिग्रह ही क्रोध, मान ,माया, लोभ ,असत्य आदि पापों का यह जनक है. आकिचन्य ही सुख और आनंद का स्त्रोत है उसे प्राप्त करना ही सर्वोच्च साधना है। पंडित जी ने कहा कि त्याग के बाद त्याग के ममत्व को त्यागने का नाम ही आंकिचन्य है। संजीव ने कहा कि मनुष्य कहता है कि मकान मेरा है. फैक्ट्री मेरी है,पर जिस मकान दुकान फैक्ट्री को तुम अपनी कह रहे हो क्या वह कभी यह कहते है. कि तुम मेरे हो। मकान वहीं रहते है. मालिक बदल जाते हैं। कहा कि जड़ संपत्ति को नहीं अपनी असली संपत्ति को पहचानो। आत्म निधि के आगे संसार की सारी निधियाँ तुच्छ है। मीडिया प्रभारी विजय लुहाडिया ने बताया कि आज अंतिम दिन उत्तम ब्रह्मचर्य पर पंडित संजीव के द्वारा मंगल प्रवचन होगा । वहीं दोपहर में अनंत चतुर्दशी का कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा।

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