किराए की कोठरी से विशाल भवन व भव्य परिसर तक का र रोचक सफर

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By JagranEdited By: Publish:Thu, 16 Sep 2021 08:40 PM (IST) Updated:Thu, 16 Sep 2021 08:40 PM (IST)
किराए की कोठरी से विशाल भवन व भव्य परिसर तक का र रोचक सफर
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विनोबा भावे विश्वविद्यालय का शानदार रहा है शैक्षणिक इतिहास, बदला शिक्षा का माहौल विनोबा भावे विश्वविद्यालय का स्थापना दिवस आज

मासूम अहमद, हजारीबाग : संत विनोबा भावे की कर्मस्थली हजारीबाग में संत ने भूदान की अलख जगाई थी। यहां कनहरी पहाड़ी के पास करकरी गांव में स्थित है भूदान का कार्यालय। यहां से दो किमी पश्चिम में भूदान के आयामों को विस्तार देते हुए शिक्षा दान करने की परंपरा की शुरुआत की गई। यहां 17 सितंबर 1992 को संत के नाम पर विनोबा भावे विश्वविद्यालय की स्थापना की गई। यह संस्थान भूदान और ज्ञान नाम के बीच संतुलन बनाए हुए हैं। विनोबा भावे विश्वविद्यालय की स्थापना के 30 वर्ष पूरे हो चुके हैं। इन तीस वर्षों के सफर की रोचक दास्तान रही है। 17 सितंबर 1992 को विनोबा भावे विश्वविद्यालय की स्थापना की गई थी। तब झारखंड राज्य नहीं संयुक्त बिहार था। हालांकि विश्वविद्यालय की स्थापना की मांग दशकों से की जा रही थी, जब अचानक एक साथ बिहार में पांच-पांच विश्वविद्यालय की स्थापना की अधिसूचना जारी की गई तब लोगों का वर्षों का चिर प्रतिक्षित सपना साकार होता दिखा। तक जिला स्कूल के बगल में भाडे़ के मकान में और पुन: अपने भवन में स्थानांतरित होकर यह विश्वविद्यालय सामने आया तब लगा कि लोगों के अरमानों के सपने को पंख लग गए हैं। इस विश्वविद्यालय में भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति डा. प्रणव मुखर्जी का पदार्पण हो चुका है। वहीं राज्यपाल के रूप में डा. प्रभात कुमार, डा. वेदमरवाह, डा. सैयद सिब्ते रजी, सैयद अहमद, द्रौपदी मुर्मू का भी आगमन हो चुका है। परिसर की नैसर्गिक छटा देखते ही बनती है। वर्तमान में लगभग 67 एकड़ जमीन में फैला यह विश्वविद्यालय अपनी समृद्धि को प्राप्त कर चुका है। विश्वविद्यालय के प्रथम कुलपति डॉ विनोदिनी तरवे थी। डॉ. केके नाग, डॉ एमएल दास, प्रोफेसर एनके चटर्जी, डॉ. बहुरा एका, डॉ. एमपी सिंह, डॉ अरविद कुमार, डॉ आरएन भगत, डॉ गुरदीप सिंह, डॉ रमेश शरण जैसे प्रकांड विद्वान, अनुभवी और ऊर्जावान व्यक्ति इस विश्वविद्यालय के कुलपति पद को सुशोभित कर चुके हैं। डॉ. नितिन मदन कुलकर्णी और एसएस मीना जैसे प्रशासनिक अधिकारी की भी सेवा का लाभ इस विश्वविद्यालय को थोडे समय के लिए मिल चुका है। वर्तमान कुलपति डॉ मुकुल नारायण देव की अगुवाई में विनोबा भावे विश्वविद्यालय स्थापना काल के तीसरे दशक में अग्रसर है। डॉ. देव प्रख्यात वैज्ञानिक रहे हैं जिनके मार्गदर्शन में कई नए विषयों की पढ़ाई शुरू की गई है। इसके साथ ही और भी शोध की दिशा में नए प्रयास किए जा रहे हैं ताकि विश्वविद्यालय की गुणवत्ता बेहतर बन सके और छात्रों का स्वर्णिम भविष्य और भी उज्जवल हो सके। वर्तमान में इस विश्वविद्यालय के क्षेत्राधिकार में 9 अंगीभूत कॉलेज, 19 स्नातकोत्तर विभाग, एक इंजीनियरिग कॉलेज, एक मेडिकल कॉलेज, पांच बीएड कॉलेज समेत 24 संबद्ध बीएड कॉलेज संचालित है और कई अस्थाई संबद्ध डिग्री कॉलेज भी इस विश्वविद्यालय के अंग हैं। कोरोना काल में भी विश्वविद्यालय की गति कभी सुस्त नहीं हुई बल्कि प्रगति के पथ पर अग्रसर रही है जिसकी वजह है कि आज पूरी प्रदेश में ही नहीं बल्कि देश में इसकी अलग पहचान है। कैंपस में ही स्नातकोत्तर विभाग, लॉ कालेज, इंजीनियरिग कॉलेज के साथ कई स्ववित्तपोषित पाठयक्रम के संस्थान, एमबीए, एमसीए, टीआरएल की पढ़ाई की जा रही है। पूरे प्रदेश में यह एकमात्र ऐसा विश्वविद्यालय है जिसे नैक के द्वारा बी प्लस प्लस की मान्यता प्रदान की गई है।

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